रिपोर्ट: शक्ति सिंह
कोटा. राजस्थान के कोटा में दो आईआईटीयन अभय और अमित ने आधुनिक तकनीक विकसित कर बिना मिट्टी और बिना पेस्टीसाइड्स से हरी सब्जियों की खेती को संभव कर दिखाया है. यह दोनों सालाना 20 लाख का पैकेज छोड़कर ग्रोइंग चैम्बर्स से सब्जी की बंपर पैदावार कर रहे हैं. यह सब्जियां बाजार में बेचने के साथ ही करीब 130 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. कोटा, बूंदी, भीलवाड़ा और पानीपत में इनके पॉलीहाउस हैं.
आमतौर पर सब्जियां उगाने के लिए उपजाऊ मिट्टी, खाद और पेस्टीसाइड की जरूरत पड़ती है. ग्रोइंग चैम्बर्स में मिट्टी और पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं होता. ग्रोइंग चैम्बर्स 6 से 8 फीट लम्बे होते हैं. इनमें केवल न्यूट्रिशनल वाटर का फ्लो चलता रहता है. इसमें फसल को खड़ी रखते हैं, तो दाएं, बाएं वाली शाखाओं और डालियों को काट दिया जाता है.
80 फीसदी पानी की बचत
जमीन में सब्जियां उगाने के लिए पानी जरूरत पड़ती है. पानी जमीन में रिसता हुआ चला जाता है. वहीं, ग्रोइंग चैम्बर्स में पानी का फ्लो चलता रहा है. इसके लिए टैंक बनाया गया है. पानी टैंक में जाता है और फिर वहीं से वापस ग्रोइंग चैम्बर्स में आता है. इससे पानी वेस्ट नहीं होता और पानी की बचत होती है.
20 लाख का पैकेज छोड़ा
किसान परिवार से जुडे़ श्रीगंगानगर के अमित कुमार और रावतभाटा के अभयसिंह आईआईटी, मुंबई से बीटेक ग्रेजुएट हैं. दोनों रोबोटिक पर रिसर्च करते हुए दोस्त बन गए. अमित व अभय ने साल 2015 में जॉब शुरू की थी. उस वक्त उनका करीब 20 लाख का सालाना पैकेज था. साल 2017 तक पुणे, मुंबई और बेंगलुरु में जॉब की. उसके बाद कुछ नया करने की सोच कर जॉब छोड़ दी. आज 130 लोगों को रोजगार दे रखा है. मजदूर, लेबर, मार्केटिंग टीम, रिचर्स टीम और मैनेजर को लाखों की सैलरी दे रहे हैं.
साल 2018 में शुरू किया सफर, छत पर उगाईंं सब्जियां
अभय सिंह और अमित ने मिलकर साल 2018 में फार्मिंग शुरू की. घर की छत पर 500 स्कावयर फीट में ग्रोइंग चैम्बर्स में पालक, भिंडी, टमाटर, लौकी जैसी सब्जियां उगाईं. उन्हें कोटा की मार्केट में बेचा. फीडबैक अच्छा मिला, तो साल 2019 में रंगपुर रोड पर एक चौथाई एकड़ जमीन ली. दोनों ने स्टार्टअप ‘इकी फूड्स’ की शुरुआत कर दी. उन्होंने 25 लाख की लागत से एक पॉलीहाउस तैयार किया और उसमें ग्रोइंग चैम्बर्स लगा दिए. इसके बाद कारवां बढ़ता गया.
5 साल में 10 पॉलीहाउस
साल 2020 में उन्होंने भीलवाड़ा में जमीन मालिक से पार्टनरशिप करके एक एकड़ में पॉलीहाउस तैयार किया. फिर साल 2021 में बूंदी के तालेड़ा व नांता में 2 पॉलीहाउस तैयार किए. सभी जगह जमीन मालिक से पाटर्नरशिप की. अब पानीपत में 5 एकड़, जयपुर में 3 एकड़ और कोटा में 20 एकड़ जमीन पर पॉलीहाउस तैयार किए हैं.
ऑपरेटिंग पाटर्नरशिप में काम
कम्पनी ऑपरेटिंग पाटर्नरशिप में काम करती है. इसमें जमीन व पॉलीहाउस तैयार करने का खर्चा जमीन मालिक का होता है. सब्जियां लगाना, उनकी देखरेख, मार्केटिंग करना और सब्जियों को बेचने का काम कम्पनी करती है. एक एकड़ में ग्रोइंग चैम्बर्स, टेम्परेचर मेंटेन करने के लिए कूलिंग सिस्टम समेत अन्य सुविधा युक्त पॉलीहाउस तैयार करने में करीब सवा करोड़ का खर्चा आता है. फोरम पार्टनरशिप में काम करते अच्छा रिटर्न देते हैं, जिससे 4 से 5 साल में जमीन के मालिक का पूरा पैसा निकल जाता है.
कम लागत में उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियां
कम्पनी फाउंडर अभय ने बताया कि ईकी फूड्स का विजन एक ऐसी दुनिया है, जिसमें पौष्टिक, अवशेष मुक्त सब्जियां सस्ती और सभी के लिए उपलब्ध हों. इसलिए वे बड़े पैमाने पर जलवायु नियंत्रित खेतों की स्थापना कर रहे हैं. ईकी फूड्स की तकनीक से फार्म की जलवायु को नियंत्रित करना संभव है, जिससे सब्जियों को मौसमी बदलावों से प्रभावित हुए बिना पूरे साल उगाया जा सकता है.
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