रिपोर्ट: मोहित शर्मा
करौली. गणगौर का पर्व राजस्थान की संस्कृति का सबसे खास एवं महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. इस दौरान घरों में कई तरह के विशेष पकवान बनते हैं. लेकिन राजस्थान के करौली में गणगौर के त्योहार के अवसर पर एक स्पेशल मिठाई बनती है, जिसकी पहचान यहां गुना के नाम से होती है. इसकी डिमांड इतनी जबरदस्त रहती है कि 300 क्विंटल मिठाई भी कम पड़ जाती है.
मैदा और चाशनी की मिठास से तैयार की गई यह मिठाई यहां केवल गणगौर के अवसर पर ही बनती है और बिकती है. गणगौर के पकवान गुना के नाम से प्रसिद्ध इस जायके का यहां लोग साल भर इंतजार करते हैं. गणगौर के त्योहार के नजदीक आते ही करौली की हर मिठाई की दुकान पर यह मिठाई 10 दिन पहले से ही बनना शुरू हो जाती है.
एडवांस में आते हैं ऑर्डर, नहीं हो पाती पूर्ति
इस खास मिठाई को बनाने वाले हलवाई हेमराज सैनी का कहना है कि गणगौर पर गुना के स्वाद का चलन यहां बरसों पुराना है और इनकी बिक्री तो इतनी होती है कि हमारे पास 15 दिन पहले से ही एडवांस ऑर्डर आना शुरू हो जाते हैं. लेकिन इसकी पूर्ति नहीं हो पाती है. करीब 10 दिन से रात दिन गुना बनाते आ रहे हलवाई का कहना है कि करौली में तीन प्रकार के गुना बनाए जाते हैं एक मीठे गुना, एक छल्ला वाले गुना और एक नमकीन वाले गुना.
इस मिठाई से गणगौर पूजती हैं यहां महिलाएं
कई पीढ़ियों से इस मिठाई को बनाते आ रहे हलवाई विनोद गुप्ता का कहना है कि जब से हमने अपनी दुकान संभाली है, तब इस मिठाई को देखते आ रहे हैं. यहां गणगौर के अवसर पर गुना ही बनते हैं और यहां की सभी महिलाएं गुना से ही गणगौर पूजती हैं.
₹150 से लेकर ₹400 किलो तक भाव
गुना व्यापारी विनोद गुप्ता ने बताया कि मीठे गुना की मांग यहां सबसे ज्यादा रहती है और इसकी सबसे ज्यादा खपत होती है. करौली में गुना का भाव ₹150 से लेकर ₹400 किलो तक होता है. उनका कहना है कि पूरे करौली की सारी मिठाइयों की दुकानों पर लगभग 300 क्विंटल से ज्यादा गुना की खपत होती है और गणगौर के दिन तो स्थिति यह रहती है कि गुना कई लोगों को तो मिल भी नहीं पाता है.
मैदा से बनाई जाती है यह मिठाई
गुना को बनाने वाले हलवाई हेमराज सैनी ने बताया कि गुना बनाने के लिए सबसे पहले मैदा में घी और पानी डालकर उसे हाथों से गुथा जाता है. इसके बाद में इसे गोलाकार गुना का आकार हाथों से दिया जाता है. आकार देने के बाद इसकी सिकाई की जाती है और ठंडे होने पर इस पर दो तार की चासनी चढ़ाई जाती है.
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