Rajasthan Panchayat elections: भरतपुर के डीग-कुम्हेर में कांग्रेस ने किसी को नहीं दिया सिंबल, जानें वजह

नो टू सिंबल फार्मूले के पीछे विश्वेंद्र सिंह की खुद की ताकत दिखाने की रणनति से जोड़कर देखा जा रहा है.
Panchayati Raj elections Politics: इन चुनावों में भरतपुर में कांग्रेस में हुई राजनीति चर्चा का विषय बनी हुई है. यहां पूर्व मंत्री एवं विधायक विश्वेन्द्र सिंह (Vishvendra Singh) ने एक भी प्रत्याशी को पार्टी का सिंबल नहीं सौंपा है.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: December 1, 2020, 8:10 AM IST
जयपुर. पंचायती राज चुनाव (Panchayati Raj elections) में प्रदेश के भरतपुर जिले की डीग और कुम्हेर नगरपालिकाओं के कांग्रेस (Congress) का एक भी उम्मीदवार नहीं उतारे जाने पर अब कांग्रेस की अंदरुनी सियासत गरमायी हुई है. दो नगरपालिकाओं में सत्ताधारी पार्टी के सिंबल नहीं बंटना राजनीकि हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है. पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह (Vishvendra Singh) डीग-कुम्हेर से विधायक हैं. इस बार टिकट वितरण में विधायकों की ही चली है. लेकिन विश्वेंद्र सिंह ने किसी भी सीट पर एक भी उम्मीदवार को कांग्रेस के सिंबल पर नहीं उतारने दिया. सियासी हलकों में इसे विश्वेंद्र सिंह का खुद की ताकत दिखाने से जोड़कर देखा जा रहा है.
विश्वेंद्र सिंह सचिन पायलट खेमे के विधायक हैं. पायलट की बगावत के समय विश्वेंद्र सिंह सचिन पायलट के साथ थे. इस वजह से उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ा था. अब भरतपुर में निकाय चुनावों के बहाने विश्वेंद्र सिंह ने पार्टी नेतृत्व के सामने यह जताने का प्रयास किया है कि वे फील्ड में पकड़ रखते हैं. यही वजह है कि दोनों नगरपालिकाओं के 65 वार्डों में पार्षद उम्मीदवार कांग्रेस की जगह विश्वेंद्र सिंह के फोटो पर चुनाव लड़ रहे हैं.
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सिंह का दावा दोनों नगरपालिकाओं में कांग्रेस का बोर्ड बनाकर दूंगा
विश्वेंद्र सिंह का कहना है कि रणनीति के तहत डीग और कुम्हेर नगरपालिकाओं में हमने सिंबल पर उम्मीदवार नहीं उतारे. क्योंकि दावेदार बहुत थे. इससे नाराजगी बढ़ती. बकौल सिंह उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को इस रणनीति से अवगत करवा दिया था. प्रदेशाध्यक्ष ने कहा था कि आप जो रणनीति अपनाइए हमें तो दोनों जगह कांग्रेस पार्टी का बोर्ड चाहिए. डोटासरा की सहमति के बाद ही दोनों जगह सिंबल पर उम्मीदवार नहीं उतारे. सिंह ने दावा किया है कि वे दोनों नगरपालिकाओं में कांग्रेस का बोर्ड बना देंगे. सिंह का कहना है कि विश्वास बड़ी चीज है और उन्हें मुझ पर भरोसा करना चाहिए.
सिंह बोले- क्या अब भी किसी प्रमाण की आवश्यकता है ?
सिंह ने कहा कि वर्ष 2008 से लेकर वर्तमान तक भरतपुर संभाग में पार्टी के विश्वास पर हम सदैव खरे उतरे और जीत का परचम लहराया है. 25 साल बाद बीजेपी के तिलिस्म को तोड़कर कांग्रेस ने नगर निगम पर कब्जा किया है. चाहे बीजेपी सरकार में हुए उपचुनाव हो या फिर गोपालगढ़ जैसे सांप्रदायिक दंगे उन्होंने अत्यंत शांत तरीके से पार्टी को संकट से निकाला है. गुर्जर आंदोलन के दौरान कई बार सरकार के धर्म संकट को दूर किया. क्या अब भी किसी प्रमाण की आवश्यकता है ?
विश्वेंद्र सिंह की नो सिंबल रणनीति के क्या हैं मायने
डीग नगरपालिका के 40 और कुम्हेर नगरपालिका के 25 वार्डों में कांग्रेस के सिंबल पर एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा गया है. विश्वेंद्र सिंह ने अपने समर्थक नेताओं को निर्दलीय मैदान में उतारा है. कांग्रेस में विधायकों की सिफारिश पर ही पार्षदों के टिकट बांटे गए थे. निकाय चुनाव के लिए भरतपुर के पर्यवेक्षक विधायक गोपाल मीणा और पूर्व संसदीय सचिव दिलीप चौधरी देखते ही रह गए और विश्वेंद्र सिंह ने सिंबल किसी उम्मीदवार को नहीं दिया. नो टू सिंबल फार्मूले के पीछे विश्वेंद्र सिंह की खुद की ताकत दिखाने की रणनति से जोड़कर देखा जा रहा है.
विश्वेंद्र सिंह सचिन पायलट खेमे के विधायक हैं. पायलट की बगावत के समय विश्वेंद्र सिंह सचिन पायलट के साथ थे. इस वजह से उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ा था. अब भरतपुर में निकाय चुनावों के बहाने विश्वेंद्र सिंह ने पार्टी नेतृत्व के सामने यह जताने का प्रयास किया है कि वे फील्ड में पकड़ रखते हैं. यही वजह है कि दोनों नगरपालिकाओं के 65 वार्डों में पार्षद उम्मीदवार कांग्रेस की जगह विश्वेंद्र सिंह के फोटो पर चुनाव लड़ रहे हैं.
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विश्वेंद्र सिंह का कहना है कि रणनीति के तहत डीग और कुम्हेर नगरपालिकाओं में हमने सिंबल पर उम्मीदवार नहीं उतारे. क्योंकि दावेदार बहुत थे. इससे नाराजगी बढ़ती. बकौल सिंह उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को इस रणनीति से अवगत करवा दिया था. प्रदेशाध्यक्ष ने कहा था कि आप जो रणनीति अपनाइए हमें तो दोनों जगह कांग्रेस पार्टी का बोर्ड चाहिए. डोटासरा की सहमति के बाद ही दोनों जगह सिंबल पर उम्मीदवार नहीं उतारे. सिंह ने दावा किया है कि वे दोनों नगरपालिकाओं में कांग्रेस का बोर्ड बना देंगे. सिंह का कहना है कि विश्वास बड़ी चीज है और उन्हें मुझ पर भरोसा करना चाहिए.
सिंह बोले- क्या अब भी किसी प्रमाण की आवश्यकता है ?
सिंह ने कहा कि वर्ष 2008 से लेकर वर्तमान तक भरतपुर संभाग में पार्टी के विश्वास पर हम सदैव खरे उतरे और जीत का परचम लहराया है. 25 साल बाद बीजेपी के तिलिस्म को तोड़कर कांग्रेस ने नगर निगम पर कब्जा किया है. चाहे बीजेपी सरकार में हुए उपचुनाव हो या फिर गोपालगढ़ जैसे सांप्रदायिक दंगे उन्होंने अत्यंत शांत तरीके से पार्टी को संकट से निकाला है. गुर्जर आंदोलन के दौरान कई बार सरकार के धर्म संकट को दूर किया. क्या अब भी किसी प्रमाण की आवश्यकता है ?
विश्वेंद्र सिंह की नो सिंबल रणनीति के क्या हैं मायने
डीग नगरपालिका के 40 और कुम्हेर नगरपालिका के 25 वार्डों में कांग्रेस के सिंबल पर एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा गया है. विश्वेंद्र सिंह ने अपने समर्थक नेताओं को निर्दलीय मैदान में उतारा है. कांग्रेस में विधायकों की सिफारिश पर ही पार्षदों के टिकट बांटे गए थे. निकाय चुनाव के लिए भरतपुर के पर्यवेक्षक विधायक गोपाल मीणा और पूर्व संसदीय सचिव दिलीप चौधरी देखते ही रह गए और विश्वेंद्र सिंह ने सिंबल किसी उम्मीदवार को नहीं दिया. नो टू सिंबल फार्मूले के पीछे विश्वेंद्र सिंह की खुद की ताकत दिखाने की रणनति से जोड़कर देखा जा रहा है.