रिपोर्ट- मोहित शर्मा
करौली. इस्लाम में रमजान का महीना अल्लाह की इबादत के लिए सबसे पवित्र माना जाता है. जिस प्रकार आम सभी फलों का राजा कहलाता है. उसी प्रकार रमजान का पाक महीना तमाम महीनों का सरदार यानी राजा कहलाता है. रमजान के पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत के लिए रोजे रखते हैं. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान का महीना रहमतों और बरकतों का महीना भी माना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान की सबसे खास इबादत रोजा रखना होता है. रोजे रखने के भी कई नियम कानून होते हैं और रोजे के साथ-साथ उन तमाम नियमों को निभाना हर रोजेदार का फर्ज होता है.
जानिए क्या है रोजा
मरकज मस्जिद के मौलवी मुफ्ती इलियास मजाहिरी के मुताबिक, रोजा अल्लाह, तबारक और तआला के लिए खाने-पीने और बीवी से सोहबत और तमाम बुराइयों से रुक जाने को रोजा कहते हैं. रमजान में रोजा अल्लाह की सबसे अहम इबादत है और इसका जिक्र कुरान और पाक में भी किया गया है. रमजान के समय हर मुसलमान पर रोजे का फर्ज होता है.
इन चीजों से रोजा नहीं टूटता
भूलकर खाना-पीना या फिर भूलकर बीवी से सोहबत करना, रोजे में खून टेस्ट कराना, रोजे में इंजेक्शन या टीका लगवाना जबकि दवा बराहे रास्ते दिमाग व पेट तक ना पहुंचे, डायलिसिस कराना, ऑक्सीजन लेना, होम्योपैथिक दवा सूंघना, रोजे में ग्लूकोस चढ़वाना, बगैर इफ्तार के हलक में मक्खी पर मच्छर चला जाना, खुद ब खुद उल्टी हो जाना, सुरमा लगाना, आंख में दवा डालना इत्यादि कारणों से रोजा नहीं टूटता है.
इन चीजों से रोजा टूट जाता है
रोजा रखने के दौरान जानबूझकर खाना पीना या बीवी से सोहबत करना, इनहेलर का इस्तेमाल करना, कान नाक में दवा या तेल डालना और कुल्ली करते वक्त हलक में पानी चले जाना इत्यादि कारणों से रोजा टूट जाता है. मौलवी मुफ्ती इलियास मजाहिरी ने बताया कि रोजे के दौरान यदि रोजेदार जानबूझकर यह कार्य करता है तो वह गुनाह का हकदार होता है.
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