जयपुर. कांग्रेस में कई जिलों में जिलाध्यक्ष ने नाम को लेकर नेताओं में एकराय नहीं बन पा रही है. नेताओं की आपसी खींचतान के चलते जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों की दूसरी सूची अभी तक अटकी हुई है. कांग्रेस में जयपुर शहर जिलाध्यक्ष पद को लेकर भी खींचतान है. पार्टी के बड़े नेता अपने-अपने करीबी को जिलाध्यक्ष पद पर काबिज करवाना चाहते हैं. ऊपर से पार्टी भले ही एक होने का दावा करती हो लेकिन हकीकत यह है कि अंदर ही अंदर खींचतान जारी है.
जिलाध्यक्ष पद की इस होड़ में कई दूसरे विवाद भी खुलकर सामने आ रहे हैं. हाल ही में सामने आया करबला विवाद और नगर निगम हेरिटेज में कमेटियों के विवाद की मूल वजह भी जिलाध्यक्ष पद की खींचतान ही मानी जा रही है. करबला में क्रिकेट मैच करवाने में जब जयपुर के एक मंत्री पुत्र का नाम सामने आया तो इस पर खूब हंगामा हुआ और मामले को बड़ा तूल देने की कोशिशें हुईं. माना जा रहा है कि जयपुर के कुछ कांग्रेस नेताओं की ही इस मामले को तूल देने में बड़ी भूमिका थी। मामला अब मुख्यमंत्री तक भी पहुंच चुका है.
नेता अपने करीबी को बनाना चाहते जिलाध्यक्ष
जयपुर शहर में कांग्रेस के चार विधायक हैं जिनमें से दो मंत्री हैं. इन चारों में जिलाध्यक्ष के नाम को लेकर एकराय नहीं है. मंत्री जहां अपने-अपने करीबी को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते हैं तो एक विधायक खुद भी जिलाध्यक्ष की दौड़ में है. इसी के चलते नेताओं की अंदरूनी तौर पर खींचतान चल रही है. हेरिटेज नगर निगम की कमेटियों में हो रही देरी को भी इसी विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है.
करबला विवाद के बाद हाल ही में कमेटियों को लेकर निर्दलीय पार्षदों का विवाद भी मूल रूप से इसी की उपज माना जा रहा है. लम्बे समय से शहर के कांग्रेस नेताओं द्वारा एक ही बात कही जा रही है कि कमेटियों का गठन अब जल्दी ही जाएगा लेकिन हकीकत यह है कि नेताओं में एकराय नहीं होने के चलते अभी भी इसमें देरी हो सकती है. जयपुर शहर जिलाध्यक्ष चूंकि ज्यादा पॉवरफुल होता है लिहाजा शहर के कांग्रेस नेता इस पद पर अपने-अपने करीबी को काबिज करवाना चाहते हैं.
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