सीपी जोशी को सतीश पूनिया की जगह पर राजस्थान BJP का अध्यक्ष बनाया गया है. (न्यूज 18 हिन्दी)
जयपुर. इंतजार की घड़ियां आखिरकार खत्म हो गईं. राजस्थान बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल गया है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सीपी जोशी को प्रदेश का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है. इसके साथ ही बीजेपी ने इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव चितौड़गढ से सांसद सीपी जोशी के नेतृत्व में लड़ने का ऐलान कर दिया. सीपी जोशी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की जगह लेंगे. बीजेपी के नेताओं ने सीपी जोशी को ताजपोशी पर बधाई दी, तो पूनिया के कामकाज की भी तारीफ की. सतीश पूनिया के अध्यक्ष बनने के बाद से वसुंधरा गुट लगातार उनका विरोध कर रहा था. पार्टी दो धड़ों में बंटी थी.
बीजेपी ने सीपी जोशी को चुनावी साल में राजस्थान का अध्यक्ष बनाया है. ऐसे में सीपी जोशी के लिए यह जिम्मेदारी कतई आसान नहीं रहने वाली है. उनपर पार्टी को एकजुट रखने के साथ ही विपक्षी पार्टियों को मुंहतोड़ जवाब देने का दबाव हमेशा रहेगा. विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाना प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर होगा. दूसरी तरफ, पार्टी के अंदर चल रही खींचतान को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त करना भी उनकी जिम्मेदारी होगी. बताया जा रहा है कि सीपी जोशी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की टीम में भी शामिल हो सकते हैं. इसका मतलब यह है कि विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने में उनकी भूमिका अहम रहने वाली है. इन सबके बीच बतौर राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सीपी जोशी के समक्ष वो 5 बड़ी चुनौतियां कौन सी हैं, जो उनके नेतृतव कौशल की परीक्षा ले सकता है.
पहली चुनौती- पार्टी को एकजुट रखना
सीपी जोशी के समक्ष पहली चुनौती प्रदेश में पार्टी को एकजुट रखने की होगी. राजस्थान बीजेपी में अंदरुनी खींचतान चरम पर है. सतीश पूनिया के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के गुट ने तलवारें म्यान से निकाल ली थीं. पार्टी में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई थी. नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए इस गुटबाजी को समाप्त करना पहली प्राथमिकता होगी.
दूसरी चुनौती- सीएम फेस की जद्दोजहद
राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, इससे पहले प्रदेश बीजेपी में सीएम फेस को लेकर रेस शुरू हो चुकी है. इसमें वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत, सतीश पूनिया और अश्विनी वैष्णव के नाम सामने आ रहे हैं. वसुंधरा राजे ने तो संकेतों में अपनी दावेदादी पेश भी कर दी है. इन कद्दावर नेताओं को साधना आसान काम नहीं होगा.
तीसरी चुनौती- बीजेपी की जमीन को और मजबूत करना
अशोक गहलोत की सरकार लगातार लोकलुभावन योजनाएं लाकर अभी से ही मतदाताओं को लुभाने का काम शुरू कर दिया है. आम आदमी पार्टी भी इस बार के विधानसभा चुनाव में कूदने की पूरी तैयारी कर रही है. वहीं, हनुमान बेनीवाल की पार्टी भी लगातार अपने जनाधार को बढ़ाने की कोशिशों में जुटी है. ऐसे में राजस्थान में बीजेपी की जमीन को और मजबूत करना सीपी जोशी की बड़ी चुनौती होगी.
चौथी चुनौती- वोट बैंक को साधना
सतीश पूनिया के हाथों में राजस्थान की कमान वैसे वक्त में थी, जब पूरा देश कोरोना वायरस के संक्रमण से फैली विभीषिका से जूझ रहा था. सतीश पूनिया के कार्यकाल में बीजेपी 52 हजार में से 50 हजार बूथों पर अपनी कार्यकारिणी बनाने में कामयाब हुई थी. सीपी जोशी के समक्ष इन सभी बूथों को सक्रिय करना और उन्हें चुनाव के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी होगी, ताकि सभी तरह के वोट बैंक को साधा जा सके.
पांचवीं चुनौती- गुलाबचंद कटारिया और सतीश पूनिया की भरपाई
राजस्थान में किसी भी राजनीतिक दल के लिए जाट वोट बैंक काफी अहम है. ऐसे में पूर्व बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया को कहीं न कहीं एडजस्ट करना होगा, नहीं तो जाटों का वोट हनुमान बेनीवाल या फिर कांग्रेस की तरफ खिसक सकता है. दूसरी तरफ, राजस्थान की राजनीति में कहा जाता है कि जिसने मेवाड़ जीता प्रदेश में सत्ता की चाबी उसी के पास होती है. मेवाड़ क्षेत्र के दिग्गज नेता गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल बनाया जा चुका है, ऐसे में उनकी कमी को पूरा करने की चुनौती आसान नहीं होगी.
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