रिपोर्ट: मोहित शर्मा
करौली. तेजी से आधुनिक हो रही इस दुनिया में भले ही आज बटन दबाते ही पानी आ जाता है. लेकिन आज भी कई गांव ऐसे है जहां महिलाएं कोसों दूर से सिर पर पानी ढोने को मजबूर है.उन्हीं गांवों में से एक है करौली जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर पर स्थित विरवास गांव. आजादी के कई वर्षों बाद भी इस गांव के 80 परिवारों की प्यास बुझाने का एकमात्र साधन करौली हिंडौन मार्ग पर पांचना पुल के पास एक हैंड पंप है. गांव के 80 परिवारों की पानी की इस समस्या को देखते हुए कहा जा सकता है कि सरकार की हर घर नल योजना यहां फेल है .
गांव में एकमात्र पीने के पानी के लिए एकमात्र हैंड पंप भी दूरी पर स्थित होने के कारण महिलाओं को कोसों दूर से सिर पर पानी ढोना पड़ता है. अपनी शादी के बाद से पानी ढो रही महिला कांता देवी का कहना है कि कई सालों से पानी ढो-ढोकर हमारे बाल तक उड़ चुके है. गांव में एक हैंड पंप होने के कारण हमें घंटों तक यहां लाइन लगाना पड़ता है, तब जाकर हमारा पानी के लिए नंबर आता है. महिला कांता देवी ने बताया कि हमारे घर से हैंड पंप ज्यादा दूरी पर स्थित होने के कारण हमें रोज सिर पर पानी ढोना पड़ता है.
गर्भवती महिला भी पानी ढोने को मजबूर
जिले से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में साधारण महिलाओं सहित छोटी-छोटी बच्चियां तो पानी सिर पर पानी ले जाती है. लेकिन आलम यह है कि गांव की गर्भवती महिलाएं भी अपने बच्चों की प्यास बुझाने के लिए पानी ढोने को मजबूर है. गांव की गर्भवती महिलाओं को करौली हिंडौन मार्ग पर सिर पर दो तीन बर्तन रख कर पानी ले जाते देख मार्ग से निकलने वाला हर शख्स दंग रह जाता है. कोसों दूर से हैंड पंप पर पानी भरने आई गर्भवती महिला रामनेरी ने बताया कि पानी की इस समस्या से जूझते हुए हमें कई सालों बीत गए हैं. शादी से पहले हमारी सास यहां से पानी ढोती थी. आज हम भी गर्भावस्था के दौरान अपने बच्चों की प्यास बुझाने के लिए सुबह-शाम सिर पर पानी ढोते है.
शिकायत के बाद भी नहीं हुआ समाधान
स्थानीय निवासी हंसराम जाटव का कहना है कि हमारे गांव में सबसे बड़ी समस्या है पानी की. जिससे गांव की महिलाएं कई सालों से जूझ रही है. पीने के पानी के लिए हमारे गांव के लोगों का एकमात्र सहारा एक हैंड पंप है. इसी हैंड पंप से गांव की महिलाएं दो-दो किलोमीटर की दूरी से आकर सिर पर पानी ले जाती है. ग्रामीण हंसराम जाटव का कहना है कि पानी की इस समस्या के लिए हम कई बार जल संसाधन विभाग में भी कई बार शिकायत कर चुके है. लेकिन आज तक हमारी इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है.
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