Rajasthan: दल बदल कानून को लेकर फिर गरमायी सियासत, बीजेपी-कांग्रेस में घमासान

चतुर्वेदी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष का इस तरह उच्च न्यायालय पर आक्षेप लगाना कतई उचित नहीं है.
दल-बदल कानून (Defection law) को लेकर प्रदेश में सियासत गरमायी हुई है. इस मसले पर विधानसभा स्पीकर डॉ. सीपी जोशी के सुझाव पर बीजेपी (BJP) ने पलटवार करते हुये कहा कि इस पर पूरा मंथन किया जाना चाहिये.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: November 28, 2020, 10:05 AM IST
जयपुर. चुने हुए जनप्रतिनिधियों के दल बदल कानून (Defection law) को लेकर प्रदेश में एक बार फिर से सियासत (Politics) गरमा गयी है. मामले को लेकर बीजेपी-कांग्रेस (BJP-Congress) एकदूसरे को नसीहतें देने में लग गई है. गुजरात में हाल ही में हुए पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में राजस्थान के स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने दल बदल कानून के लेकर दसवीं अनुसूची को खत्म करने की वकालत की है.
जोशी ने कहा कि पार्टी का व्हिप नहीं माने जाने पर विधायक की मेंबरशिप खत्म कर दी जानी चाहिए. जोशी ने कहा कि अब तो दल बदल का भी तोड़ निकाल लिया गया है. दो तिहाई की बजाय सीधे इस्तीफे दिलवा दो. इस मामले में प्रदेश बीजेपी का कहना है कि इस पर समग्र दृष्टि से विचार करने की आवश्यकता है.
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चतुर्वेदी ने कहा कि कोर्ट ने आदेश नहीं दिया था वह केवल सुझाव था
बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि दल बदल विधायक अटल बिहारी वाजपेई के समय आया था. इस कानून में कई तरह की कमियों के मामले सामने आए हैं. चतुर्वेदी ने कहा कि इस मामले में पर पूरा मंथन होना चाहिए. इस कानून में कोई परिवर्तन किया जाना है तो उस पर मंथन किया जाना चाहिए. चतुर्वेदी ने पिछले दिनों राजस्थान में हुए पॉलीटिकल क्राइसिस को लेकर कहा कि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने उस समय बयान दिया था कि उच्च न्यायालय ने विधानसभा के अध्यक्ष को आदेश देने का काम किया है. चतुर्वेदी ने कहा कि वह एक आदेश नहीं था केवल सुझाव था.
उच्च न्यायालय पर आक्षेप लगाना कतई उचित नहीं है
चतुर्वेदी ने कहा कि पैरा 10 स्पष्ट रूप से कहता है कि विधानसभा के बाहर की गतिविधि को आधार नहीं बनाया जा सकता है. जबकि विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा की बाहर की गतिविधि को आधार बनाकर विधायकों को डिसक्वालीफिकेशन करने का नोटिस देने का काम किया था. निश्चित रूप से वह कार्रवाई परिधि से बाहर की थी. चतुर्वेदी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा का अध्यक्ष का इस तरह उच्च न्यायालय पर आक्षेप लगाना कतई उचित नहीं है.
जोशी ने कहा कि पार्टी का व्हिप नहीं माने जाने पर विधायक की मेंबरशिप खत्म कर दी जानी चाहिए. जोशी ने कहा कि अब तो दल बदल का भी तोड़ निकाल लिया गया है. दो तिहाई की बजाय सीधे इस्तीफे दिलवा दो. इस मामले में प्रदेश बीजेपी का कहना है कि इस पर समग्र दृष्टि से विचार करने की आवश्यकता है.
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बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि दल बदल विधायक अटल बिहारी वाजपेई के समय आया था. इस कानून में कई तरह की कमियों के मामले सामने आए हैं. चतुर्वेदी ने कहा कि इस मामले में पर पूरा मंथन होना चाहिए. इस कानून में कोई परिवर्तन किया जाना है तो उस पर मंथन किया जाना चाहिए. चतुर्वेदी ने पिछले दिनों राजस्थान में हुए पॉलीटिकल क्राइसिस को लेकर कहा कि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने उस समय बयान दिया था कि उच्च न्यायालय ने विधानसभा के अध्यक्ष को आदेश देने का काम किया है. चतुर्वेदी ने कहा कि वह एक आदेश नहीं था केवल सुझाव था.
उच्च न्यायालय पर आक्षेप लगाना कतई उचित नहीं है
चतुर्वेदी ने कहा कि पैरा 10 स्पष्ट रूप से कहता है कि विधानसभा के बाहर की गतिविधि को आधार नहीं बनाया जा सकता है. जबकि विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा की बाहर की गतिविधि को आधार बनाकर विधायकों को डिसक्वालीफिकेशन करने का नोटिस देने का काम किया था. निश्चित रूप से वह कार्रवाई परिधि से बाहर की थी. चतुर्वेदी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा का अध्यक्ष का इस तरह उच्च न्यायालय पर आक्षेप लगाना कतई उचित नहीं है.