रिपोर्ट – श्याम विश्नोई
जालौर. इस बार मानसून की बेरुखी ने जालोर में अकाल जैसे हालात बना दिए हैं. जिले में पहले तो मानसून देरी से आया और उसके बाद भी बारिश नहीं होने के कारण हालात ये हैं कि खरीफ की फसलें पूरी तरह से सूख चुकी हैं. गत 11 जुलाई को मानसून की पहली बारिश होने के बाद 40 दिन बीत गए, लेकिन दूसरी बारिश नहीं हुई. इससे जिले में 2.43 अरब रुपए की फसलें सूख चुकी हैं.
प्री-मानसून व मानसून की पहली बारिश के बाद जिले में करीब 4.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों ने बुवाई की. बुवाई के बाद 15 से 20 दिनों के भीतर दूसरी बारिश की आवश्यकता रहती है, लेकिन 40 दिन से अधिक समय के बाद भी बारिश नहीं होने से करीब 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अब फसलें पूरी तरह से मुरझा चुकी हैं.
बुवाई के लिए किसानों के करोड़ों रुपए खर्च
इस 4 लाख हेक्टेयर की बुवाई के लिए किसानों ने करोड़ों रुपए खर्च किए थे. कृषि उप निदेशक डॉ. आरबी सिंह का कहना है कि इस बार 6.18 लाख हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य था. बारिश की कमी के चलते 4.50 लाख हेक्टेयर के करीब ही बुवाई हो पाई हैं. बारिश नहीं होने के अधिकतर फसलें जल रही हैं. 50 हजार के करीब फसलें जो किसान सिंचित करते हैं.
बाजरा की सर्वाधिक ढाई लाख हेक्टेयर बुवाई
जालोर में इस सीजन में किसानों ने जिले में बाजरा, मूंग, मूंगफली, तिल, ग्वार, अरंडी समेत चारा की बुवाई की थी. हालांकि बारिश कम होने से शत प्रतिशत जिले में लक्ष्य भी पूर्ण नहीं हो पाया. इस बार जिले में 2.50 लाख हेक्टेयर में बाजरा, मूंग 90 हजार हेक्टेयर, ग्वार 25 हजार हेक्टेयर, मूंगफली 23 हजार हेक्टेयर, तिल 8.200 हजार हेक्टेयर व अरंडी 11 हजार हेक्टेयर समेत चारा की बुवाई हुई, लेकिन ये भी पूरी तरह से जल चुकी हैं.
50 लाख हेक्टेयर में सिंचाई कर फसलें बचाईं
जिले में इस बार पहली बारिश भी औसत से कम रही है. खरीफ की बुवाई के लिए 64 एमएम बारिश होना जरूरी हैं. कई उपखंड क्षेत्रों में औसत बारिश भी नहीं हो पाई. जिसका कारण यह रहा है कि जिले में 6.18 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई होनी थी, जबकि 4.50 लाख हेक्टेयर में हो पाई हैं. हालांकि कृषि सिंचाई को लेकर किसानों के पास सुविधा होने से करीब 50 लाख हेक्टेयर में किसानों ने पानी दे दिया जो फसलें अभी सुरक्षित हैं.
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