लोकसभा चुनाव: जोधपुर में वैभव-गजेंद्र को भगवान से उम्मीद

जोधपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत.
राजस्थान की जोधपुर लोकसभा सीट पर सबसे चर्चित और दिलचस्प मुकाबला हो रहा है. मुकाबला इतना कांटे का कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के प्रत्याशी भगवान की शरण में हैं.
- News18India
- Last Updated: April 22, 2019, 2:16 PM IST
राजस्थान में सबसे चर्चित और दिलचस्प मुकाबला जोधपुर में हो रहा है. मुकाबला इतना कांटे का कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के प्रत्याशी भगवान की शरण में हैं. जोधपुर से कांग्रेस प्रत्याशी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत संतों की शरण में है. झाड़ फूंक करवा रहे हैं. रविवार को जोधपुर में अजनेश्वर आश्रम में संत शांतेश्वर का आशिर्वाद लेने के साथ झाड़ा भी लगवाया.
ये भी पढ़ें- गहलोत के गढ़ में BJP का ये नेता दे रहा चुनौती, जानें कौन हैं गजेंद्र सिंह शेखावत
जीत की ये चिंता दूसरी तरफ भी है. बीजेपी प्रत्याशी गजेंद्र शेखावत की जीत की कामना के लिए ससुराल पक्ष ने विजय अनुष्ठान करवाया. आहूतियां दी. शेखावत के ससुर हरि सिंह खुद अनुष्ठान में बैठे. साथ में चाचा ससुर राम प्रताप सिंह ने भी आहूति दी. दोनों ने दामाद की जीत की कामना की. जब दोनों से सवाल पूछा गया कि क्या विजय अनुष्ठान दामाद की जीत की दुआ के लिए है. दोनों ने हवन का मकसद दामाद की जीत के साथ देश में राष्ट्रवादी सरकार की स्थापना और पीएम नरेंद्र मोदी के दुबारा सत्ता में आने की कामना बताया. कहा, जोधपुर से लेकर दिल्ली तक जीत हो.
कुछ दिन पहले ही जोधपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नींबू मिर्ची की माला पहनाई थी, इस मकसद के साथ कि गहलोत को नजर न लगे. आखिर में बेटे वैभव गहलोत की नैया मुख्यमंत्री पिता अशोक गहलोत पर टिकी है. शायद यही वजह रही कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अशोक गहलोत को नजर की माला पहनाई.
ये भी पढ़ें- कृष्णा पूनिया को चुनौती देंगे राज्यवर्धन राठौड़, साथ आए ये दिग्गज खिलाड़ी
अब सवाल ये कि भगवान के आशिर्वाद और टोटकों में क्यों भरोसा कर रहे हैं दोनों प्रत्याशी? इसकी वजह है जोधपुर में दोनों के बीच मुकाबला इतना कड़ा है कि गांव-ढ़ाणी और शहर की गलियों से निकल कर डोर टू डोर जा पहुंचा. एक तरफ वैभव गहलोत की नैया पार लगाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुद मोर्चा संभाल रखा है. वे नामांकन के बाद तीन दिन रुके रणनीति तैयार की. संरपचों तक से मिले. उसके बाद भी जोधपुर के लगातार दौरे कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- राजस्थान से केंद्र की सियासत तक पहुंचना चाहती हैं ये महिलाएं
गहलोत सरकार के आधा दर्जन मंत्री, कई विधायक, कांग्रेस के दो दर्जन से अधिक नेता जोधपुर में डेरा डाले हुए हैं. जातियों की गोलबंदी के लिए बिरादरी के सूरमाओं को भी मैदान में उतारा जा रहा है. सभी का एक ही मकसद है किसी तरह जोधपुर फतह करना. जोधपुर में जीत या हार असर वैभव से ज्यादा अशोक गहलोत पर पड़ेगा. अपने गृह जिले मे किसी कीमत पर हारना नहीं चाहते गहलोत.
ये भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव: बीजेपी का 'मिशन 25' पूरा करने में जुटी वसुंधरा

ये भी पढ़ें- जातीय समीकरण साधने के लिए रामनाथ कोविंद को बनाया राष्ट्रपति- अशोक गहलोत
ऐसी ही कसरत गजेंद्र शेखावत भी कर रहे हैं. बीजेपी ने जोधपुर में पूरी ताकत झौंक दी. आरएएस से लेकर सीमा जन कल्याण परिषद और कई संगठन शेखावत के लिए काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद, अमित शाह भी एक दिन जोधपुर में सभा करेंगे. दरअसल, बीजेपी भी जोधपुर की सीट पर गजेंद्र सिंह की जीत-हार को खुद की प्रतिष्ठा से जोड़ रही है. वजह है शेखावत के रूप में बीजेपी वसुंधरा राजे के उतराधिकारी की तलाश कर रही है. हार का मतलब शेखावत ही नहीं बीजेपी की उम्मीद पर भी पलीता.
एक क्लिक और खबरें खुद चलकर आएंगी आपके पास, सब्सक्राइब करें न्यूज़18 हिंदी WhatsApp अपडेट्स
ये भी पढ़ें- गहलोत के गढ़ में BJP का ये नेता दे रहा चुनौती, जानें कौन हैं गजेंद्र सिंह शेखावत
जीत की ये चिंता दूसरी तरफ भी है. बीजेपी प्रत्याशी गजेंद्र शेखावत की जीत की कामना के लिए ससुराल पक्ष ने विजय अनुष्ठान करवाया. आहूतियां दी. शेखावत के ससुर हरि सिंह खुद अनुष्ठान में बैठे. साथ में चाचा ससुर राम प्रताप सिंह ने भी आहूति दी. दोनों ने दामाद की जीत की कामना की. जब दोनों से सवाल पूछा गया कि क्या विजय अनुष्ठान दामाद की जीत की दुआ के लिए है. दोनों ने हवन का मकसद दामाद की जीत के साथ देश में राष्ट्रवादी सरकार की स्थापना और पीएम नरेंद्र मोदी के दुबारा सत्ता में आने की कामना बताया. कहा, जोधपुर से लेकर दिल्ली तक जीत हो.

बीजेपी प्रत्याशी गजेंद्र सिंह शेखावत.
ये भी पढ़ें- कृष्णा पूनिया को चुनौती देंगे राज्यवर्धन राठौड़, साथ आए ये दिग्गज खिलाड़ी
अब सवाल ये कि भगवान के आशिर्वाद और टोटकों में क्यों भरोसा कर रहे हैं दोनों प्रत्याशी? इसकी वजह है जोधपुर में दोनों के बीच मुकाबला इतना कड़ा है कि गांव-ढ़ाणी और शहर की गलियों से निकल कर डोर टू डोर जा पहुंचा. एक तरफ वैभव गहलोत की नैया पार लगाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुद मोर्चा संभाल रखा है. वे नामांकन के बाद तीन दिन रुके रणनीति तैयार की. संरपचों तक से मिले. उसके बाद भी जोधपुर के लगातार दौरे कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- राजस्थान से केंद्र की सियासत तक पहुंचना चाहती हैं ये महिलाएं
गहलोत सरकार के आधा दर्जन मंत्री, कई विधायक, कांग्रेस के दो दर्जन से अधिक नेता जोधपुर में डेरा डाले हुए हैं. जातियों की गोलबंदी के लिए बिरादरी के सूरमाओं को भी मैदान में उतारा जा रहा है. सभी का एक ही मकसद है किसी तरह जोधपुर फतह करना. जोधपुर में जीत या हार असर वैभव से ज्यादा अशोक गहलोत पर पड़ेगा. अपने गृह जिले मे किसी कीमत पर हारना नहीं चाहते गहलोत.
ये भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव: बीजेपी का 'मिशन 25' पूरा करने में जुटी वसुंधरा

जोधपुर अजनेश्वर धाम मन्दिर में दर्शन करते लोकसभा प्रत्याशी वैभव गहलोत.
ये भी पढ़ें- जातीय समीकरण साधने के लिए रामनाथ कोविंद को बनाया राष्ट्रपति- अशोक गहलोत
ऐसी ही कसरत गजेंद्र शेखावत भी कर रहे हैं. बीजेपी ने जोधपुर में पूरी ताकत झौंक दी. आरएएस से लेकर सीमा जन कल्याण परिषद और कई संगठन शेखावत के लिए काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद, अमित शाह भी एक दिन जोधपुर में सभा करेंगे. दरअसल, बीजेपी भी जोधपुर की सीट पर गजेंद्र सिंह की जीत-हार को खुद की प्रतिष्ठा से जोड़ रही है. वजह है शेखावत के रूप में बीजेपी वसुंधरा राजे के उतराधिकारी की तलाश कर रही है. हार का मतलब शेखावत ही नहीं बीजेपी की उम्मीद पर भी पलीता.
एक क्लिक और खबरें खुद चलकर आएंगी आपके पास, सब्सक्राइब करें न्यूज़18 हिंदी WhatsApp अपडेट्स