रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पूर्व में बतौर एक ब्यूरोक्रेट (आईएएस अधिकारी) कई बड़ी जिम्मेदारियां उठा चुके हैं.
जयपुर. राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election) होने हैं. विधानसभा चुनाव 2023 के लिए दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और बीजेपी में अगले मुख्यमंत्री के प्रोजेक्शन को लेकर जद्दोजहद चल रही है. हाल ही में राजधानी जयपुर में आयोजित हुई ब्राह्मण महापंचायत में राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर एक और केंद्रीय मंत्री को प्रोजेक्ट कर दिया गया है. यह नाम है रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव (Railway Minister Ashwini Vaishnav) का. हालांकि यह बात दीगर है कि वे जोधपुर से आते हैं और जोधपुर के ही एक अन्य केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत भी बीजेपी के दिग्गज नेता हैं. ब्राह्मण महापंचायत में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस ‘प्रोजेक्शन’ के अपने राजनीतिक मायने हैं और अब नए राजनीतिक समीकरण बनते नजर आ रहे हैं.
ब्राह्मण महापंचायत में अश्विनी वैष्णव बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे. वैष्णव को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2021 में कैबिनेट में शामिल किया था. उनका राजनीतिक करियर भी उतना लंबा नहीं है लेकिन महापंचायत में दिया गया उनका छोटा सा लेकिन प्रभावी भाषण उनकी राजनीतिक दक्षता को उजागर कर गया. उन्होंने इस जनसभा को पीएम मोदी के चिर-परिचित अंदाज में संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने लोगों से आग्रह भी किया कि उन्हें ‘सर’ या ‘अश्विनीजी’ नहीं बल्कि अश्विनी भाई कहकर संबोधित किया जाए. ब्राह्मण महापंचायत में उन्होंने भगवान परशुराम पर डाक टिकट भी जारी किया.
राजस्थान की आबादी में ब्राह्मणों का हिस्सा 7 से 7.5 फीसदी है
उल्लेखनीय है कि राजस्थान की आबादी में ब्राह्मणों का हिस्सा 7 से 7.5 फीसदी है. राजस्थान के ज्यादातर मुख्यमंत्री भी इसी समाज से आते रहे हैं. हालांकि यह बात और है कि यहां अंतिम बार ब्राह्मण समाज से मुख्यमंत्री 33 साल पहले बना था. राजस्थान में ब्राह्मणों से ज्यादा जनसंख्या मुस्लिमों और जाटों की है. लेकिन अभी तक एक ही मुस्लिम मुख्यमंत्री के ओहदे तक पहुंच पाया है. वहीं जाट समाज को आज भी जाट मुख्यमंत्री का इंतजार है. राजस्थान के पहले चार मुख्यमंत्रियों में से तीन ब्राह्मण थे.
राजस्थान के पहले चार में से तीन सीएम ब्राह्मण थे
इनमें सबसे पहले मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री, तीसरे जयनारायण व्यास और चौथे टीकाराम पालीवाल थे. इनमें सिर्फ दूसरे मुख्यमंत्री सी. एस. वेंकटाचारी ही एक अपवाद थे जो 1951 में मात्र 4 महीने मुख्यमंत्री रहे. अंतिम ब्राह्मण मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी रहे थे. वे 1990 तक तीन बार मुख्यमंत्री रहे. केंद्रीय रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव जोधपुर से आते हैं. वहां उनके अलावा दो और दिग्गज राजनीतिज्ञ हैं. इनमें मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत हैं.
घनश्याम तिवाड़ी 6 बार विधायक रहे हैं
मौजूदा दौर में ब्राह्मणों के एक दिग्गज नेता घनश्याम तिवाड़ी हैं. वे 6 बार विधायक रहे हैं. उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मतभेदों के चलते अपनी अलग पार्टी बना ली थी. वर्ष 2018 के चुनाव में उनकी पार्टी असफल रही तो उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. हालांकि जैसे ही पिछले साल वे फिर से बीजेपी में वापस आए तो पार्टी ने उन्हें बतौर सांसद राज्यसभा भेज दिया. फिलहाल उनकी उम्र 75 साल से ज्यादा है.
वैष्णव प्रदेश बीजेपी के लिए एक फ्रैश फेस की तरह उभरे हैं
बीजेपी में अन्य ब्राह्मण चेहरे जो महापंचायत में दिखाई दिए उनमें जयपुर सांसद रामचरण बोहरा, चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी और चौमूं विधायक बीजेपी के प्रमुख प्रवक्ता रामलाल शर्मा शामिल हैं. ब्राह्मण महापंचायत के दौरान अश्विनी वैष्णव प्रदेश बीजेपी के लिए एक फ्रैश-फेस की तरह उभरे हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के नजदीकी माने जाने वाले वैष्णव एक नई राजनीतिक बिसात बिछाते नजर आते हैं.
2019 में ओडिशा से राज्यसभा सांसद बने हैं वैष्णव
जुलाई 2019 में ओडिशा से राज्यसभा सांसद के तौर पर चुने जाने से पहले अश्विनी वैष्णव बतौर एक ब्यूरोक्रेट (आईएएस अधिकारी) कई बड़ी जिम्मेदारियां उठा चुके हैं. वे 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव भी रह चुके हैं. हालांकि अश्विनी वैष्णव को बतौर अगला मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया जाना आसान नहीं है. मुख्यमंत्री की रेस में उनकी ही पार्टी से कई कद्दावर नेता पहले से मौजूद हैं. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अलावा लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, भूपेन्द्र यादव और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनियां शामिल हैं.
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