पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले में सीकर के गैंगस्टर सुभाष बानूड़ा का भी नाम सामने आ रहा है.
Sandeep Hudda
सीकर. पंजाब के सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या में जिन 8 शार्प शूटर का नाम आ रहा है उनमें सीकर का सुभाष बानूड़ा उर्फ सूर्या भी शामिल है. वह लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ा है और गैंगस्टर बलवीर बानूड़ा का बेटा है जिसकी पहले बीकानेर जेल में हत्या हो चुकी है. अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए ही ही वह गैंगस्टर बना और अपराध के दलदल में फंसता गया. इसका पिता भी दूध बेचते-बेचते शराब के कारोबार में उतरा और उसके बाद अपराध के दलदल में फंस गया था. राजस्थान के सीकर जिले में गैंगवार की कहानी बहुत पुरानी है और 1998 के बाद तो यहां गेंगवार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इसी गैंगवार की वजह से यहां पर कई गैंगस्टर हुए और उनका खात्मा भी हो चुका है और आज भी कई युवा अपराध के दलदल में फंस रहे हैं.
सीकर जिले के दातारामगढ तहसील के बानूड़ा गांव का रहने वाला सुभाष कुख्यात गैंगस्टर बलवीर बानूड़ा का बेटा है. बलबीर बानूड़ा 1996 में सीकर कॉलेज में पढ़ते हुए दूध बेचने का काम करता था और इसी दौरान शराब के कारोबार में उतर गया. उस वक्त दातारामगढ़ थाने में पकड़ा गया और इसी दौरान गैंगस्टर राजू ठेठ से उसकी दोस्ती हो गई. 2004 तक राजू ठेठ और बलवीर कानुडा एक ही गैंग में थे और साथ-साथ अपराध करते थे. इन्होंने मिलकर ही 1998 में सीकर में भेभाराम हत्याकांड को अंजाम दिया था. 2004 में जीनमता के एक शराब ठेके को लेकर दोनों के बीच दुश्मनी हो गई.
बीकानेर जेल में मारा गया था बलबीर
राजू ठेठ गैंग ने ठेके पर बैठने वाले बलबीर बानूड़ा के साले की हत्या कर दी. उसके बाद तो दोनों गैंग में दुश्मनी चरम पर पहुंच गई. इसी दौरान बलवीर बानूड़ा की दोस्ती कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल के साथ हो गई और इस हत्या का बदला लेने के लिए उन्होंने 2006 में सीकर में राजू ठेठ के करीबी गोपाल फोगावट की हत्या कर दी. उसके बाद दोनों गैंग एक दूसरे के खून की प्यासी हो गई और जहां मौका मिलता आपस में एक दूसरे के गुर्गों को निपटा देते. 2014 में बीकानेर जेल में राजू ठेठ गैंग के जेपी गाढवाला और एक अन्य बदमाश ने आनंदपाल गैंग पर गोलियां चलाई. इस दौरान आनंदपाल तो बच गया लेकिन बलबीर बानूड़ा मारा गया. आनंदपाल और उसके गुर्गों ने मिलकर जेल में हमला करने वाले दोनों बदमाशों को भी मार डाला.
सुभाष बराल के जरिए लॉरेंस के संपर्क में आया सुभाष बानूड़ा
अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए सुभाष बानुड़ा छोटी उम्र में ही अपराध के दलदल में फंस गया. इसी हत्या का बदला लेने के लिए आनंदपाल गैंग ने सीकर जेल में सुभाष बराल से राजू ठेठ पर फायरिंग करवाई थी, लेकिन उस वक्त राजू ठेठ बच गया. इसके बाद सुभाष बानूड़ा सुभाष बराल का करीबी हो गया और आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद यह पूरी गैंग लॉरेंस बिश्नोई के संपर्क में आ गई. लॉरेंस बिश्नोई ने सीकर में सरपंच सरदार राव की हत्या सुभाष बराल के कहने से करवाई थी. उसके बाद सुभाष बानूड़ा और सुभाष बराल दोनों लॉरेंस के विश्वासपात्र हो गए.
पहले पढ़ाई में था होशियार, फिर फंस गया अपराध के दलदल में
गैंगस्टर बलबीर बानूड़ा का बेटा सुभाष पढ़ाई में होशियार था. जब तक बलवीर जेल में था तब तक सुभाष शेखावाटी के एक नामी स्कूल में पढ़ता था. बलवीर की हत्या के बाद उसपर लगातार मुकदमे दर्ज हुए और वह भी उसकी गैंग में शामिल हो गया. सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में बताया जा रहा है कि लॉरेंस ने गाड़ी देखकर सुभाष को यहां से भेजा था.
आज भी बरकरार है राजू ठेठ से दुश्मनी
सुभाष बानूड़ा की गैंगस्टर राजू ठेठ से आज भी दुश्मनी बरकरार है और वह अपने पिता की हत्या का बदला लेना चाहता है. राजू ठेठ फिलहाल जमानत पर बाहर है और पिछले दिनों ही जयपुर में हत्यारों के साथ पकड़ा गया था लेकिन वापस जमानत मिल गई. लॉरेंस के साथ काम कर वह अपने पिता की हत्या का बदला लेना चाहता है.
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