गुलाबी नगर जयपुर यूं तो इन दिनों में पर्यटकों से गुलजार रहता है. लेकिन इस बार कोरोना (COVID-19) ने पूरी दुनिया की तरह महाराजा जयसिंह द्वारा स्थापित इस शहर की रौनक ही छीन ली है. कोरोना से निपटने के लिए किए गए 'लॉकडाउन' (Lockdown) ने इस शहर को पूरी तरह शांत कर दिया है. खास लोग आइसोलेशन (Isolation) में जाकर लोगों को सामाजिक दूरी बनाने का संदेश दे रहे हैं तो मध्यमवर्गीय परिवार इस बीमारी के खत्म होने और लॉकडाउन के टूटने का इंतजार कर रहे हैं.
में वे लोग हैं जो रोज कमाते हैं और उस दिन की कमाई से अपने खाने पीने का बंदोबस्त कर पाते हैं. ऐसे लोगों में दूसरे राज्यों से राज्यों से आए हुए लोग भी शामिल हैं तो दूरदराज के गांवों से मजदूरी करने के लिए आये लोगों की भी बड़ी तादाद है. जाहिर है ऐसे लोगों के लिए दो जून की रोटी एक बड़ी मुश्किल बन गई है. ऐसे लोगों के लिए
और सरकारी मशीनरी हरकत में आई तो थोड़ी बहुत व्यवस्था भी होने लगी. लेकिन उन बेजुबान पर शायद ही किसी की निगाह गई जो अपने खानपान के लिए लोगों पर निर्भर है. घरों के दरवाजों पर ताले क्या लगे इन बेजुबानों के लिए भोजन की व्यवस्था भी मुश्किल हो गई. परिंदों ने भोजन की तलाश में लंबी उड़ानें भरनी शुरू कर दी. बड़ी तादाद में जयपुर के भीतरी हिस्सों में दिखाई देने वाले बंदर भी अंदरुनी हिस्सों से निकल नाहरगढ़ की पहाड़ियों की तरफ भोजन की तलाश में निकल पड़े हैं.
अब मुश्किल थी तो घरों से बाहर भटकते जानवरों और गली मोहल्लों में रखवाली करने वाले कुत्तों की. वैसे तो ज्यादातर घरों में पहली रोटी गाय और दूसरी रोटी कुत्ते के लिये बनाने की परंपरा लगभग हर घर में रही है. लेकिन यकायक आई आपदा में ज्यादातर लोग अपने और अपनों का इंतजाम करने में सीमित हो गए. फिर रेस्त्रां और भोजनालय बंद हुए सो अलग. देशभर में प्रधानमंत्री के आह्वान पर लॉकडाउन से पहले ही राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार कोरोना की इस महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन का फैसला कर चुकी थी.
प्रधानमंत्री मोदी ने इस लॉडाउन को 15 अप्रैल तक बढ़ाने का फैसला किया तो इन आवारा कुत्तों को लेकर "कैनल क्लब राजस्थान" के सचिव वीरेंद्र शर्मा की चिंता और बढ़ गई. शर्मा ने अपनी इस चिंता से जयपुर के पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव को अवगत कराया और डॉग फीडिंग के लिए पास मुहैया कराने की गुजारिश की. पहले से ही अपने पुलिस अमले की मदद से गरीब-बेसहारा लोगों के लिए भोजन के इंतजाम में जुटे आनंद श्रीवास्तव वीरेंद्र शर्मा की चिंता से सहमत थे. लिहाजा लॉकडाउन में सड़कों पर रहने वाले हजारों डॉग्स को जिंदा रखने की जद्दोजहद में पहले भोजन की व्यवस्था हुई और फिर वाहन की। लेकिन सबकी निगाहें उस वक्त एक परी कृतिका श्रीवास्तव पर टिक गई जो खुद चावल और भोजन लिए सड़कों पर इन बेजुबान कुत्तों को भोजन परोसती दिखाई पड़ी.
जयपुर के जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल में 11वीं कक्षा की छात्रा कृतिका ने शहर के कई हिस्सों में जाकर बेसहारा कुत्तों को भोजन कराने का जिम्मा कुछ इस तरह से उठाया कि "कैनल क्लब ऑफ राजस्थान" के सदस्यों के बीच सोशल मीडिया पर इन दिनों इस नन्ही परी की सेवा चर्चा का विषय बनी हुई है. कृतिका के पिता आनंद श्रीवास्तव जयपुर के पुलिस कमिश्नर हैं और अपने दल बल के साथ लोगों की सेवा में जुटे हैं. पिता आनंद श्रीवास्तव अपनी मशीनरी के सहारे जरूरतमंद और बेसहारा लोगों को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं तो बेटी कृतिका बेसहारा बेजुबान कुत्तों और परिंदों को भोजन उपलब्ध करा रही है. दलील यह कि अपने वफादार दोस्त की मदद इंसान नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा ?
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FIRST PUBLISHED : March 27, 2020, 16:07 IST