रिपोर्ट – मोहित शर्मा
करौली. न संघर्ष, न तकलीफ तो क्या खाक मजा है जीने में, बड़े-बड़े तूफान थम जाते हैं जब आग लगी हो सीने में. कुछ यही कहानी है करौली की धरा पर जन्मे वीरवास गांव के निवासी सचिन सिंह जादौन की. जन्म से दृष्टिहीन होने के बाद और शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियां कमजोर होने से अब तक उनके शरीर में 18 फैक्चर होने के बावजूद भी सचिन ने अपनी इस कमी को कभी भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और आज ऑनलाइन क्लासेज और यूट्यूब के सहारे पढ़कर अपने मजबूत इरादों से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है. साथ ही युवाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बना हुआ है.
क्लास में सुनकर और यूट्यूब से पढ़कर 90 फीसदी अंक किए हासिल
न्यूज़ 18 से खास बातचीत में सचिन ने बताया कि मैंने 10 वीं में सीबीएससी बोर्ड से 89 परसेंट और क्लास 12वीं में कला वर्ग से 90.20 परसेंट सीबीएसई बोर्ड से हासिल किए हैं. जो कि मैंने क्लास में सुनकर और घर पर यूट्यूब के सहारे पढ़कर हासिल किए हैं. इस सब में मेरा सबसे ज्यादा सहयोग मेरे परिवार जन और मेरे शिक्षकों का रहा है. क्योंकि किताब पढ़ना तो मेरे लिए नामुमकिन था. लेकिन जो भी क्लास में पढ़ाया जाता था. घर पर आने के बाद उसको मेरे बड़े भैया किताब में पढ़कर मुझे सुनाते थे.
जन्म से हैं उनको यह बीमारी, नहीं है कोई स्थाई उपचार
अजय ग्रुप में निजी सर्विस करने वाले सचिन के पिता विजय सिंह जादौन ने बताया कि जब इसका जन्म हुआ उसके बाद चार-पांच महीने बाद इसकी जो हलचल थी. वह आम बच्चों से अलग थी. डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद पता लगा कि इसको दिखाई नहीं देता है. उसके बाद हमने कई बड़े शहरों में भी इसके इलाज के लिए प्रयास किया लेकिन कोई स्थाई उपचार नहीं मिल पाया. वहीं दूसरी ओर सचिन के बड़े भाई नितिन सिंह जादौन का कहना है कि इसके शरीर में कैल्शियम की कमी होने के कारण इसकी हड्डियां भी कमजोर हैं. हल्के प्रेशर या मामूली गिरने से इसके शरीर की हड्डियों में फैक्चर हो जाता है. इसकी याददाश्त इतनी तेज है कि जो भी एक बार सुन लेता है फिर उसको भूलता नहीं है. इसी चीज को उसने अपनी एबिलिटी बना रखी है. जिसके कारण क्लास में भी उसको जो बताया जाता है वह उसको याद रहता है. और अब तक की पूरी पढ़ाई इसने सुन सुनकर ही हासिल की है.
सिविल सर्विसेज में जाने का है सपना
सचिन का कहना है कि फिलहाल में ग्रेजुएशन में बीएड का इंटीग्रेटेड कोर्स कर रहा हुँ . और सिविल सर्विसेज में जाना मेरा सपना है. जिसके लिए में घर पर ही ऑनलाइन क्लासेज और यूट्यूब को सुनकर तैयारी कर रहा हूं और दिव्यांगजनों के लिए मेरी यह प्रेरणा है कि जो चीज हमें भगवान से मिली है उसे तो हम नहीं बदल सकते. तो हमें अब यह सोचना है की उस कमी के रहते हुए हम क्या कर सकते हैं. और ऐसे कौन से बिंदु हैं जो चीज नहीं है. उसको थोड़ा सा दरकिनार करके हम हमारी किन चीजों को और विकसित कर सकते हैं. जिससे हम लोगों को बता सकें कि हम भी समाज का अभिन्न अंग है. तकलीफ और संघर्ष तो जीवन के दो पहलू हैं.
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Tags: Karauli news, Rajasthan news
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