Rajasthan: क्या आपने कभी पक्षियों को स्नैक्स खाते हुए देखा है ? देखना है तो कोटा चले आइये

सर्द मौसम में सीगल नामक प्रजाति के विदेशी पक्षी इन दिनों कोटा और आसपास के जलाशयों में डेरा जमाया हुये हैं.
राजस्थान के कोटा संभाग में चंबल नदी (Chambal River) पर इन दिनों सात समंदर पार से आये विदेशी पक्षियों ने डेरा डाल रखा है. इनमें सीगल (Seagull) को इन दिनों कोटा की नमकीन (Kota's Namkeen) खासी भा रही है.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: December 22, 2020, 9:24 AM IST
कोटा. क्या आपने कभी पक्षियों को नमकीन (Snacks) खाते हुए देखा है ? नहीं देखा है तो इस सर्द मौसम में कोटा (Kota) चले आइये. यहां हाड़ौती संभाग में कलकल कर बहने वाली चंबल नदी के किनारे विदेशी मेहमान पक्षी सीगल (Exotic guest bird seagull) इन दिनों जमकर नमकीन के मजे लूट रहे हैं. पक्षी विशेषज्ञ भी इस साल इस पक्षी की इस अनूठी अदा से खासे रोमांचित हो रहे हैं. मांसाहारी की श्रेणी में गिने जाने वाले ये पक्षी कोटा की नमकीन को खासा पसंद कर रहे हैं.
यूं तो चंबल के पानी की तासीर ही नमकीन है. लेकिन इस बार यहां आये विदेशी मेहमान सीगल कोटा की नमकीन के दीवाने बने हुये हैं. सर्दी के मौसम में सात संमदर पार से चंबल नदी में अठखेलियां करने के लिये कई विदेशी परिंदे आते हैं. वे सर्द मौसम में चंबल की वादियों में अपना आशियाना बनाते हैं. फ्लैमिंगो हो या ब्रामणी डक हो या फिर कॉमन क्रेन. इन्हें चंबल नदी के आसपास का इलाका बेहद सुहाता है.
Bye-Bye 2020: ऊहापोह में रही राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी, डीबी गुप्ता को हटाने के फैसले ने सभी को चौंकाया
विदेशी सीगल अपनी नमकीन खाने की अदा से सबको लुभा रहा है
सर्द मौसम में बर्फबारी के कारण सीगल नामक प्रजाति के विदेशी पक्षी इन दिनों कोटा और आसपास के जलाशयों में डेरा जमाया हुये हैं. कोटा और आसपास के जलाशय इन दिनों विदेशी पक्षियों से गुलजार हैं. लेकिन इन सबके बीच विदेशी सीगल अपनी नमकीन खाने की अदा से सबको लुभा रहा है. यह पक्षी इन दिनों चंबल नदी पर बने कोटा बैराज की अप स्ट्रीम में अपनी अठखेलियों से लोगों को आकर्षित कर रहे हैं. इन विदेशी मेहमानों की जुबां पर कोटा की नमकीन का स्वाद सिर चढ़कर बोल रहा है. यही वजह है कि मांसाहारी होने के बावजूद ये पक्षी नमकीन के चटखारे बढ़े चाव से ले रहे हैं.

आटा या फिर चने डालने पर फेर लेते हैं मुंह
यहां आने वाले देसी पर्यटक भी इन विदेशी मेहमानों की मेहमाननवाजी कोटा की नमकीन से कर रहे हैं. लोग इन्हें आटा या फिर चने डालते हैं तो ये पक्षी अपना मुंह फेर लेते हैं. लेकिन उनके सामने से नमकीन की बौछार होते ही वे उस पर टूट पड़ते हैं. नेचर प्रमोटर ए एच जैदी मानते हैं कि कोटा के अधिकतर जलाशयों में चंबल नदी इन पक्षियों की पहली पसंद बना हुआ है. ऐसा पहली बार ही देखा जा रहा है कि मांसाहारी की श्रेणी में गिने जाने वाले ये पक्षी कोटा की नमकीन को खासी पसंद कर रहे हैं.
कोटा की कचौरी और यहां की नमकीन का जायका जगप्रसिद्ध है
वैसे तो कोटा की कचौरी और यहां की नमकीन का जायका हर किसी की जुबां पर सिर चढ़कर बोलता है. लेकिन अब इन विदेशी परिंदों में कोटा की नमकीन में दीवानगी नमकीन के स्वाद के लाजवाब होने पर मुहर लगा रही हैं.
यूं तो चंबल के पानी की तासीर ही नमकीन है. लेकिन इस बार यहां आये विदेशी मेहमान सीगल कोटा की नमकीन के दीवाने बने हुये हैं. सर्दी के मौसम में सात संमदर पार से चंबल नदी में अठखेलियां करने के लिये कई विदेशी परिंदे आते हैं. वे सर्द मौसम में चंबल की वादियों में अपना आशियाना बनाते हैं. फ्लैमिंगो हो या ब्रामणी डक हो या फिर कॉमन क्रेन. इन्हें चंबल नदी के आसपास का इलाका बेहद सुहाता है.
Bye-Bye 2020: ऊहापोह में रही राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी, डीबी गुप्ता को हटाने के फैसले ने सभी को चौंकाया
सर्द मौसम में बर्फबारी के कारण सीगल नामक प्रजाति के विदेशी पक्षी इन दिनों कोटा और आसपास के जलाशयों में डेरा जमाया हुये हैं. कोटा और आसपास के जलाशय इन दिनों विदेशी पक्षियों से गुलजार हैं. लेकिन इन सबके बीच विदेशी सीगल अपनी नमकीन खाने की अदा से सबको लुभा रहा है. यह पक्षी इन दिनों चंबल नदी पर बने कोटा बैराज की अप स्ट्रीम में अपनी अठखेलियों से लोगों को आकर्षित कर रहे हैं. इन विदेशी मेहमानों की जुबां पर कोटा की नमकीन का स्वाद सिर चढ़कर बोल रहा है. यही वजह है कि मांसाहारी होने के बावजूद ये पक्षी नमकीन के चटखारे बढ़े चाव से ले रहे हैं.

ऐसा पहली बार ही देखा जा रहा है कि मांसाहारी की श्रेणी में गिने जाने वाले ये पक्षी कोटा की नमकीन को खासी पसंद कर रहे हैं.
आटा या फिर चने डालने पर फेर लेते हैं मुंह
यहां आने वाले देसी पर्यटक भी इन विदेशी मेहमानों की मेहमाननवाजी कोटा की नमकीन से कर रहे हैं. लोग इन्हें आटा या फिर चने डालते हैं तो ये पक्षी अपना मुंह फेर लेते हैं. लेकिन उनके सामने से नमकीन की बौछार होते ही वे उस पर टूट पड़ते हैं. नेचर प्रमोटर ए एच जैदी मानते हैं कि कोटा के अधिकतर जलाशयों में चंबल नदी इन पक्षियों की पहली पसंद बना हुआ है. ऐसा पहली बार ही देखा जा रहा है कि मांसाहारी की श्रेणी में गिने जाने वाले ये पक्षी कोटा की नमकीन को खासी पसंद कर रहे हैं.
कोटा की कचौरी और यहां की नमकीन का जायका जगप्रसिद्ध है
वैसे तो कोटा की कचौरी और यहां की नमकीन का जायका हर किसी की जुबां पर सिर चढ़कर बोलता है. लेकिन अब इन विदेशी परिंदों में कोटा की नमकीन में दीवानगी नमकीन के स्वाद के लाजवाब होने पर मुहर लगा रही हैं.