Yogesh Tyagi
कोटा. आपने फसलों को जमीन में लगे हुए देखा होगा, लेकिन दो आईआईटीयन ने अनूठा स्टार्टअप कर हवा में ही सब्जियों को उगाना शुरू कर दिया है. इन्होंने आधुनिक तकनीक विकसित कर बिना मिट्टी और बिना पेस्टिसाइड्स से हरी और ताजा सब्जियों की खेती को संभव कर दिखाया है. ये ही नहीं इसमें अपेक्षाकृत 80 प्रतिशत पानी की बचत भी की गई है. ये हर दिन 5 क्विंटल सब्जियां उगा रहे हैं और करीब 400 घरों में सब्जियां पहुंचा रहे हैं. इसकी शुरूआत कोटा से की गई है. किसान परिवार से जुड़े श्रीगंगानगर के अमित कुमार और रावतभाटा के अभय सिंह आईआईटी मुंबई से बीटेक ग्रेजुएट हैं. दोनों रोबोटिक पर रिसर्च करते हुए दोस्त बन गये. उन्होंने जॉब छोड़कर 2018 में कोटा से अपना स्टार्टअप ईकी फूड्स शुरू किया.
फाउंडर अमित और अभय ने बताया कि पहले चरण में उन्होंने कोटा में नांता, रंगपुर, तालेड़ा, भीलवाड़ा और पानीपत में कृषि फार्म पर ग्रोइंग चेम्बर्स बनाकर केमिकल या पेस्टिसाइड अवशेष मुक्त सब्जियों की पैदावार प्रारंभ की है. इस तकनीक में उन्होंने सौर उर्जा और न्यूट्रिशनल वॉटर का उपयोग कर पानी व बिजली की खपत को कम कर दिया है. इन खेतों पर वे रोजाना 500 किलो (5 क्विंटल) सब्जियां पैदा करके काफी रिटेल स्टोर पर भेज रहे हैं. जल्द ही वे दिल्ली एवं अन्य राज्यों में भी ईकी फूड्स के फार्म शुरू करेंगे.
जॉब छोड़कर दोनों दोस्तों ने शुरू की जैविक खेती
जॉब छोड़कर कुछ ऐसा प्रोजेक्ट करने की मन में ललक लिए दोनों ही प्रयास करते रहे और आखिर सफलता हाथ लगी. दोनों ने 6 महीने भारत के काफी राज्यों के कई गांवों में किसानों से मिलकर जैविक खेती को समझा लेकिन जैविक पैदावार कम और महंगी होने से यह दूरगामी नहीं लगा. कुछ किसान हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती करते हुए महंगी विदेशी सब्जियां उगा रहे हैं जो आम जनता के लिए नहीं है. अभय सिंह और अमित ने मिलकर घर की छत पर ग्रोइंग चेम्बर्स में पालक, भिंडी, टमाटर, लौकी जैसी सब्जियां उगाईं.
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उन्हें कोटा के मार्केट में बेचा और सफलता प्राप्त की. उन्होंने कोटा में एक चौथाई एकड़ जमीन ली जहां एक पॉलीहाउस तैयार किया और उसमें ग्रोइंग चैम्बर्स लगा दिए. नई तकनीक के मिश्रण से खेती का उन्हें फायदा हुआ. एक साल में ही कम खेती की लागत में प्रॉडक्शन बढ़ गया. अभी वे करीब 400 घरों में अपने प्रोडक्ट पहुंचा रहे हैं. उन्होंने कई सब्जी विक्रेताओं और रिटेलर्स को भी जोड़ा. उनकी टीम में 60 से भी ज्यादा सदस्य हैं. अभय कहते हैं यह टिकाऊ खेती की ओर शुरूआत है. जल्द ही हम अन्य राज्यों के मार्केट में ताजा सब्जियां भेजेंगे, जिनमें कोई केमिकल या पेस्टिसाइड का अवशेष नहीं होगा.
80 फीसदी पानी की कर रहे बचत
इस तकनीक का लाभ यह है कि इसमें पारंपरिक कृषि की तुलना में 80 प्रतिशत कम पानी की आवश्यकता होती है. गर्मी हो या सर्दी पौधों को कोई नुकसान नहीं होता है. ऑटोमेटिक कंट्रोल सिस्टम के जरिए ऑफिस में बैठकर भी पौधों की देखभाल कर सकते हैं. एक स्विच के जरिए पौधों में पानी और जरूरी मिनरल्स पहुंचाया जा सकता है. इसमें फलियां, बैंगन, टमाटर, करेले, मिर्च जैसी कई सब्जियां उगाई जा सकती है.
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Tags: Farming, Kota news, Rajasthan news
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