Jaipur News: नगर निगम के खजाने में बचा है सिर्फ 2 करोड़, 350 करोड़ रुपये की है देनदारी, कैसे होंगे विकास कार्य?

शहर सरकार फिर कर्ज लेने की तैयारी कर रही है. सांकेतिक फोटो.
Jaipur News: ग्रेटर जयपुर नगर निगम के खाते में इस वक्त महज 2 करोड़ रुपये बचे हैं. वहीं, 350 करोड़ की देनदारी भी है, ऐसे में निगम 500 करोड़ रुपये का लोन लेने की तैयारी में है.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: January 25, 2021, 7:23 PM IST
जयपुर. राजस्थान की राजधानी जयपुर की शहरी सरकार की माली हालात कितनी खराब है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब शहर के विकास के लिए भी 500 करोड़ रुपयों का कर्जा लेने की तैयारी है. करीब 350 करोड़ रुपयों की देनदारी पहले से ही है. मामला ग्रेटर नगर निगम से जुड़ा है. जयपुर के ग्रेटर नगर निगम में भले ही बोर्ड बन चुका हो, लेकिन मेयर समेत तमाम पार्षदों के सामने संकट इस बात का है कि शहर में विकास कैसे होगा? ग्रेटर नगर निगम की माली हालत फिलहाल बेहद खराब है.
जानकार बताते है कि निगम के बैंक खाते में करीब 2 करोड़ रुपये ही फिलहाल शेष हैं. वहीं, करोड़ों रुपयों के विकास कार्यों के बीते महीनो में हुए टेंडर भी निगम ने निरस्त कर दिए हैं. ऐसे में अब उससे बचने के लिए 500 करोड़ रुपयों का कर्ज लेने की तैयारी है.
ग्रेटर नगर निगम 500 करोड़ का क़र्ज़ हुडको से लेने की तैयारी में है. 28 जनवरी को होने वाली साधारण सभा में इसका प्रस्ताव रखा जाएगा. उधर, ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर इस कंगाली को लेकर बीते 2 साल को दोष दे रही हैं. उनका आरोप है कि 2 साल में निगम को लूटा गया है, जिसके कारण निगम का बजट 350 करोड़ माइनस में है. निगम के सामने हालात ऐसे हैं कि यदि कर्जा नहीं लिया जाता है तो नए बोर्ड में विकास कार्य शुरू होने पर भी संशय है. यदि कर्जा लिया जाता है तो फिर उसे चुकाया कैसे जाएगा, ये भी अपने आप में बड़ा सवाल है.
जानकार बताते है कि निगम के बैंक खाते में करीब 2 करोड़ रुपये ही फिलहाल शेष हैं. वहीं, करोड़ों रुपयों के विकास कार्यों के बीते महीनो में हुए टेंडर भी निगम ने निरस्त कर दिए हैं. ऐसे में अब उससे बचने के लिए 500 करोड़ रुपयों का कर्ज लेने की तैयारी है.
ग्रेटर नगर निगम 500 करोड़ का क़र्ज़ हुडको से लेने की तैयारी में है. 28 जनवरी को होने वाली साधारण सभा में इसका प्रस्ताव रखा जाएगा. उधर, ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर इस कंगाली को लेकर बीते 2 साल को दोष दे रही हैं. उनका आरोप है कि 2 साल में निगम को लूटा गया है, जिसके कारण निगम का बजट 350 करोड़ माइनस में है. निगम के सामने हालात ऐसे हैं कि यदि कर्जा नहीं लिया जाता है तो नए बोर्ड में विकास कार्य शुरू होने पर भी संशय है. यदि कर्जा लिया जाता है तो फिर उसे चुकाया कैसे जाएगा, ये भी अपने आप में बड़ा सवाल है.