राजस्थान उपचुनाव: वसुंधरा राजे साइडलाइन, ट्विटर पर कुछ यूं निकाली भड़ास

वसुंधरा राजे अधिकतर समय धौलपुर में अपने महल में ही बिता रही हैं.
Rajastha Bye election: राजस्थान उपचुनाव के आगाज से पहले आठ मार्च को वसुंधरा राजे (Vasudharan Raje) ने भरतपुर में जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन किया था लेकिन उपचुनाव में राजे समर्थक नेताओं के पास कोई काम नहीं. नामांकन रैलियों में भी न राजे थीं, न उनके पोस्टर.
- News18Hindi
- Last Updated: April 7, 2021, 7:40 PM IST
जयपुर. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे फिर दो वजहों से चर्चा में हैं. बीजेपी के स्थापना दिवस के मौके पर किए ट्वीट से और दूसरी वजह राजस्थान विधानसभा के उपचुनाव और पांच राज्य के चुनाव से राजे का गायब होना. राजे ने ट्वीट किया कि पार्टी में कोई छोटा बड़ा नहीं होता है. यहां सभी कार्यकर्ता है. इन कार्यकर्ताओं के दिल में देशसेवा का जो संकल्प है, वो किसी पद का मोहताज नहीं. बीजेपी में चर्चा है कि राजे का ट्वीट उनकी हताशा और निराशा की भड़ास है. राजस्थान में तीन सीटों पर उपचुनाव के लिए चुनाव-प्रचार चल रहा है लेकिन राजे प्रत्याशियों के नामांकन से लेकर अभी तक किसी प्रत्याशी के प्रचार मे नजर नहीं आईं. नामांकन रैलियों में भी न राजे थीं, न उनके पोस्टर.
मसला सिर्फ इतना नहीं है. तीनों सीटों पर उपचुनाव में सुजानगढ़ सीट पर प्रत्याशी खेमाराम मेघवाल और सहाड़ा सीट पर प्रत्याशी रतनलाल जाट टिकट से पहले तो राजे समर्थक माने जाते थे. टिकट मिलते ही दोनों ने भी दूरी बना ली है. वजह है टिकट में राजे की भूमिका नहीं थी. तीनों सीटों पर चुनाव-प्रचार में न सिर्फ राजे, पार्टी में उनके समर्थक भी किनारे हैं. उपचुनाव के आगाज से पहले आठ मार्च को राजे ने भरतपुर में अपनेे जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन किया था लेकिन उपचुनाव में राजे समर्थक नेताओं के पास कोई काम नहीं है. राजे ने ये ट्वीट अपने समर्थक नेताओं और कार्यकर्ताओं की हताशा को देखकर किया. लेकिन ट्वीट ने उनकी अनदेखी भी जाहिर कर दी.

मसला सिर्फ राजस्थान का नहीं. पांच राज्यों के चुनाव में पश्चिम बंगाल और असम में राजस्थानी वोटरों की अहम भूमिका है. राजे का संपर्क और प्रभाव भी है. बावजूद राजे न अब बंगाल गईं, न असम. इसके उलट राजे के धुर विरोधी नेता गजेद्र सिंह शेखावत, राजेंद्र राठौड़ और राज्य वर्धन राठौड़ बंगाल में न सिर्फ चुनाव-प्रचार कर रहे हैं बल्कि कई सीटों के चुनाव प्रबंधन की बागडोर संभाल रहे हैं.राजे अधिकतर समय धौलपुर में अपने महल में ही बिता रही हैं. पहले पार्टी की बैठकों में कई बार न आने की वजह बहू निहारिका राजे के बीमार होने को बताया. लेकिन उसके बाद राजे ने अपने जन्मदिवस पर दो दिन की धुंआधार देव-दर्शन यात्रा निकाल कर पार्टी को संदेश दिया कि उनकी ताकत और लोकप्रियता बरकरार है. पार्टी चाहे तो उनका इस्तेमाल कर सकती है. बावजूद अभी तक पार्टी ने उन्हें चुनाव प्रचार के लिए नहीं उतारा. उपचुनाव से पहले राजे समर्थकों ने कई दफा मांग की कि उन्हें राजस्थान में 2023 के लिए पार्टी का सीएम प्रोजेक्ट किया जाए. चुनाव में राजे को आगे किया जाए लेकिन पार्टी नेतृत्व का रुख देख राजे समर्थक मायूस हैं. खामोश भी हैं. राजे विरोधी कैंप इस कोशिश में है कि उपचुनाव में तीनो सीट या कम से कम दो सीट राजे के बिना जीतकर ये साबित कर दिया जाए कि उनके बगैर चुनाव जीते जा सकते हैं.
मसला सिर्फ इतना नहीं है. तीनों सीटों पर उपचुनाव में सुजानगढ़ सीट पर प्रत्याशी खेमाराम मेघवाल और सहाड़ा सीट पर प्रत्याशी रतनलाल जाट टिकट से पहले तो राजे समर्थक माने जाते थे. टिकट मिलते ही दोनों ने भी दूरी बना ली है. वजह है टिकट में राजे की भूमिका नहीं थी. तीनों सीटों पर चुनाव-प्रचार में न सिर्फ राजे, पार्टी में उनके समर्थक भी किनारे हैं. उपचुनाव के आगाज से पहले आठ मार्च को राजे ने भरतपुर में अपनेे जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन किया था लेकिन उपचुनाव में राजे समर्थक नेताओं के पास कोई काम नहीं है. राजे ने ये ट्वीट अपने समर्थक नेताओं और कार्यकर्ताओं की हताशा को देखकर किया. लेकिन ट्वीट ने उनकी अनदेखी भी जाहिर कर दी.
