जलसंकट से जूझ रहे रहे प्रदेश के लिए राहत की खबर है. पिछले काफी समय से प्रदेश में दिनोंदिन गिरते भूजल पर थोड़ा सा अंकुश लगा है. पिछले बरसों में हालात कुछ सुधरते हुये नजर आ रहे हैं. भूजल वैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों में जागरुकता के साथ ही मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन जैसे कार्यों के चलते प्रदेश के 21 जिलों में भूजल के हालात सुधरे हैं. वहीं प्रदेश के 12 जिले अभी भी ऐसे हैं जिनमें भूजल स्तर में गिरावट हुई है.
भूजल वैज्ञानिक गोपाल प्रसाद शर्मा के अनुसार प्रदेश का औसत भूजल स्तर 25.26 मीटर है. बांसवाड़ा जिले में सबसे कम 8.15 मीटर की गहराई पर भूजल उपलब्ध है, जबकि बीकानेर में सबसे ज्यादा 66.65 मीटर की गहराई पर भूजल है. साल 2016 के मुकाबले साल 2017 के मानसून पूर्व आंकड़ों में दौसा जिले में सबसे ज्यादा भूजल स्तर की गिरावट दर्ज की गई. यहां माइनस 1.88 मीटर गिरावट हुई जबकि सीकर में सबसे कम माइनस 0.19 मीटर की गिरावट भूजल स्तर में हुई.
जिन 12 जिलों में भूजल स्तर में गिरावट हुई है उनमें अलवर, बारां, भरतपुर, बाड़मेर, बीकानेर, जालौर, चूरू, झूंझुनूं, जोधपुर और नागौर भी शामिल हैं. वहीं जिन 21 जिलों में भूजल स्तर में बढ़ोतरी हुई है उनमें चित्तौड़गढ में सर्वाधिक 4.66 मीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
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FIRST PUBLISHED : May 27, 2018, 12:22 IST