मोदी सरकार की सिफारिश पर राजस्थान में हजारों कैदी हो सकते हैं आजाद!

राजस्थान में जेलों में बंद कैदियों की कुल संख्या 21,149 है.
राजस्थान में जेलों में बंद कैदियों की कुल संख्या 21,149 है. इनमें से 5,869 को सजा हो चुकी है और 15,238 कैदी विचाराधीन हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: January 25, 2019, 12:39 PM IST
केंद्र की मोदी सरकार की ओर से राज्यों को आधी सजा काट चुके विचाराधीन कैदियों की रिहाई की सिफारिश की गई है. इस सिफारिश को यदि राजस्थान की गहलोत सरकार भी अमल में लाती है तो प्रदेश में भी हजारों विचाराधीन कैदियों को जेल के बाहर खुले आसमां में सांस लेने का तौहफा मिल सकता है. राजस्थान के जेल महानिदेशालय की 30 जून 2018 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में कैदियों की कुल संख्या 21,149 है. इनमें से 5,869 को सजा हो चुकी है और 15,238 कैदी विचाराधीन हैं. अब यदि राज्य सरकार इस ओर कोई कदम उठाती है तो इनमें से कईयों का मुख्यधारा में लौटने का अवसर मिलेगा.
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बता दें कि जेल महानिदेशालय की 28 फरवरी 2018 तक की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की नौ सेंट्रल जेल, 26 जिला जेल और 60 सब जेलों सहित 96 जेल हैं. इनमें से 36 जेलें ऐसी हैं जिनमें क्षमता से कहीं ज्यादा बंदियों को ठूंस-ठूंस कर रखा गया है. इन जेलों में कुल 20540 बंदियों की क्षमता है. मौजूदा 18306 बंदियों में 4840 को सजा हो चुकी है. वहीं, 13418 बंदी विचाराधीन हैं. सबसे अधिक नैनवां सब जेल में क्षमता से 220 फीसदी, सवाई माधोपुर में 174, राजसमंद में 173, पाली में 171, जालोर में 166 और कोटा में 145 प्रतिशत तक ज्यादा बंदी मौजूद है.
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केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को यहां कहा कि केंद्र सरकार ने एक परामर्श जारी कर ऐसे विचाराधीन कैदियों को रिहा करने को कहा है जिन्होंने अपने अपराध के लिए कानून प्रदत अधिकतम सजा की आधी से ज्यादा अवधि काट ली है. उन्होंने कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने इस परामर्श पर काम करना भी शुरू कर दिया है.
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वकीलों के सेंट्रल बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में गुरुवार शाम उन्होंने कहा कि जेलों में करीब चार लाख कैदी हैं जिनमें से करीब आधे विचाराधीन कैदी हैं. उन्होंने कहा कि केन्द्र ने 1,500 ऐसे अप्रचालित कानूनों को समाप्त कर दिया है जिनका प्रभाव कम हो गया था.
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बता दें कि जेल महानिदेशालय की 28 फरवरी 2018 तक की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की नौ सेंट्रल जेल, 26 जिला जेल और 60 सब जेलों सहित 96 जेल हैं. इनमें से 36 जेलें ऐसी हैं जिनमें क्षमता से कहीं ज्यादा बंदियों को ठूंस-ठूंस कर रखा गया है. इन जेलों में कुल 20540 बंदियों की क्षमता है. मौजूदा 18306 बंदियों में 4840 को सजा हो चुकी है. वहीं, 13418 बंदी विचाराधीन हैं. सबसे अधिक नैनवां सब जेल में क्षमता से 220 फीसदी, सवाई माधोपुर में 174, राजसमंद में 173, पाली में 171, जालोर में 166 और कोटा में 145 प्रतिशत तक ज्यादा बंदी मौजूद है.
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को यहां कहा कि केंद्र सरकार ने एक परामर्श जारी कर ऐसे विचाराधीन कैदियों को रिहा करने को कहा है जिन्होंने अपने अपराध के लिए कानून प्रदत अधिकतम सजा की आधी से ज्यादा अवधि काट ली है. उन्होंने कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने इस परामर्श पर काम करना भी शुरू कर दिया है.
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वकीलों के सेंट्रल बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में गुरुवार शाम उन्होंने कहा कि जेलों में करीब चार लाख कैदी हैं जिनमें से करीब आधे विचाराधीन कैदी हैं. उन्होंने कहा कि केन्द्र ने 1,500 ऐसे अप्रचालित कानूनों को समाप्त कर दिया है जिनका प्रभाव कम हो गया था.
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