मोहित शर्मा/करौली. करौली में गजक का इतिहास 100 सालों से भी पुराना है. यहां पर कुटेमा में गजक के साथ-साथ स्पेशल गजक बनाई जाती है. जिसे तिली की बर्फी के नाम से जाना जाता है. तीली और मावे से बनने वाली यह गजक अपने खस्ता स्वाद के लिए प्रदेशभर में ही नहीं बल्कि विदेशों तक पसंद की जाती है. सर्दियों की शुरुआत के साथ ही करौली में हर मिठाई की दुकान पर यह स्पेशल गजक बनाई जाती है. लेकिन पूरे शहर में इस गजक के लिए सबसे ज्यादा दो हलवाइयों की दुकान सबसे ज्यादा पसंद की जाती है. तिल और मावे की स्पेशल गजक बनाने वाले प्रसिद्ध हलवाई बताते हैं कि इस प्रकार की गजक केवल करौली में ही बनाई जाती है.
करौली में तिल और मावे की स्पेशल गजक शहर की कई दुकानों पर बनाई जाती है. लेकिन सबसे बेहतरीन स्वाद के लिए करौली की पुरानी नगरपालिका पर मदन हलवाई की पुश्तैनी दुकान और दूसरी भगवती मिठाई वाले की दुकान यहां के स्थानीय लोगों की पहली पसंद है. पुरानी नगरपालिका पर स्थित मदन हलवाई के पुत्र मुकेश गुप्ता ने बताया कि यह गजक हमारी इस पुश्तैनी दुकान पर तीन पीढ़ियों से बनती आ रही है. और आज भी हम इस गजक को पूरे शुद्ध तरीके से तैयार करते हैं. उनका ऐसा कहना है कि ऐसी गजक केवल करौली में ही बनाई जाती है.
वहीं दूसरी ओर भगवती मिष्ठान भंडार के राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि पहले वो बड़े बाजार में चाय की दुकान करते थे फिर उन्होंने मिठाई बनाने का कार्य शुरू कर दिया. जिसमें सर्दियों में सबसे स्पेशल मिठाई के तौर पर उनके यहां तीली की बर्फी तैयार की जाती है. उनका कहना है कि हमारे यहां पर 15 साल से तिल और मावे की गजक ताजा बनाई जाती है.
भोग के लिए होता है विशेष उपयोग
गजक लेने आए ओमप्रकाश चतुर्वेदी ने बताया कि करौली में शीतकालीन मौसम में इस गजक का सबसे ज्यादा उपयोग मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी के भोग के रूप में होता है तिली और मावे से बनी इस गजब को खाने से शरीर में गरमाहट उत्पन्न होती है. सर्दियों में गजक के सेवन से पेट की तिल्ली मजबूत होती है. हर जगह पर कच्ची तिली के साथ यह गजक बनाई जाती है. लेकिन करौली में तिली को सेककर यह गजक तैयार की जाती है.
जानिए कैसे तैयार होती है यह गजक और क्या है दाम
दोनों प्रसिद्ध हलवाईयों ने बात करने पर बताया की सबसे पहले कच्चे मावे को पूरी तरीके से सेका जाता है. उसके बाद तिली को साफ करके इसे हल्की आंच पर सेका जाता है. सिकाई होने के बाद तीली को हल्केपन से कुटा जाता है. फिर तैयार मावे में तिली को डालकर और मिठास के लिए बुरा मिलाकर इन तीनों को मिक्स किया जाता है. पूरी तरीके से मिक्स होने के चौकोर बर्तन में जमा दिया जाता है. और फिर करीब आधे घंटे के बाद इस गजक को काटकर तैयार किया जाता है. गजक हलवाई मुकेश गुप्ता ने बताया कि प्रतिदिन जितनी गजक बनती है उससे ज्यादा गजक की खपत होती है क्योंकि प्रतिदिन गजक ताजा तैयार की जाती है. करौली के इन दोनों प्रतिष्ठानों पर गजक का भाव एक समान है तिली और मावे से बनी स्पेशल गजक का भाव ₹240 किलो है.
अगर आप भी इस गजक का जायका लेना चाहते हैं तो कर सकते हैं संपर्क :
मदन हलवाई की दुकान ( करसाई वाले )
पुरानी नगर पालिका के पास
संपर्क : 8503078299
भगवती मिष्ठान भंडार
बड़ा बाजार करौली
संपर्क : 7734901205
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Tags: Karauli news, Rajasthan news
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