सूबे की गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने पिछड़े सवर्णों (Backward upper castes) को राहत देते हुए उनको देय 10 प्रतिशत आरक्षण (10 percent reservation) में बाधा बन रहे भूमि और भवन संबंधी प्रावधान (Provision of land and buildings) को खत्म कर दिया है. कार्मिक विभाग ने रविवार को इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है. सरकार के इस निर्णय से ईडब्ल्यूएस आरक्षण (EWS Reservation) की एक बड़ी जटिलता (Complexity) समाप्त हो गई है. अब पिछड़े सवर्णों को प्रमाण-पत्र (Certificate) बनवाने में आसानी रहेगी.
के तहत प्रमाण-पत्र बनने शुरू हो जाएंगे. स्थानीय अधिकारियों को भी सरकार के इस निर्णय से बड़ी राहत मिली है. पहले
की 20 फीसदी से भी कम आबादी इस आरक्षण के दायरे में आ रही थी. लेकिन इस बदलाव के बाद अब EWS आरक्षण में 90 फीसदी से ज्यादा आबादी कवर हो जाएगी. सरकार के इस फैसले से प्रक्रियाधीन भर्तियों में भी अभ्यर्थियों को लाभ मिल सकेगा.
राज्य में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों (EWS) को देय 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए अब परिवार की कुल वार्षिक आय अधिकतम 8 लाख रुपए ही आधार मानी जाएगी. संपत्ति संबंधी प्रावधान पूरी तरह से समाप्त कर दिए गए है.
उल्लेखनीय है कि सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के सामान्य वर्ग के उस हिस्से को फायदा मिलेगा जो संपत्ति संबंधी प्रावधानों के चलते अब तक आरक्षण के दायरे से बाहर हो रहे थे. पेचिदा प्रक्रिया होने के कारण उनके ईडब्ल्यूएस के प्रमाण पत्र नहीं बन रहे थे. इसके चलते दो दिन पहले ही सीएम अशोक गहलोत ने इन प्रावधानों को हटाने की घोषणा की थी. आरक्षण की पात्रता में बदलाव करने की घोषणा के बाद राज्य सरकार ने तत्काल ही नियमों को अमली जामा पहना दिया है.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2019, 19:38 IST