कनवास एसडीएम राजेश डागा ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बेटे को को माता-पिता की देखभाल करने के निर्देश दिए.
कोटा. जिस बागवां ने पाल-पोसकर अपने बच्चों को बढ़ा किया. उन्होंने बुढ़ापे का सहारा बनने के बाद अपने बुजुर्ग माता-पिता को अपने हाल पर ही छोड़ दिया. मजबूरी में इसकी शिकायत मां को एसडीएम को करनी पड़ी. एसडीएम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बेटे को को माता-पिता की देखभाल करने के निर्देश दिए. ऐसा न करने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. कनवास एसडीएम राजेश डागा के सामने रामकन्या पत्नी भैरूलाल मेघवाल निवासी हिंगोनिया ने आवेदन पेश किया था. इसमें उसने लिखा कि वह 65 वर्ष की और उसका पति 70 वर्ष का है. दोनों बुजुर्ग हैं और अस्वस्थ रहते हैं.
आरोप लगाया कि उसका बेटा नन्दकिशोर भरण-पोषण एवं इलाज के लिए किसी भी प्रकार का आर्थिक सहयोग नहीं करता. उसके पति के खाते 6 बीघा जमीन है, जिससे वो गुजर बसर कर रहे हैं. रामकन्या ने एसडीएम से नकद मासिक राशि दिलाने के स्थान पर भोजन और चिकित्सकीय उपचार हेतु बेटे को पाबंद करने की मांग की थी.
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एसडीएम ने प्रार्थना पत्र को गंभीरता से लेते हुए भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत दर्ज कर प्रार्थी के पुत्र व पुत्रवधु को न्यायालय में बुलाया. एसडीएम ने उन्हें बताया कि माता—पिता एवं वरिष्ठ नागरिक के कल्याण हेतु सरकार द्वारा भरण पोषण अधिनियम 2007 लागू किया गया है. इसके तहत वृद्ध व्यक्तियों एवं माता पिता के भरण पोषण एवं देखरेख हेतु व्यवस्था कि गई है.
इसकी अवहेलना करने पर 5 हजार रूपये का जुर्माना व 3 माह के कारावास से दण्डित किया जा सकता है. पुत्र से समझाईश कि गई कि माता—पिता की देखरेख, भरण पोषण करना उनकी जिम्मेदारी है. इसलिए वह अपने पिता की देख रेख करे एवं भरण पोषण की व्यवस्था करावे. अन्यथा कानूनी प्रावधानों में कार्यवाही अमल में लाई जायेगी.
उपखण्ड अधिकारी की समझाईश पर पुत्र नन्दकिशोर ने सहमति दी कि हम अपने माता—पिता के स्वास्थ्य की देख-रेख करेंगे. समय-समय पर चिकित्सकीय परीक्षण करवाते रहेंगे. उनके भोजन की उचित व्यवस्था करेंगे. एसडीएम की समझाइश से भरण-पोषण के प्रार्थना-पत्र का निस्तारण किया गया. अब तक उपखण्ड अधिकारी राजेश डागा ने कुल 24 भरण-पोषण के प्रार्थना-पत्रों का निस्तारण किया है.
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