जयपुर. राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha elections) के लिए राजस्थान की चार सीटों पर होने वाले चुनाव में वोटों के गणित के आधार पर इतना तो साफ हो चुका है कि दो सीटे कांग्रेस और एक सीट बीजेपी के खाते में जाना लगभग तय है. कांग्रेस और बीजेपी (Congress-BJP) की मशक्कत चौथी सीट को लेकर है. ऐसे में दोनों ही पार्टियों की निगाहें निर्दलीयों समेत दूसरी छोटी राजनीतिक पार्टियों के विधायकों पर टिकी है. वोट के गणित के हिसाब से पलड़ा कांग्रेस का भारी है लेकिन निर्दलीय विधायकों का वोट ओपन नहीं होने से वह आशंकित है कि बीजेपी उनमें सेंधमारी नहीं कर ले.
राज्यसभा की चार सीटों के गणित में चौथी सीट को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपने-अपने तरीके से जीत का दावा कर रही है. लेकिन इस चौथी सीट के लिए 21 विधायक निर्णायक साबित होंगे. इन 21 विधायकों में से एक राष्ट्रीय लोकदल के डॉ. सुभाष गर्ग हैं. वे गहलोत सरकार में मंत्री है. लिहाजा 20 विधायकों पर दोनों ही पार्टियों की नजर है. इनमें सबसे ज्यादा 13 निर्दलीय विधायक हैं. वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मा.) के दो और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायक हैं. भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायक हैं.
यह है 20 विधायकों का पूरा गणित
इस गणित को समझने से पहले देखना होगा कि इन 13 विधायकों में से कौन किस पार्टी या पार्टी के बड़े नेता के साथ में है. पूर्व उपसचिव विधानसभा प्रहलाददास पारीक के अनुसार इन 13 विधायकों में से ज्यादातर कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं. मजेदार बात यह है कि इन 13 विधायकों को राज्यसभा चुनाव की वोटिंग के दौरान ओपन वोट नहीं करना होता है. क्योंकि निर्दलीय विधायकों की कोई पार्टी नहीं होती है. लिहाजा कांग्रेस इस बात से आशंकित है कि किसी के प्रभाव में ये वोट इधर उधर नहीं हो जाए.
निर्दलीय 13 विधायकों की किसके साथ है जुगलबंदी
निर्दलीय विधायक आलोक बेनीवाल मौटे तौर पर देखें तो मूलत कांग्रेस पार्टी से आते हैं. इनकी मां कमला बेनीवाल कांग्रेस सरकार में उपमुख्यमंत्री रही हैं. खुशवीर सिंह पहले कांग्रेस पार्टी से विधायक रह चुके हैं. बाबूलाल नागर पहले कांग्रेस से विधायक रहे हैं. बाबूलाल पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में मंत्री भी रहे हैं. महादेव सिंह खंडेला भी कांग्रेस पार्टी की टिकट पर विधायक और सांसद रहे हैं. वर्तमान में किसान आयोग के अध्यक्ष हैं.
इन निर्दलीय विधायकों को मिले हुये हैं पद
निर्दलीय विधायक रमिला खड़िया को एसटी आयोग का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है. विधायक संयम लोढ़ा पहले कांग्रेस के विधायक रहे हैं. इस बार निर्दलीय जीत दर्ज कर विधानसभा पहुचे हैं. वर्तमान में सीएम के सलाहकार के पद पर नियुक्त हैं. विधायक रामकेश मीणा पूर्ववर्ती कांगेस सरकार में संसदीय कार्य मंत्री थे. वहीं विधायक राजकुमार गौड़ ने कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़ा था. विधायक कांतिप्रसाद भी कांग्रेस के समर्थक माने जाते हैं.
सुरेश टाक सरकार के साथ हैं लेकिन राजे के भी खास हैं
ओमप्रकाश हुड़ला पहले बीजेपी से विधायक रहे हैं लेकिन 2018 में टिकट कटने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा. वे अभी सत्ता के साथ नजर आते हैं. विधायक बलजीत यादव भी सत्ता के इर्द गिर्द ही नजर आते हैं. विधायक सुरेश टाक पहले बीजेपी से थे. लेकिन साल 2018 में टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. वे वर्तमान में सरकार के साथ हैं. लेकिन वसुन्धरा राजे के भी नजदीकी माने जाते हैं.
बलवान पूनिया गहलोत के समर्थक माने जाते हैं
इसके अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मा.) के बलवान पूनिया सीधे तौर पर गहलोत के समर्थक माने जाते हैं. माकपा के दोनों अन्य विधायक सत्ता के साथ हो सकते हैं. आरएलपी के तीन विधायक बीजेपी के साथ रह सकते हैं. क्योकि उसका लोकसभा चुनाव में बीजेपी से गठबंधन रहा था. इसके अलावा भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायक हैं. वे कांग्रेस के साथ माने जाते हैं. वे पिछले राज्यसभा चुनावों में भी कांग्रेस के समर्थन में थे.
बीजेपी माहौल भांपकर उठायेगी कदम
बहरहाल कांग्रेस इस बात से आशंकित है कि 13 निर्दलीयों का ओपन वोट के तौर पर नहीं डाला जाएगा. ऐसे में कहीं बीजेपी कोई सेंधमारी न कर ले. बीजेपी कहीं क्रॉस वोटिंग नहीं करवा ले. अब देखना होगा कि हालात को देखते हुये बीजेपी चौथी सीट के लिये अपना कोई दूसरा प्रत्याशी मैदान में उतारती है या नहीं. अगर ऐसा हुआ तो दोनों ही पार्टियों में विधायकों की बाड़ाबंदी होना तय है.
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