रिपोर्ट:मोहित शर्मा
करौली. राजस्थान अपनी कई परंपराओं, संस्कृति और कई पर्वों को विशेष उत्साह के साथ मनाए जाने के लिए विश्व भर में जाना जाता है. जहां आज भी कई विशेष पर्वों को लेकर लोगों में भारी उत्साह नजर आता है. होली के बाद गणगौर का त्योहार भी राजस्थानी लोक संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार है. जिसे राजधानी जयपुर में गणगौर माता की भव्य सवारी निकालकर बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. कोई समय था जब राजाशाही जमाने में धार्मिक नगरी करौली में भी राजसी ठाट-बाट से गणगौर की सवारी निकला करती थी, लेकिन कुछ सालों से गणगौर की सवारी नहीं निकल रही थी। ऐसे में अग्रवाल समाज की महिलाओं ने जयपुर की तर्ज पर छोटे स्वरूप में गणगौर की सवारी निकाल लुप्त होती इस परंपरा को एक नया जीवनदान दिया है.
अग्रवाल महिला मंडल की वर्षा सर्राफ ने बताया कि आज हम सभी महिलाओं ने मिलकर बड़ी धूमधाम के साथ गणगौर माता की सवारी निकाली थी. जयपुर की तर्ज पर छोटे स्वरूप में गणगौर माता की इस सवारी का मुख्य उद्देश्य इस प्राचीन परंपराओं को बढ़ावा देना है. करौली में इस लुप्त होती परंपरा को फिर स्थापित करना है. इसी के चलते महिला मंडल ने 16 श्रृंगार करके गणगौर माता की अद्भुत और आकर्षक सवारी निकाली थी. वहीं, हम आगे चाहते हैं कि करौली की सभी महिलाएं लुप्त होती परंपराओं को बचाने के लिए ऐसी सवारी निकालें.
परंपरा बचाने के लिए निकाली सवारी
सवारी में आई महिला तरुणा गोयल ने बताया कि सवारी में हमने अपनी एक महिला साथी को शिवजी के रूप में दूल्हा बना कर और दूसरी महिला साथी को पार्वती माता के रूप में गोरा मैया गणगौर के रूप में सजाया था. हमारे महिला मंडल की यहीं कोशिश है कि करौली में यह खत्म होती परंपरा आगे भी कायम रहे.
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