रणथंभौर में पर्यटन के विरोध में वन्यजीव प्रेमी हो रहे एकजुट

फोटो- ईटीवी
वन विभाग भी बरसात के दिनों में रणथंभौर में पर्यटन की मॉनिटरिंग के नाम पर हिमायत कर रहा है जबकि जानकार इसे बाघ प्रजनन के लिए खतरनाक और प्रजनन को नुकसान पहुंचाने वाला मान रहे हैं.
- ETV Rajasthan
- Last Updated: June 21, 2017, 5:12 PM IST
बरसात के दिनों में रणथंभौर में पर्यटन की इजाजत देने को लेकर अंदरखाने बवाल मचा हुआ है. अब तक पर्यटन बंद रखने वाला वन विभाग भी मॉनिटरिंग के नाम पर अब पर्यटन की हिमायत कर रहा है जबकि जानकार इसे बाघ प्रजनन के अहम केंद्र के रूप में विख्यात रणथंभौर टाइगर रिजर्व के लिए खतरनाक और प्रजनन को नुकसान पहुंचाने वाला मान रहे हैं. वन्यजीव प्रेमी पर्यटन की इजाजत देने के विरोध में एकजुट हो रहे हैं.
रणथंभौर में पर्यटन और उसके विरोध के दो पहलू हैं. एक तरफ पर्यटन के नाम पर मॉनिटरिंग की दुहाई है तो दूसरी और बरसात में वहां मौजूद बाघ-बाघिनों के प्रणय में खलल पड़ने और परिणाम स्वरूप प्रजनन पर असर पड़ने का डर है.
रणथंभौर बाघ प्रजनन के मामले में देश के टॉप टाइगर रिजर्व में शामिल है. यहां के बाघों से सरिस्का को आबाद किया जा चुका है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि इस साल अचानक मॉनिटरिंग की चुनौती इतना विकराल रूप से कैसे ले ली कि वन विभाग न तो हाल में भर्ती किए गए अपने वन रक्षकों पर भरोसा कर रहा है न ही बरसों रणथंभौर की सुरक्षा कर रहे अनुभवी सुरक्षा गार्डों पर अब उसे भरोसा है.
न ही उसे कैमरा ट्रेप और ड्रोन जैसी अत्याधुनिक तकनीन पर विश्वास है. न ही उसे वन सुरक्षा समितियों या फिर खुद बनाए विलेज वाइल्ड लाइफ वॉचर्स पर यकीन है.बस पर्यटन के जरिए होने वाली मॉनिटरिंग पर भरोसा है. विभाग के वन्यजीव सलाहकार मंडल में शामिल अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों को यकीन है कि बाघों को बचाने के लिए बरसात में पर्यटन बेहद जरूरी है.
रणथंभौर में पर्यटन और उसके विरोध के दो पहलू हैं. एक तरफ पर्यटन के नाम पर मॉनिटरिंग की दुहाई है तो दूसरी और बरसात में वहां मौजूद बाघ-बाघिनों के प्रणय में खलल पड़ने और परिणाम स्वरूप प्रजनन पर असर पड़ने का डर है.
रणथंभौर बाघ प्रजनन के मामले में देश के टॉप टाइगर रिजर्व में शामिल है. यहां के बाघों से सरिस्का को आबाद किया जा चुका है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि इस साल अचानक मॉनिटरिंग की चुनौती इतना विकराल रूप से कैसे ले ली कि वन विभाग न तो हाल में भर्ती किए गए अपने वन रक्षकों पर भरोसा कर रहा है न ही बरसों रणथंभौर की सुरक्षा कर रहे अनुभवी सुरक्षा गार्डों पर अब उसे भरोसा है.
न ही उसे कैमरा ट्रेप और ड्रोन जैसी अत्याधुनिक तकनीन पर विश्वास है. न ही उसे वन सुरक्षा समितियों या फिर खुद बनाए विलेज वाइल्ड लाइफ वॉचर्स पर यकीन है.बस पर्यटन के जरिए होने वाली मॉनिटरिंग पर भरोसा है. विभाग के वन्यजीव सलाहकार मंडल में शामिल अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों को यकीन है कि बाघों को बचाने के लिए बरसात में पर्यटन बेहद जरूरी है.