सांभर झील में 10 हजार से अधिक पक्षियों की Avian Botulism से मौत! CM गहलोत ने बुलाई बैठक
News18Hindi Updated: November 15, 2019, 5:13 PM IST

सांभर झील में अब तक करीब 10 हजार से अधिक पक्षियों की मौत हो चुकी है.
राजस्थान की सांभर झील (sambhar lake) में अब तक की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी में 10 हजार से अधिक पक्षियों की मौत के पीछे मेगट्स कीड़े को बताया जा रहा है. इस कीड़े से फैलने वाली एवियन बोटुलिज्म (Avian Botulism) बीमारी को ही मौत का कारण माना जा रहा है.
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- Last Updated: November 15, 2019, 5:13 PM IST
जयपुर. राजस्थान की सांभर झील (Sambhar Lake) में अब तक की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी में पक्षियों की मौत का कारण मेगट्स कीड़े को बताया जा रहा है. माना जा रहा है कि इस कीड़े से फैलने वाली एवियन बोटुलिज्म (Avian Botulism) बीमारी पक्षियों की मौत का कारण है. गुरुवार को झील पर मामले की जांच-पड़ाल के बाद विशेषज्ञों ने बर्ड फ्लू के चलते पक्षियों की मौत से इनकार कर दिया है. वहीं हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) के संज्ञान लेने के बाद वन विभाग, पशुपालन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने पक्षी विशेषज्ञों के साथ मौका मुआयना किया. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने भी गुरुवार को बैठक बुलाई. बता दें कि इस त्रासदी में अब तक 10 हजार से अधिक पक्षियों के मौत का अनुमान है. यहां 25 प्रजातियों के पक्षी अकाल मौत का शिकार हुए हैं और इनमें माइग्रेट बर्ड्स भी शामिल हैं.
मेगट्स के कारण पक्षियों का लकवा, डूबकर मौत
बीकानेर के अपेक्स सेंटर के प्रो. एके कटारिया के अनुसार पक्षियों की इन मौतों का कारण एवियन बोटुलिज्म (Avian Botulism) बीमारी हो सकती है. इसमें मेगट्स खाने से पक्षियों में लकवे के हालात (Symptoms of Paralysis) बन जाते हैं. और उनकी पानी डूबने से मौत हो जाती है. जीवाणु फैलने से यह बीमारी अन्य पक्षियों में तेजी से लगती है. सांभर में मारे गए अधिकांश पक्षी मांसाहारी है और इससे अधिक संभावना है कि ये मेगट्स खाने के बाद लकवे का शिकार हुए हैं.
सीएम ने दिए प्रभाव कदम उठाने के निर्देश
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सांभर झील तथा उसके भराव क्षेत्र में पक्षियों की मौतों के मामले की समीक्षा की. इस संबंध में गुरूवार रात को मुख्यमंत्री निवास पर हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से अब तक की वस्तुस्थिति के बारे में जानकारी ली और निर्देश दिए कि पक्षियों की मौत के कारणों की जांच कर प्रभावी कदम उठाए जाएं. साथ ही मृत पक्षियों का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाए ताकि किसी प्रकार का संक्रमण फैलने की आशंका नहीं रहे. उन्होंने ने बैठक में कहा कि वन्यजीव एवं पक्षी पर्यावरण एवं जैव विविधता का अभिन्न अंग है. सांभर झील पर प्रवासी पक्षियों के साथ-साथ स्थानीय पक्षियों का बसेरा यहां के नैसर्गिंक सौन्दर्य को बढ़ाता है, साथ ही इनका पारिस्थितिकी संतुलन में महत्वपूर्ण योगदान है. अचानक पक्षियों की मौत होना चिंता का विषय है. राज्य सरकार इसको लेकर गंभीर है.
14 टीमों का गठन, एक रेस्क्यू सेंटर खोलने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने पक्षियों को बचाने के लिए एक और रेस्क्यू सेंटर खोलने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद झी पर 14 टीमों गठन कर रेस्क्यू सेंटर बनाया जा रहा है.देश के प्रतिष्ठित संस्थान सालिम अली सेंटर फॉर आर्निथोलॉजी एण्ड नेचुरल हिस्ट्री (Salim Ali Centre for Ornithology and Natural History), भारतीय वन्यजीव संस्थान तथा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के विशेषज्ञों ने गुरुवार को ही झील किनारे पहुंचकर काम शुरू कर दिया है.
भोपाल से आई जांच रिपोर्ट, बर्ड फ्लू नहीं
राज्य पशुपालन विभाग की टीम ने वहां से सैम्पल लेकर भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग केन्द्र में भेजे गए थे. वहां की रिपोर्ट के अनुसार एवियन फ्लू से संबंधित रिपोर्ट नेगेटिव है. इसलिए फ्लू के संक्रमण का खतरा नहीं है. राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर के विशेषज्ञों ने एवियन बोट्यूलिज्म की सम्भावना जताई है. भोपाल से विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त होने पर इसके वास्तविक कारणों का पता चल सकेगा.
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मेगट्स के कारण पक्षियों का लकवा, डूबकर मौत
बीकानेर के अपेक्स सेंटर के प्रो. एके कटारिया के अनुसार पक्षियों की इन मौतों का कारण एवियन बोटुलिज्म (Avian Botulism) बीमारी हो सकती है. इसमें मेगट्स खाने से पक्षियों में लकवे के हालात (Symptoms of Paralysis) बन जाते हैं. और उनकी पानी डूबने से मौत हो जाती है. जीवाणु फैलने से यह बीमारी अन्य पक्षियों में तेजी से लगती है. सांभर में मारे गए अधिकांश पक्षी मांसाहारी है और इससे अधिक संभावना है कि ये मेगट्स खाने के बाद लकवे का शिकार हुए हैं.

सरकारी आंकड़ों में सांभर झील में 4800 पक्षियों की मौत का डाटा है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सांभर झील तथा उसके भराव क्षेत्र में पक्षियों की मौतों के मामले की समीक्षा की. इस संबंध में गुरूवार रात को मुख्यमंत्री निवास पर हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से अब तक की वस्तुस्थिति के बारे में जानकारी ली और निर्देश दिए कि पक्षियों की मौत के कारणों की जांच कर प्रभावी कदम उठाए जाएं. साथ ही मृत पक्षियों का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाए ताकि किसी प्रकार का संक्रमण फैलने की आशंका नहीं रहे. उन्होंने ने बैठक में कहा कि वन्यजीव एवं पक्षी पर्यावरण एवं जैव विविधता का अभिन्न अंग है. सांभर झील पर प्रवासी पक्षियों के साथ-साथ स्थानीय पक्षियों का बसेरा यहां के नैसर्गिंक सौन्दर्य को बढ़ाता है, साथ ही इनका पारिस्थितिकी संतुलन में महत्वपूर्ण योगदान है. अचानक पक्षियों की मौत होना चिंता का विषय है. राज्य सरकार इसको लेकर गंभीर है.
Loading...Rajasthan:Around 1000 birds incl of migratory species were found dead around Sambhar Lake in Jaipur on Nov 12 (pic 1-file pic).AK Katariya,Professor,Apex Centre for Animal Disease,Bikaner says,"Symptom of paralyses in wings suggest death of birds could be due to Avian Botulism." pic.twitter.com/FwCeN8oFwk
— ANI (@ANI) November 15, 2019
14 टीमों का गठन, एक रेस्क्यू सेंटर खोलने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने पक्षियों को बचाने के लिए एक और रेस्क्यू सेंटर खोलने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद झी पर 14 टीमों गठन कर रेस्क्यू सेंटर बनाया जा रहा है.देश के प्रतिष्ठित संस्थान सालिम अली सेंटर फॉर आर्निथोलॉजी एण्ड नेचुरल हिस्ट्री (Salim Ali Centre for Ornithology and Natural History), भारतीय वन्यजीव संस्थान तथा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के विशेषज्ञों ने गुरुवार को ही झील किनारे पहुंचकर काम शुरू कर दिया है.
भोपाल से आई जांच रिपोर्ट, बर्ड फ्लू नहीं
राज्य पशुपालन विभाग की टीम ने वहां से सैम्पल लेकर भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग केन्द्र में भेजे गए थे. वहां की रिपोर्ट के अनुसार एवियन फ्लू से संबंधित रिपोर्ट नेगेटिव है. इसलिए फ्लू के संक्रमण का खतरा नहीं है. राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर के विशेषज्ञों ने एवियन बोट्यूलिज्म की सम्भावना जताई है. भोपाल से विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त होने पर इसके वास्तविक कारणों का पता चल सकेगा.
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First published: November 15, 2019, 10:59 AM IST
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