कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई थी और हजारों लोगों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हो गई थी. (फाइल फोटो)
कोटा. कोरोना की दूसरी लहर (Second wave) ने जिस तरह राज्यों की हालत ख़राब थी, उससे हर कोई वाकिफ है. देश के अधिकतर राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर के समय मेडिकल ऑक्सीजन का संकट (Medical oxygen crisis) बहुत ही ज्यादा गहराया था. कई अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई सुचारु रूप से नहीं हो पाने के कारण कई मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. राज्यों ने केंद्र के ऊपर मेडिकल सप्लाई की उचित व्यवस्था नहीं करने एवं ऑक्सीजन सप्लाई (Oxygen supply) में राजनीति करने के आरोप लगाए थे. लेकिन केंद्र ने सभी आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया था. कोटा के एक सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत स्वामी की इस संबंध में की गई आरटीआई याचिका में इस बात का खुलासा हुआ है कि केंद्र ने राजस्थान को ऑक्सीजन सप्लाई करने के मामले में 10वें पायदान पर रखा था. सुजीत स्वामी ने केंद्र से आरटीआई के माध्यम से जवाब मांगा था.
स्वामी ने पूछा था कि 31 मई तक किस राज्य को कितनी मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई की गई है. इसके जवाब में केंद्र के एक्सप्लोसिव विभाग ने ईमेल के माध्यम से सूचना उपलब्ध करवाई है. जानकारी से पता चला की 1 जनवरी 2021 से लेकर 31 मई 2021 तक केंद्र ने कुल 5 लाख 13 हजार 529 मीट्रिक टन से ज्यादा की मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई राज्यों को की. इसका 4.23% हिस्सा यानी की 21 हजार 765.78 मीट्रिक टन 8 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले राजस्थान को प्राप्त हुआ.
तेलंगाना तक को राजस्थान से अग्रणी रखा गया
सबसे ज्यादा मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई महाराष्ट्र को की गयी. महाराष्ट्र एवं गोवा को संयुक्त रूप से कुल 83 हजार 590 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई केंद्र द्वारा की गयी. गुजरात एवं दमन दीव को 51 हजार 564 मीट्रिक टन, उत्तर प्रदेश को 39 हजार 680 मीट्रिक टन, कर्नाटक को 39 हजार 189 मीट्रिक टन, पश्चिम बंगाल को 33 हजार 769 मीट्रिक टन, मध्य प्रदेश को 31 हजार 200 मीट्रिक टन, तमिलनाडु को 30 हजार 952 मीट्रिक टन, देश की राजधानी दिल्ली को 29 हजार 174 एवं तेलंगाना को 26 हजार 448 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन देकर राजस्थान से अग्रणी रखा गया.
18 मई में सबसे ज्यादा व 28 मार्च को सबसे कम
इन पांच महीनो में राजस्थान को सबसे ज्यादा मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई 18 मई को हुई तो 28 मार्च को सबसे कम सप्लाई की गयी. एक दिन में सबसे ज्यादा सप्लाई 461.74 मीट्रिक टन और सबसे कम 33.52 मीट्रिक टन रही. महीने के अनुसार सबसे ज्यादा मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई मई में 461.74 मीट्रिक टन, अप्रैल में 364.11 मीट्रिक टन, मार्च में 79.15 मीट्रिक टन, फरवरी में 76.41 मीट्रिक टन एवं जनवरी में 104 मीट्रिक टन रही. वहीं सबसे कम मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई मई में 160.32 मीट्रिक टन, अप्रैल में 71.37 मीट्रिक टन, मार्च में 33.52 मीट्रिक टन, फ़रवरी में 47.31 मीट्रिक टन एवं जनवरी में 49.27 मीट्रिक टन रही थी.
औसत मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई मई में ज्यादा
यदि केंद्र से राजस्थान को पूरे महीने के एवरेज मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई की बात की जाए तो मई में 327.32 मीट्रिक टन, अप्रेल में 196.032 मीट्रिक टन, मार्च में 62.19 मीट्रिक टन, फ़रवरी में 58.58 मीट्रिक टन और जनवरी में 71.99 मीट्रिक टन का आकंड़ा रहा. इसी तरह राजस्थान को मई में 10146.92 मीट्रिक टन, अप्रेल में 5880.96 मीट्रिक टन, मार्च में 1865.78 मीट्रिक टन, फरवरी में 1640.32 मीट्रिक टन और जनवरी में 2231.8 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन केंद्र सरकार से मिली .
राजस्थान को नहीं दी पर्याप्त ऑक्सीजन
सामाजिक कार्यकर्त्ता ने आरटीआई में आई जानकारी के बाद आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने राजस्थान सरकार को जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन नहीं दी. आकंड़ों को देखा जाये तो मेडिकल ऑक्सीजन में महाराष्ट्र आगे रहा, लेकिन उसके बाद गुजरात और उत्तर प्रदेश को ज्यादा सप्लाई की गई . बंगाल को भी अच्छी मदद दी गई . उसके बाद कर्नाटक, मध्य प्रदेश को भी राजस्थान से ऊपर रखा गया.
सप्लाई पूरी होती तो ऑक्सीजन संकट पैदा नहीं होता
उन्होंने कहा कि यदि मांग के अनुसार मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती तो राजस्थान में ऑक्सीजन संकट की वजह से जो समस्या पैदा हुई वो नहीं होती. राजस्थान में ऑक्सीजन संकट की वजह से बहुत से अस्पतालों को आपदा का सामना करना पड़ा था. मई में जब राजस्थान में कोरोना संकट अपने चरम पर था, तब भी केंद्र सरकार ने मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई की श्रेणी में राज्य को 11 वें पायदान पर रखा. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों को यहां से ज्यादा सप्लाई की गई.
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