रिपोर्ट- शक्ति सिंह
कोटा.सालों से भारत हर्बल जड़ी बूटियों के लिए जाना जाता रहा है. आयुर्वेद में बड़े पेड़ों से लेकर जमीन पर एक इंच तक उगने वाली घास तक के फायदे और नुकसान का जिक्र शामिल है. लेकिन हम में से बहुत से लोगों में इसकी जानकारी न के बराबर है. वहीं, हमारे पास अपने घर के गार्डन में उगाने के लिए औषधीय पौधे और पेड़ों के इतने सारे विकल्प उपलब्ध हैं कि जिसका सही तरीके से इस्तेमाल साल भर की आपकी डॉक्टर की फीस बचा सकती है.
कोटा के कन्हैयालाल गोचर जिनकी उम्र 60 वर्ष और इनकी एजुकेशन मात्र कक्षा 5 तक है. पेशे से किसान लेकिन आयुर्वेद का ज्ञान इतना है. कि ग्रेजुएट आदमी को भी इतनी जानकारी नहीं होगी. कन्हैयालाल को शुरू से ही पेड़ पौधों में रुचि रही है. कन्हैया लाल ने बताया कि 40 सालों से आयुर्वेद वन औषधियों की जानकारी जुटा रहे हैं. उन्होंने आयुर्वेद की किताबें पढ़कर वन औषधि के बारे में ज्ञान प्राप्त किया. आज कन्हैया लाल हर आम आदमी को इसकी जानकारी देते हैं. और 400 आयुर्वेद पौधों के बीच भी इकट्ठे कर रखे 2 बीघा में आयुर्वेद के पौधे उगा रखे हैं. सरकारी स्तर पर हर्बल पार्क भी डिवेलप करते हैं.यह कोटा के आयुर्वेद डॉक्टर को भी वन औषधि जड़ी बूटियां प्रोवाइड करआते हैं.
कन्हैया लाल गुर्जर ने बताया कि घर चाहे कितना ही छोटा क्यों न हो उसमें एक गार्डन की जगह जरूर होती है. शायद ही आपने कोई ऐसा मकान देखा होगा जिसमें एक भी पौधे नहीं लगे हो. घरों के आस-पास पौधे उगाना बहुत पुराने समय से चलता आ रहा है. इसमें कुछ सुंदर दिखने वाले तो कुछ विशेष गुणों वाले पौधे लगाए जाते थें. ताकि घर की सौंदर्यता के साथ स्वास्थ्य भी तरो ताजा बना रहे. हालांकि इंग्लिश दवाओं के आने के बाद से लोगों में पौधे के औषधीय गुणों को लेकर समझ और रूचि दोनों ही कम हो गई थी. लेकिन कोरोना के बाद से एक बार फिर लोग जड़ी बूटियों की अहमियत को जान रहे हैं.
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