जोधपुर: बाजरे और कपास की MSP पर खरीद नहीं करने पर हाईकोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार को किया जवाब तलब

प्रदेश के किसानों के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर यह जनहित याचिका दायर की गई थी.
बाजरे और कपास की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद नहीं करने के मामले में जोधपुर हाईकोर्ट (High court) ने केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस देकर जवाब-तलब किया है.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: December 17, 2020, 7:18 AM IST
जोधपुर. प्रदेश के किसानों के बाजरे एवं कपास (Millet and cotton) को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर नहीं खरीदने के मामले में दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने केंद्र और राज्य सरकार (Center and State government) को नोटिस जारी करते हुए जवाब-तलब किया है. बुधवार को वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने किसान वेलफेयर सोसायटी पाली की ओर से दायर जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया है.
याचिकाकर्ता किसान वेलफेयर सोसायटी की ओर से अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने हाईकोर्ट में पक्ष रखते हुए बताया कि गत 5 जून 2020 को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए 14 फसलों की एमएसपी घोषित की थी. उसके बाद राज्य सरकार ने 14 अक्टूबर 2020 को अपनी अधिसूचना जारी की. लेकिन राज्य सरकार ने उसमें बाजरे और कपास को सम्मिलित नहीं किया. जबकि केंद्र सरकार ने बाजरे के लिये 2150 रुपए और कपास का 5800 रुपए एमएसपी दर भी निर्धारित कर दी थी. इस बार राज्य में 50 लाख मीट्रिक टन बाजरे की बंपर पैदावार हुई है. लेकिन एमएसपी के अभाव में प्रदेश के किसान स्थानीय मंडियों में 1300 रुपए प्रति क्विंटल से बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
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बाजरे की खरीद को लेकर गरमा चुकी है सियासत
प्रदेश के किसानों के साथ हो रहे इस भेदभाव को लेकर यह जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में यह भी कहा गया कि अगर राज्य सरकार इस कार्य में विफल रहती है तो केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाएं जिससे एमएसपी पर खरीद हो सके. हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को फसलों की खरीद संबंधी समस्त विवरण और शपथ-पत्र सहित अगली सुनवाई पर पेश करने के आदेश दिए हैं. उल्लेखनीय है कि हाल ही में बाजरे की खरीद को लेकर राजस्थान और हरियाणा के सीएम के बीच ट्वीटर वार हो चुका है. इसको लेकर सियासत काफी गरमायी थी.
याचिकाकर्ता किसान वेलफेयर सोसायटी की ओर से अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने हाईकोर्ट में पक्ष रखते हुए बताया कि गत 5 जून 2020 को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए 14 फसलों की एमएसपी घोषित की थी. उसके बाद राज्य सरकार ने 14 अक्टूबर 2020 को अपनी अधिसूचना जारी की. लेकिन राज्य सरकार ने उसमें बाजरे और कपास को सम्मिलित नहीं किया. जबकि केंद्र सरकार ने बाजरे के लिये 2150 रुपए और कपास का 5800 रुपए एमएसपी दर भी निर्धारित कर दी थी. इस बार राज्य में 50 लाख मीट्रिक टन बाजरे की बंपर पैदावार हुई है. लेकिन एमएसपी के अभाव में प्रदेश के किसान स्थानीय मंडियों में 1300 रुपए प्रति क्विंटल से बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
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प्रदेश के किसानों के साथ हो रहे इस भेदभाव को लेकर यह जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में यह भी कहा गया कि अगर राज्य सरकार इस कार्य में विफल रहती है तो केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाएं जिससे एमएसपी पर खरीद हो सके. हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को फसलों की खरीद संबंधी समस्त विवरण और शपथ-पत्र सहित अगली सुनवाई पर पेश करने के आदेश दिए हैं. उल्लेखनीय है कि हाल ही में बाजरे की खरीद को लेकर राजस्थान और हरियाणा के सीएम के बीच ट्वीटर वार हो चुका है. इसको लेकर सियासत काफी गरमायी थी.