राजस्थान बीजेपी प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने इस बात के संकेत दिए हैं कि फैसला जल्द हो सकता है.
जयपुर. राजस्थान बीजेपी में नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) के नाम की घोषणा को लेकर हलचल बढ़ गई है. प्रदेशाध्यक्ष के बाद अब बीजेपी (BJP) रविवार को नेता प्रतिपक्ष की घोषणा कर सकती है. पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने इस बात के संकेत दिए हैं कि विधायक दल की बैठक में नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर लग जायेगी. वहीं प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के चेहरे की मुस्कुराहट इसी बात के संकेत दे रही है कि नेता प्रतिपक्ष की घोषणा से बीजेपी अब ज्यादा दूर नहीं है. नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में कई नेताओं के नामों की चर्चा है. लेकिन दौड़ उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ सबसे आगे बताए जा रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष के नाम से पहले बीजेपी में मैराथन बैठकों का दौर जारी है. पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के साथ लंबी मंत्रणा की है. संघ के प्रचारकों के साथ राय मशविरा किया गया है. नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में राजेंद्र राठौड़ सबसे आगे हैं. राठौड़ सात बार के विधायक हैं. वे चार बार के मंत्री भी रह चुके हैं. राठौड़ पार्टी की विधानसभा में वो मुखर आवाज है जो सत्ता पक्ष को घेरने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं.
कैलाश मेघवाल भी हैं रेस में शामिल
राठौड़ के नाम पर वसुंधरा गुट को छोड़ लगभग सभी की सहमति की खबर है. दूसरा नाम कैलाश मेघवाल का है. वे जनसंघ के जमाने के नेता हैं. उन्होंने छह बार विधानसभा का चुनाव जीता है. तीन बार सांसद रहे हैं. बूटासिंह जैसे दिग्गज नेताओं को हराने का श्रेय भी कैलाश मेघवाल को जाता है. वे भैरोंसिंह सरकार में गृहमंत्री रह चुके हैं. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं. मेघवाल की पहचान दलित समुदाय की सबसे मुखर आवाज के तौर पर है. लेकिन संघ का कितना समर्थन मेघवाल को मिलेगा यह अभी तय नहीं है.
जोगेश्वर गर्ग की दावेदारी भी है मजबूत
कैलाश मेघवाल के अलावा जोगेश्वर गर्ग की भी मजबूत दावेदारी है. जालोर से चार बार के विधायक गर्ग वर्तमान में राजस्थान विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के सचेतक हैं. संघनिष्ठ हैं. उनके आचार विचार और व्यवहार में आरएसएस से जुड़ाव साफ झलकता है. वैसे कुछ नेता पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का भी नाम ले रहे हैं. लेकिन न तो पूनिया की कहीं कोई लॉबिंग इस बाबत दिखाई पड़ रही है और न ही वे इस पद में कोई दिलचस्पी जाहिर कर रहे हैं. संघ का एक धड़ा जरूर पूनिया की पैरवी करता दिख रहा है. लेकिन उस धड़े की कितनी चलेगी ये भी साफ नहीं है.
पार्टी इन मापदंडों का रख रही है ख्याल
गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद से बीते करीब पौने दो महीने से नेता प्रतिपक्ष को लेकर अटकलों का ही बाजार गर्म रहा. रविवार को अटकलें थमने के आसार हैं. पार्टी नेता प्रतिपक्ष के चयन में तजुर्बे के साथ नेता की जाति का भी ध्यान रखेगी. वह ऐसे नेता के नाम का ऐलान करने की जुगत बिठा रही है जो गुटबाजी को पार्टी से दूर रखकर सारे सियासी समीकरण साधने में माहिर हो. इसके साथ ही इस बात का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि वह नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाला हो. जो पार्टी को सत्ता में लाने में जी जान से जुट जाए.
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