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Kota News : नगाड़ों की थाप पर जमने लगी न्हाण उत्सव की रंगत, दो अखाड़ों के बीच जमकर चले शब्द बाण

500 साल पुरानी रियासत कालीन लोक संस्कृति की यह परंपरा आज भी यह निरंतर जारी है. यह न्हाण अलग ही अपने रंगों की छटा बिखेर ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट- शक्ति सिंह

कोटा. हाड़ौती का प्रसिद्ध कोटा जिले के सांगोद में पांच दिवसीय न्हाण  लोक उत्सव घूघरी की रसम के साथ शुरू हो गया है. कस्बे में बुध्वार रात को न्हाण अखाड़ा चौबे पाड़ा वह न्हाण अखाड़ा चौधरी पाड़ा के अलग-अलग घूघरी जुलूस मुख्य मार्गो से नगाड़ों की थाप के बीच निकले. इससे पहले देर शाम चौधरी पाड़ा बाजार पक्ष की ब्रह्माणी माता मंदिर के सामने घूघरी जुलूस की तैयारियां शुरू हो गई थी. यहां नगाड़ों की थाप के साथ ही न्हाण की रंगत जमने लगी. इसी तरह न्हाण अखाड़ा चौबे पाड़ा की घूघरी का जुलूस दाऊजी के मंदिर से रात को नगाड़ों की थाप के बीच शुरू हुआ. दोनों जुलूस मेन बाजार में मिले जहां दोनों अखाड़े के लोगों के बीच शब्द बाणों से जमकर कटाक्ष करते हुए मंचन हुआ.

देशभर के किन्नर भी सांगोद में पहुंचे
500 साल पुरानी रियासत कालीन लोक संस्कृति की यह परंपरा आज भी यह निरंतर जारी है. यह न्हाण अलग ही अपने रंगों की छटा बिखेरता है और करीब एक लाख से ज्यादा लोग इसके गवाह बनते हैं. 13 मार्च को निकलने वाली बादशाह की सवारी के साथ संपन्न होगा कोटा रियासत के जमाने से सांगोद में न्हाण लोक उत्सव का आयोजन होता आ रहा है. लोक संस्कृति का यह विशेष आयोजन आज भी उसी शान और शौकत से लगातार जारी है. इस लोक उत्सव में शामिल होने के लिए देशभर से किन्नर भी पहुंचे हैं.

उल्लेखनीय है कि हर साल यहां न्हाण शुरू होते ही कस्बा दो दलों में विभाजित हो जाता है. लोक उत्सव के समय एक पक्ष न्हाण अखाड़ा चौधरी पाड़ा तो दूसरा न्हाण अखाड़ा चौबे बड़ा बन जाता है. पहले दिन दोपहर को 12:00 वाले एवं दूसरे दिन के तीसरे प्रहर बादशाह की सवारी निकलती है. वही दूसरे दिन सुबह भवानी की सवारी निकलने वाली देवी देवताओं की झांकियां देख लोग मंत्र मुक्त हो जाते हैं. उत्सव के समय दोनों पक्षों के लोग अलग अलग अंदाज में स्वांग रचा कर लोगों का मनोरंजन करते हैं. दोनों पक्षों में हर बार कुछ नया करने की होड़ सी लगी रहती है.

दोनों पक्षों की बादशाह की सवारी के दौरान स्थानीय लोगों की ओर से अनेक प्रकार के जादुई करतब दिखाए जाते हैं. जिसे देख लोग दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाते है कलाकार जोश व उत्साह के साथ अपनी अपनी कलाओं की प्रस्तुति देते हैं. सबसे बड़ी विशेषता यह है कि बिना प्रचार प्रसार किए लाखों लोग इस आयोजन का हिस्सा बनते हैं. बिना आयोजन समिति के संपन्न होने वाले लोक उत्सव में आज तक कोई भी अप्रिय घटना नहीं घटी.

Tags: Kota news, Rajasthan news

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