कांग्रेस फील्ड में भले ही चुनावी तैयारियों में जुट गई हो, लेकिन बंद कमरों में होने वाले
हो रही है. कांग्रेस में बड़े नेताओं के
के बावजूद चुनावी कमेटियों पर अभी तक सर्वसम्मति नहीं बन पा रही है. पिछले तीन माह से चुनावी कमेटियों की घोषणा अटकी हुई है.
कांग्रेस के बड़े नेता जुलाई के शुरू में ही चुनावी कमेटियों की घोषणा का दावा कर रहे थे, लेकिन अब तक उसके क्रियान्वयन का इंतजार है. राहुल गांधी राजस्थान दौरों में कई बार बड़े नेताओं के एक होने का दावा कर चुके हैं, लेकिन एकता के इन
हैं. चुनावी कमेटियों के अटकने के पीछे बड़े नेताओं की खींचतान को जिम्मेदार बताया जा रहा है. कांग्रेस ने 22 जून को ही कुमारी शैलजा की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर दिया था. उस समय प्रदेश प्रभारी सहित कई बड़े नेताओं ने बची हुई चुनावी कमेटियों का गठन जुलाई तक करने का दावा किया था. स्क्रनिंग कमेटी का गठन हुए तीन माह हो गए, लेकिन प्रदेश चुनाव समिति यानी पीईसी सहित सात चुनावी कमेटियों का गठन अब तक नहीं हो पाया है.
कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के बड़े नेताओं की आपसी खींचतान चुनावी कमेटियों के अटकने का बड़ा कारण है. पिछले तीन माह में कई बार चुनावी समितियों पर दिल्ली में हुई बैठकों में चर्चाएं हो चुकी हैं, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. बताया जाता है कि कुछ बड़े नेता चुनावी कमेटियों के नामों पर अड़े हुए हैं. सबसे ज्यादा खींचतान चुनाव अभियान समिति और प्रदेश चुनाव समिति को लेकर बताई जा रही है.
प्रदेश चुनाव समिति, चुनाव अभियान समिति, समन्वय समिति, घोषणा पत्र समिति, मीडिया व प्रचार समिति, अनुशासन समिति और प्लानिंग कमेटी का गठन होना है.
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FIRST PUBLISHED : September 25, 2018, 20:43 IST