में है. बीजेपी ने अपनी दूसरी सूची में अलवर सीट पर फिर से नाथ सम्प्रदाय के महंत पर भरोसा जताया है. इससे पहले बीजेपी अपनी पहली सूची में सीकर लोकसभा क्षेत्र से स्वामी सुमेधानंद को चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान कर चुकी है.
दरअसल, प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में साधु संतों का अपना-अपना प्रभाव है.
दोनों ही क्षेत्र ऐसे हैं जहां बीजेपी की स्थिति ज्यादा बेहतर नहीं रही है. शेखावाटी को
गढ़ माना जाता है. शेखावाटी के तीनों जिले सीकर, चूरू और झुंझुनूं जाट बहुल हैं. इनमें हरियाणा से आकर सीकर के समीप पिपराली में आश्रम बनाकर रह रहे स्वामी सुमेधानंद सरस्वती स्वयं जाट जाति से हैं. उनका जाट समाज पर अच्छा खासा प्रभाव है. लिहाजा, सीकर के रण को जीतने के लिए बीजेपी ने सुमेधानंद पर दांव खेला था और वहां जीत दर्ज कराई थी. इस बार फिर बीजेपी ने यहां स्वामी सुमेधानंद पर भरोसा जताया है, जबकि उनका स्थानीय स्तर पर विरोध हो रहा है.
कमोबेश ऐसे ही हालात अलवर के हैं. कांग्रेस की छाप वाले इस जिले में वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बहरोड़ के विधायक रहे नाथ सम्प्रदाय के महंत चांदनाथ को चुनाव मैदान में उतारकर कांग्रेस के कब्जे से अलवर सीट छीनी थी. वर्ष 2017 में महंत चांदनाथ के निधन से रिक्त हुई सीट पर बीजेपी ने उपचुनाव में अपने मंत्री जसवंत सिंह चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन वह कांग्रेस से मात खा गई. उस दौरान भी महंत चांदनाथ के उत्तराधिकारी ने बालकनाथ ने दावेदारी जताई थी, लेकिन पार्टी ने तव्वजो नहीं दी. अब इस बार पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. लिहाजा हाथ से फिसली हुई अलवर सीट को पुन: पाने के लिए बीजेपी पूर्व सांसद चांदनाथ के उत्तराधिकारी बाबा बालकनाथ को चुनाव मैदान में उतार अपनी जीत सुनिश्चित करने में जुटी है.
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FIRST PUBLISHED : March 29, 2019, 18:06 IST