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लेटा गांव के खेसले: हाथ से बने शुद्ध कपास के कंबल, रोजगार और परंपरा का संगम

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खेसले बनाने की प्रक्रिया भी बेहद रोचक है. पहले धागे की गठरी तैयार की जाती है, जिसे चरखे पर चलाया जाता है. इसके बाद बुनाई मशीन में 100 से अधिक धागे एक साथ लगाए जाते हैं. कारीगरों की मेहनत से खेसले का निर्माण होता है. एक जोड़ी खेसलों की कीमत ₹500 से ₹1000 तक होती है और इन्हें ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है. इन खेसलों की लंबाई लगभग 8 फीट और चौड़ाई 4.5 फीट होती है.

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सोनाली भाटी/ जालौर: राजस्थान का हस्तशिल्प उद्योग राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का प्रतीक है. मिट्टी के बर्तनों से लेकर गहनों की कारीगरी तक, हर शिल्प यहां की अनूठी कला और संस्कृति को दर्शाता है.

लेटा गांव: हस्तशिल्प का केंद्र
जालौर से लगभग 7-8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लेटा गांव अपने विशेष हस्तशिल्प उद्योग के लिए प्रसिद्ध है. यहां के हाथ से बने कंबल, जिन्हें स्थानीय भाषा में “खेसले” कहा जाता है, इसकी अनोखी विशेषता यह है कि ये 100% शुद्ध कपास से तैयार होते हैं. ये कंबल सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडक प्रदान करते हैं, जिससे इनका उपयोग हर मौसम में किया जा सकता है.
पारंपरिक उद्योग की प्रक्रिया
यहां के गृह उद्योग के प्रमुख, मिश्रीमल ने बताया कि यह उद्योग उनकी पारंपरिक विरासत का हिस्सा है. खेसलों के लिए धागे को पाली की प्रसिद्ध महाराजा श्री उम्मेद मिल से मंगवाया जाता है. स्थानीय कारीगर कुशलता से पक्के रंगों वाले सूती धागों की बुनाई करते हैं. उल्लेखनीय है कि खेसलों के निर्माण में किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग नहीं होता; पूरी प्रक्रिया हाथों से की जाती है.
खेसले की निर्माण प्रक्रिया
खेसले बनाने की प्रक्रिया भी बेहद रोचक है. पहले धागे की गठरी तैयार की जाती है, जिसे चरखे पर चलाया जाता है. इसके बाद बुनाई मशीन में 100 से अधिक धागे एक साथ लगाए जाते हैं. कारीगरों की मेहनत से खेसले का निर्माण होता है. एक जोड़ी खेसलों की कीमत ₹500 से ₹1000 तक होती है और इन्हें ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है. इन खेसलों की लंबाई लगभग 8 फीट और चौड़ाई 4.5 फीट होती है.
रोजगार का माध्यम
यह उद्योग लेटा गांव के लिए रोजगार का एक महत्वपूर्ण साधन बन चुका है. यहां के कारीगर इस उद्योग से अपनी आजीविका चलाते हैं और कई परिवार इस पर निर्भर हैं. पूर्व जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने भी इस गृह उद्योग का दौरा किया और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों की सराहना की. लेटा गांव का यह हस्तशिल्प उद्योग न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करता है.
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जालौर के लेटा का खेसला: राजस्थान के हस्तशिल्प उद्योग की पहचान
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