जानिए- कौन हैं पश्चिम बंगाल के नए राज्यपाल जगदीप धनखड़

पश्चिम बंगाल के नए राज्यपाल जगदीप धनखड़
धनखड़ को ऐसे वक्त पश्चिम बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया गया है, जब टीएमसी और बीजेपी में तनाव चरम पर है. सियासत के मंजे हुए खिलाड़ी और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रह चुके धनखड़ का मारवाड़ी समुदाय में खासा प्रभाव है.
- Last Updated: July 20, 2019, 7:33 PM IST
राजस्थान की सियासत का एक वक्त का चर्चित चेहरा रहे जगदीप धनखड़ अब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल नियुक्त किए गए हैं. राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रह चुके धनखड़ सियासत के मंजे हुए खिलाड़ी रहे हैं, राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका रही है. धनखड़ को ऐसे वक्त पश्चिम बंगाल का गर्वनर नियुक्त किया गया है, जब टीएमसी और बीजेपी में तनाव चरम पर है. धनखड़ को पश्चिम बंगाल जैसे सूबे का राज्यपाल बनाने के पीछे भी इनकी ये खूबियां ही हैं, जिसके लिए वे जाने जाते हैं.
सियासी दांवपेंच और कानून के जानकार हैं धनखड़
धनखड़ कानून, सियासत, सियासी दांवपेंच औऱ हर पार्टी के अंदर अपने संबंधों की महारत के लिए जाने जाते हैं. वे राजस्थान की जाट बिरादरी आते हैं और राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलवाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. इस समुदाय में धनखड़ की अच्छी खासी साख है. धनखड़ की नियुक्ति का एक मकसद शायद इस बिरादरी के बीच संदेश भी हो.
बंगाल में मारवाड़ियों का खासा प्रभाव है
पश्चिम बंगाल में मारवाड़ियों का अच्छा खास प्रभाव है. मारवाड़ी समुदाय का बिजनेस के साथ सियासत में भी दखल है. बीजेपी इस समुदाय को हमेशा से अपना वोट बैंक मानती है. बंगाल में राजस्थान मूल के समुदाय का एक बड़ा हिस्सा शेखावाटी यानी सीकर और झुंझुनूं से ताल्लुक रखता है. झुंझुनूं धनखड़ की जन्मभूमि के साथ कर्मभूमि भी रही.
जनता दल और कांग्रेस में भी रहे
धनखड़ केंद्रीय मंत्री भी रहे. झुंझुनूं से 1989 से 91 तक वे जनता दल से सांसद रहे. हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. अजमेर से कांग्रेस टिकट पर वे लोकसभा चुनाव हार गए थे. फिर धनखड़ 2003 में बीजेपी में शामिल हो गए, अजमेर के किशनगढ़ से विधायक चुने गए. धनखड़ सिर्फ नेता ही नहीं माने हुए वकील भी हैं. वे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं तथा राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं.
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सियासी दांवपेंच और कानून के जानकार हैं धनखड़
धनखड़ कानून, सियासत, सियासी दांवपेंच औऱ हर पार्टी के अंदर अपने संबंधों की महारत के लिए जाने जाते हैं. वे राजस्थान की जाट बिरादरी आते हैं और राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलवाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. इस समुदाय में धनखड़ की अच्छी खासी साख है. धनखड़ की नियुक्ति का एक मकसद शायद इस बिरादरी के बीच संदेश भी हो.

पश्चिम बंगाल के नए राज्यपाल जगदीप धनखड़ राजस्थान के रहने वाले हैं
पश्चिम बंगाल में मारवाड़ियों का अच्छा खास प्रभाव है. मारवाड़ी समुदाय का बिजनेस के साथ सियासत में भी दखल है. बीजेपी इस समुदाय को हमेशा से अपना वोट बैंक मानती है. बंगाल में राजस्थान मूल के समुदाय का एक बड़ा हिस्सा शेखावाटी यानी सीकर और झुंझुनूं से ताल्लुक रखता है. झुंझुनूं धनखड़ की जन्मभूमि के साथ कर्मभूमि भी रही.
जनता दल और कांग्रेस में भी रहे
धनखड़ केंद्रीय मंत्री भी रहे. झुंझुनूं से 1989 से 91 तक वे जनता दल से सांसद रहे. हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. अजमेर से कांग्रेस टिकट पर वे लोकसभा चुनाव हार गए थे. फिर धनखड़ 2003 में बीजेपी में शामिल हो गए, अजमेर के किशनगढ़ से विधायक चुने गए. धनखड़ सिर्फ नेता ही नहीं माने हुए वकील भी हैं. वे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं तथा राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं.
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