जयपुर. देश में राजशाही समाप्त हो जाने के बाद भी पूर्व राजपरिवार के सदस्यों के नाम के साथ राजा, महाराजा, राजकुमार और नवाब (Raja, Maharaja, Prince and Nawab) शब्द के इस्तेमाल पर राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने केन्द्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने जवाब यह पूर्व भरतपुर रियासत के राजा मान सिंह के बेटों के बीच संपति विवाद के मामले में सुनवाई के दौरान आये राजा शब्द पर मांगा है. अदालत ने केन्द्र और राज्य सरकार से अगली सुनवाई तक जवाब मांगा है.
दरअसल जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ पूर्व भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह के बेटों के बीच संपति विवाद के मामले में सुनवाई कर रही थी. इसमें कोर्ट के सामने आया कि मामले में पक्षकार लक्ष्मण सिंह के नाम के आगे राजा शब्द जुड़ा हुआ है. इस पर कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी और महाधिवक्ता एमएस सिंघवी से पूछा कि 26वें संविधान संशोधन के तहत अनुच्छेद 363-ए जोड़ने के बाद भी क्या कोई अपने नाम के आगे राजा, महाराजा शब्द जोड़ सकता है. अदालत ने अगली सुनवाई तक इसका जवाब मांगा है.
अनुच्छेद 363-ए के तहत पाबंदी
कोर्ट ने अनुच्छेद 363-ए का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत राजा, महाराजा, राजकुमार, नवाब आदि की पदवी हटाते हुए उनको प्रिविपर्स दिए जाने पर पाबंदी लगा दी थी. लेकिन क्या संविधान के इस प्रावधान के बाद भी कोई अपने नाम के आगे राजा, महाराजा और राजकुमार की पदवी का इस्तेमाल करके किसी संवैधानिक न्यायालय या ट्रायल कोर्ट में वाद दायर कर सकता है. वहीं कोर्ट ने अनुच्छेद 14 का हवाला देते हुए कहा कि संविधान में सभी को समानता का अधिकार दिया गया है.
यह था विवाद
दरअसल तत्कालीन भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह परिवार की जयपुर स्थित बरवाड़ा हाउस की सम्पति के बंटवारे का विवाद पिछले 10 साल से जयपुर की अधीनस्थ अदालत चल रहा है. इसी मामले में मानसिंह के बेटे भगवती सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करके निचली अदालत के साक्ष्य में कुछ दस्तावेज रिकॉर्ड पर लेने के आदेश को चुनौती दी है.
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