होटल संचालकों के दबाव में तोड़े जा रहे पैमाने, दायर होगी अवमानना याचिका

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में अब सभी तय पैमाने होटल संचालकों के दबाव में तथाकथित विशेषज्ञों का हवाला देकर तोड़े जा रहे हैं. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने वाले अजय दुबे ने कहा है कि वे अवमानना याचिका लगाएंगे.
रणथंभौर टाइगर रिजर्व में अब सभी तय पैमाने होटल संचालकों के दबाव में तथाकथित विशेषज्ञों का हवाला देकर तोड़े जा रहे हैं. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने वाले अजय दुबे ने कहा है कि वे अवमानना याचिका लगाएंगे.
- ETV Rajasthan
- Last Updated: June 21, 2017, 7:36 PM IST
रणथंभौर टाइगर रिजर्व में अब सभी तय पैमाने होटल संचालकों के दबाव में तथाकथित विशेषज्ञों का हवाला देकर तोड़े जा रहे हैं. ऐसे में इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने वाले अजय दुबे ने साफ कर दिया है कि वे अवमानना याचिका लगाएंगे और राजस्थान में इस लालची कदम को उठाने वालों को जेल भिजवाकर ही दम लेंगे.
अब होटल और पर्यटन लॉबी के दबाव में टाइगर रिजर्व के कोर जोन में ही पर्यटन शुरू कर देने की बात सामने आ रही है. अब बड़ा सवाल ये है कि वन विभाग से लेकर, वन्यजीव सलाहकार मंडल और वनमंत्री तक सभी सुर एकदम ऐसे कैसे बदल गए.
वे सभी अचानक पर्यटन को बरसात में बेहतर मानने लग गए हैं. जब पर्यटन की इजाजत ही 20 फीसदी इलाके में है तो वन विभाग सिर्फ 20 फीसदी इलाके की मॉनिटरिंग को लेकर या फिर पर्यटन शुरू करने को लेकर ज्यादा आतुर है.
जब मॉनिटिरंग ही करनी है तो क्या वन विभाग अब तक पर्यटन से दूर रखे गए 80 फीसदी इलाकों में भी मॉनिटरिंग के नाम पर पर्यटन शुरू कर देगा?2012 में जब देशभर के टाइगर रिजर्व में पर्यटन पर पाबंदी लगा दी गई थी कि जब राजस्थान ने भी बाकायदा शपथ- पत्र पेश कर ये कहा था कि वे बाघ संरक्ष्ण के लिए सभी तय पैमानों की पालना करेगा.
बरसात सिर्फ टाइगर ही नहीं बल्की बहुत से वन्यजीवों का प्रजननकाल होता है. . ऐसे में सुरक्षा और वन्यजीवों के भविष्य दोनों को दांव पर लगाकर वन विभाग ऐसा कौन सा बदलाव मॉनिटरिंग से लाना चाहता है, ये देखने वाली बात होगी.
अब होटल और पर्यटन लॉबी के दबाव में टाइगर रिजर्व के कोर जोन में ही पर्यटन शुरू कर देने की बात सामने आ रही है. अब बड़ा सवाल ये है कि वन विभाग से लेकर, वन्यजीव सलाहकार मंडल और वनमंत्री तक सभी सुर एकदम ऐसे कैसे बदल गए.
वे सभी अचानक पर्यटन को बरसात में बेहतर मानने लग गए हैं. जब पर्यटन की इजाजत ही 20 फीसदी इलाके में है तो वन विभाग सिर्फ 20 फीसदी इलाके की मॉनिटरिंग को लेकर या फिर पर्यटन शुरू करने को लेकर ज्यादा आतुर है.
जब मॉनिटिरंग ही करनी है तो क्या वन विभाग अब तक पर्यटन से दूर रखे गए 80 फीसदी इलाकों में भी मॉनिटरिंग के नाम पर पर्यटन शुरू कर देगा?2012 में जब देशभर के टाइगर रिजर्व में पर्यटन पर पाबंदी लगा दी गई थी कि जब राजस्थान ने भी बाकायदा शपथ- पत्र पेश कर ये कहा था कि वे बाघ संरक्ष्ण के लिए सभी तय पैमानों की पालना करेगा.
बरसात सिर्फ टाइगर ही नहीं बल्की बहुत से वन्यजीवों का प्रजननकाल होता है. . ऐसे में सुरक्षा और वन्यजीवों के भविष्य दोनों को दांव पर लगाकर वन विभाग ऐसा कौन सा बदलाव मॉनिटरिंग से लाना चाहता है, ये देखने वाली बात होगी.