होम /न्यूज /राजस्थान /राजस्थान: दुर्गा अष्टमी पर कैलादेवी में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, ढाई लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए माता के दर्शन

राजस्थान: दुर्गा अष्टमी पर कैलादेवी में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, ढाई लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए माता के दर्शन

करौली के कैलादेवी मंदिर में दुर्गा अष्टमी के दिन ढाई लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन किए.

करौली के कैलादेवी मंदिर में दुर्गा अष्टमी के दिन ढाई लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन किए.

Kaila Devi Mandir in Durgashtami: करौली के प्रसिद्ध कैलादेवी मंदिर में दुर्गा अष्टमी के दिन श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा. ...अधिक पढ़ें

करौली. उत्तर भारत के प्रमुख शक्ति पीठों में शामिल कैलादेवी का चैत्र मास में लगने वाला वार्षिक लक्खी मेला अपने पूरे शबाब पर चल रहा है. दुर्गाष्टमी पर सुबह 3 बजे से ही श्रद्धालुओं की कतारें लग गईं और माता के जयकारे लगाते श्रद्धालु आगे बढ़ते हुए माता के दर्शन कर खुशहाली की मनौती मांगते दिखाई दिए. दरबार में श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ है कि माता के दर्शन करने में 1 घंटे से ज्यादा का समय लग रहा हैं. मेले में माता के भक्तों का भारी सैलाब उमड़ रहा है.

19 मार्च को लगा यह मेला 4 अप्रैल तक चलेगा जिसमें राजस्थान के अतिरिक्त करीब आधा दर्जन राज्यों से 50 लाख से अधिक श्रद्धालु माता कैलादेवी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. वहीं मेले के दौरान अब तक करीब 35 लाख से अधिक भक्त मां के चरणों में अपनी हाजरी लगा चुके हैं. मेले में सर्वाधिक भीड़ दुर्गाष्टमी एवं राम नवमी को रहती है जिसमें दो दिनों में ही करीब 8 लाख श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मेले में राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा आदि राज्यों से भी श्रद्धालु भारी संख्या में आते हैं.

महाकुम्भ जैसा दिख रहा नजारा
मेले में ट्रेन व बस के अतिरिक्त बड़े पैमाने पर पैदल यात्रियों का जत्था भी कैला मैया के द्वार पहुंचता है. कई श्रद्धालु हाथों में ध्वजा लेकर पैदल ही माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. इस दौरान नवविवाहित जोड़े, बच्चे के जन्म और घर में कोई भी शुभ काम होने पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता की जात करने पहुंच रहे हैं. मेले में कानून व्यवस्था के लिए पुलिस के 1250 कर्मियों को तैनात किया गया है. वहीं मेले में हिंडौन व करौली सहित अन्य शहरों की करीब 320 रोडवेज बसों को भी लगाया गया है. कैलादेवी में यात्रियों का इस कदर सैलाब उमड़ रहा है कि नजारा दूसरे महाकुम्भ का दिखाई देता है.

नदी से लोगों की अटूट आस्था
कैलादेवी में बहने वाली कालीसिल की नदी से भी लोगों की अटूट आस्था जुडी हुई है. ऐसा माना जाता है कि कालीसिल नदी में स्नान करने के बाद दर्शन करने से ही कैला माता प्रसन्न होती है और देवी का जात पूरी होती है. इसी के चलते कैलादेवी मेले में आने वाले अधिकांश यात्री माता के दर्शनों से पूर्व कालीसिल नदी में स्नान कर स्वयं को पवित्र करते हैं. कैला मैया के दरबार में भक्त अपनी मनौती पूरी होने पर वाहनों से पहुंचते हैं वहीं कुछ पैदल चलकर आते हैं. कुछ श्रद्धालु प्रतिवर्ष बिना किसी मनौती के ही नियमित दर्शनों को आते हैं. कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे दिल से माता से कुछ मांगता है तो कैला मां उसे कभी निराश नहीं करती. माता के कृपा भाव के कारण ही प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में बढोतरी हो रही है.

हर उम्र के श्रद्धालु हैं शामिल
कैलादेवी माता के दर्शनों के आने वाले भक्तों में हर उम्र के लोग शामिल होते हैं. दूध पीते बच्चों से लेकर 100 वर्ष तक की उम्र के भक्त माता का जयकारा लगाते हुए निरंतर आगे बढते हैं. कैलादेवी के भक्तों में मान्यता है कि घर में बच्चे के जन्म के बाद प्रथम बार कैलादेवी में ही बच्चे का मुंडन कराकर मां को बाल समर्पित किए जाते हैं. इसके अतिरिक्त बडे बुजुर्ग व युवा भी मनौती पूरी होने पर अपने बाल मां के चरणों में समर्पित कर मुंडन कराते हैं. मां के भक्तों में पीढियों से ऐसी भी मान्यता है कि घर में बेटे की शादी के बाद आने वाले पहले चैत्र मेले में नवविवाहित पति-पत्नी का जोडा मां के दरबार में आर्शीवाद लेने पहुंचता है. जब तक पूरा परिवार मां के दर्शनों की जात करने नहीं पहुंचता है तब तक घर का कोई सदस्य माता के मंदिर में अकेले दर्शनों को नहीं जाता है.

डकैतों का भी रहा वर्चस्व
कैलादेवी मेला चम्बल नदी के उस डांग क्षेत्र से जुडा हुआ है जहां डकैतों का डंका बजता था. यहीं कारण है कि डकैत भी कैला मां के प्रति अपनी अटूट आस्था रखते थे. कई ईनामी डकैत पुलिस के मुंह छिपाकर कैलादेवी में माता के दर्शनों के लिए पहुंचते थे. वहीं मनौती पूरी होने पर डकैतों द्वारा मां के चरणों में विजय घंट आदि चढाकर मां को प्रसन्न करने के प्रयास किए जाते रहे हैं.

Tags: Karauli news, Rajasthan news

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें