गहलोत ने बेटे वैभव को ट्रेन से भेजा जोधपुर, जीत की मंजिल तक पहुंचाने हिमांशी भी आई साथ

जोधपुर ट्रेन से पहुंचे वैभव गहलोत.
अशोक गहलोत चाहते थे कि उनका बेटा वैभव उनके जैसा ही नेता बनकर दिखाए. उसकी पहली शुरुआत जयपुर से जोधपुर वैभव गहलोत की ट्रेन यात्रा से हुई.
- News18India
- Last Updated: April 2, 2019, 10:23 AM IST
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बेटे के सियासी सफर की शुरुआत उसी अंदाज में कराई, जैसी वे चाहते थे. बेटे को ट्रेन से भेजा चुनावी रणभूमि में. अशोक गहलोत चाहते थे कि उनका बेटा वैभव उनके जैसा ही नेता बनकर दिखाए. उसकी पहली शुरुआत जयपुर से जोधपुर वैभव गहलोत की ट्रेन यात्रा से हुई. जोधपुर के लोगों को ये आभास कराने के लिए कि वैभव गहलोत उनका ही यानी अशोक गहलोत का ही अक्स है. वैसी ही सादगी है. उनके जैसे ही आम आदमी की छवि.
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गहलोत की लॉचिंग उसी अंदाज में हुई. वैभव गहलोत जोधपुर पहुंचे तो स्टेशन पर कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भीड़ की स्टेशन चुनावी सभा नजर आ रहा था. वैभव गहलोत के नाम की तख्तियां और मालाएं लिए भारी भीड़. भीड़ में एक चेहरा थी हिमांशी गहलोत. वैभव गहलोत की पत्नी. वे वैभव के साथ ट्रेन में नहीं. स्टेशन पर पति के स्वागत के लिए एक समर्थक की तरह हाथ में तख्ती लिए इंतजार करती नजर आई.
वैभव के स्टेशन पहुंचे से पहले हिमांशी ने कहा कि मैं खुश हूं. जोधपुर का बेटा आ रहा है. जाहिर मंशा साफ है वैभव को चुनाव मैदान में मुख्यमंत्री पुत्र के बजाय जोधपुर का बेटा कहकर उताराना. जिससे शहर के लोग दिल से जुड़ सके.
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वैभव का स्टेशन पर किसी सितारे की तरह स्वागत हुआ. भीड़ देखकर वैभव के चेहेरे पर उम्मीद का जोश दौड़ने लगा. वैभव फिर कांग्रेस दफ्तर पहुंचे कार्यकर्ताओं से मिले.
फिर तय प्लान के मुताबिक गणेश मंदिर जाकर भगवान का आशिर्वाद लिया. फिर दरगाह पहुंचे जियारत करने. जोधपुर लोकसभा सीट पर डेढ़ लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. जाहिर वैभव ने दोनों को साधने की कोशिश की.

वैभव के साथ चल रहे नेताओं की कतार में भी जोधपुर संसदीय सीट के जातीय मिजाज का चेहरा नजर आया. राजपूत, जाट और विश्नोई. तीनों समुदाय के नेता साथ में. वैभव की चुन्नौती आसान नहीं है. मुकाबला बीजेपी के दिग्गज और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से है. वैभव जिस वक्त जोधपुर पहुंचे. शेखावत जयपुर पहुंचे बीजेपी की मिटिंग में.
शेखावत ने वैभव गहलोत पर बाहरी का तंज कसा और वैभव को प्रवासी जोधपुरवासी बताकर कहा कि जोधपुर आए उनका स्वागत. शेखावत ने अशोक गहलोत पर भी निशाना साधा. कहा अशोक गहलोत सीएम का कर्तव्य और राजस्थान की जनता को भूल बेटे की पोलिटिकल लॉन्चिंग में ही लगे रहे.

हालांकि वैभव गहलोत ने भी पलटवार किया और कहा कि उनके पिता और दादा जोधपुर के है. वे प्रवासी कैसे हो सकते हैं. ऐसे सियासी बाण, वार, पलटवार आने वाले दिनों में और देखने को मिल सकते हैं.
शेखावत जानते हैं कि उनका मुकाबला अब वैभव गहलोत से नहीं उनके मुख्यमंत्री पिता अशोक गहलोत से भी है. अशोक गहलोत ने वैभव की चुनावी रण में लॉन्चिंग वैसे ही करवाई. जैसा वे चाहते थे. लेकिन ये सिर्फ शुरुआत है. आने वाले दिनों में दोनों के बीच कड़ा और दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है.
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गहलोत की लॉचिंग उसी अंदाज में हुई. वैभव गहलोत जोधपुर पहुंचे तो स्टेशन पर कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भीड़ की स्टेशन चुनावी सभा नजर आ रहा था. वैभव गहलोत के नाम की तख्तियां और मालाएं लिए भारी भीड़. भीड़ में एक चेहरा थी हिमांशी गहलोत. वैभव गहलोत की पत्नी. वे वैभव के साथ ट्रेन में नहीं. स्टेशन पर पति के स्वागत के लिए एक समर्थक की तरह हाथ में तख्ती लिए इंतजार करती नजर आई.

वैभव गहलोत.
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वैभव का स्टेशन पर किसी सितारे की तरह स्वागत हुआ. भीड़ देखकर वैभव के चेहेरे पर उम्मीद का जोश दौड़ने लगा. वैभव फिर कांग्रेस दफ्तर पहुंचे कार्यकर्ताओं से मिले.
फिर तय प्लान के मुताबिक गणेश मंदिर जाकर भगवान का आशिर्वाद लिया. फिर दरगाह पहुंचे जियारत करने. जोधपुर लोकसभा सीट पर डेढ़ लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. जाहिर वैभव ने दोनों को साधने की कोशिश की.

वैभव गहलोत.
वैभव के साथ चल रहे नेताओं की कतार में भी जोधपुर संसदीय सीट के जातीय मिजाज का चेहरा नजर आया. राजपूत, जाट और विश्नोई. तीनों समुदाय के नेता साथ में. वैभव की चुन्नौती आसान नहीं है. मुकाबला बीजेपी के दिग्गज और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से है. वैभव जिस वक्त जोधपुर पहुंचे. शेखावत जयपुर पहुंचे बीजेपी की मिटिंग में.
शेखावत ने वैभव गहलोत पर बाहरी का तंज कसा और वैभव को प्रवासी जोधपुरवासी बताकर कहा कि जोधपुर आए उनका स्वागत. शेखावत ने अशोक गहलोत पर भी निशाना साधा. कहा अशोक गहलोत सीएम का कर्तव्य और राजस्थान की जनता को भूल बेटे की पोलिटिकल लॉन्चिंग में ही लगे रहे.

वैभव गहलोत(एकदम दाएं).
हालांकि वैभव गहलोत ने भी पलटवार किया और कहा कि उनके पिता और दादा जोधपुर के है. वे प्रवासी कैसे हो सकते हैं. ऐसे सियासी बाण, वार, पलटवार आने वाले दिनों में और देखने को मिल सकते हैं.
शेखावत जानते हैं कि उनका मुकाबला अब वैभव गहलोत से नहीं उनके मुख्यमंत्री पिता अशोक गहलोत से भी है. अशोक गहलोत ने वैभव की चुनावी रण में लॉन्चिंग वैसे ही करवाई. जैसा वे चाहते थे. लेकिन ये सिर्फ शुरुआत है. आने वाले दिनों में दोनों के बीच कड़ा और दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है.
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