आसाराम की सजा स्थगन याचिका: HC में हुई सुनवाई, अब 23 सितंबर को होगी बहस

जीवन की आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई गई है आसाराम को। फाइल फोटो
यौन उत्पीड़न (sexual harassment) के मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल (Jodhpur Central Jail) में सजा काट रहे आसाराम (Asaram) की सजा स्थगन याचिका (sentence adjournment petition) पर शुक्रवार को जोधपुर हाईकोर्ट (Jodhpur High Court) में जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस वीके माथुर की विशेष खंडपीठ में सुनवाई (hearing) हुई.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: September 13, 2019, 3:01 PM IST
जोधपुर. अपने ही गुरुकुल की छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न (sexual harassment) के मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल (Jodhpur Central Jail) में सजा काट रहे आसाराम (Asaram) की सजा स्थगन याचिका (sentence adjournment petition) पर शुक्रवार को जोधपुर हाईकोर्ट (Jodhpur High Court) में जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस वीके माथुर की विशेष खंडपीठ में सुनवाई (hearing) हुई. सुनवाई के दौरान राजकीय अधिवक्ता ने बहस करने के लिए समय मांगा है. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 23 सितंबर की तारीख मुकर्रर की है.
राजकीय अधिवक्ता ने कोर्ट से मांगा समय
सुनवाई के दौरान विशेष खण्डपीठ ने राजकीय अधिवक्ता से पूछा कि जब पूरा रिकॉर्ड कोर्ट में उपलब्ध है तो आप बहस क्यों नहीं करना चाहते. लेकिन राजकीय अधिवक्ता ने फिर भी समय मांगा. इसके चलते विशेष खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई के लिए आगामी 23 सितंबर की तारीख मुकर्रर की है. सुनवाई के दौरान मुंबई से आए वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीऐश गुप्ते और अधिवक्ता प्रदीप चौधरी ने आसाराम का पक्ष रखा.
जीवन की आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई गई है उल्लेखनीय है कि 25 अप्रैल, 2018 को एससी-एसटी कोर्ट के तत्कालीन जज मधुसूदन शर्मा ने आसाराम को जीवन की आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी. यौन उत्पीड़न के मामले में पुलिस 1 सितंबर, 2013 को आसाराम को छिंदवाड़ा आश्रम से गिरफ्तार कर जोधपुर लाई थी. उसके बाद से आसाराम करीब 6 साल से अधिक समय से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं.
आसाराम की ओर से कई पेश की जा चुकी हैं जमानत याचिकाएं
तब से लेकर अब तक आसाराम की ओर से कई बार जमानत याचिका अधीनस्थ न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में पेश की जा चुकी हैं. लेकिन अभी तक आसाराम का खुली हवा में सांस लेने का सपना अधूरा रहा है. अब आसाराम की आशाएं मुंबई से आए वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीऐश गुप्ते पर टिकी है.
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राजकीय अधिवक्ता ने कोर्ट से मांगा समय
सुनवाई के दौरान विशेष खण्डपीठ ने राजकीय अधिवक्ता से पूछा कि जब पूरा रिकॉर्ड कोर्ट में उपलब्ध है तो आप बहस क्यों नहीं करना चाहते. लेकिन राजकीय अधिवक्ता ने फिर भी समय मांगा. इसके चलते विशेष खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई के लिए आगामी 23 सितंबर की तारीख मुकर्रर की है. सुनवाई के दौरान मुंबई से आए वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीऐश गुप्ते और अधिवक्ता प्रदीप चौधरी ने आसाराम का पक्ष रखा.
जीवन की आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई गई है उल्लेखनीय है कि 25 अप्रैल, 2018 को एससी-एसटी कोर्ट के तत्कालीन जज मधुसूदन शर्मा ने आसाराम को जीवन की आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी. यौन उत्पीड़न के मामले में पुलिस 1 सितंबर, 2013 को आसाराम को छिंदवाड़ा आश्रम से गिरफ्तार कर जोधपुर लाई थी. उसके बाद से आसाराम करीब 6 साल से अधिक समय से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं.
आसाराम की ओर से कई पेश की जा चुकी हैं जमानत याचिकाएं
तब से लेकर अब तक आसाराम की ओर से कई बार जमानत याचिका अधीनस्थ न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में पेश की जा चुकी हैं. लेकिन अभी तक आसाराम का खुली हवा में सांस लेने का सपना अधूरा रहा है. अब आसाराम की आशाएं मुंबई से आए वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीऐश गुप्ते पर टिकी है.
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