रिपोर्ट: शक्ति सिंह
कोटा. आधुनिक वाहनों की वजह से बेशक सवारी के मायने बदल दिए हों, लेकिन घुड़सवारी का कोई सानी नहीं है. घोड़ा हमारी संस्कृति का प्रतीक है. घोड़ा स्वामी भक्त होता है. महाराणा प्रताप का चेतक और महारानी लक्ष्मीबाई का घोड़ा स्वामी भक्ति के उदाहरण हैं. वहीं, मारवाड़ी घोड़ों को दुनिया के सबसे बेहतरीन घोड़ों के नस्लों में से एक माना जाता है. महाराणा प्रताप का चेतक भी मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा था. इसे युद्ध में काम में लिया जाने वाला घोड़ा माना जाता है. हालांकि हम यहां कोटा के सरपंच की बात कर हैं, जो कि अपने घोड़े के शौक के कारण मशहूर हैं.
कोटा के पास तीरथ गांव के सरपंच रणवीर सिंह अटवाल भी अपने घोड़ों के लिए क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखते हैं. उनको बचपन से ही घोड़ों से काफी लगाव था. उम्र के साथ शौक ऐसा परवान चढ़ा कि इनके पास 1,2 नहीं 50 से ज्यादा घोड़े हैं. इनमें 9 से 10 स्टेलियन घोड़े भी मौजूद हैं. सरपंच के फार्म पर घोड़ों की देखभाल करने वाले भंवर ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि पुष्कर में होने वाले पशु मेले में इन घोड़ों को लेकर जाते हैं. अगर कोई अच्छी लाइन का घोड़ा पसंद आता है तो वहां से खरीद कर भी लेकर आते हैं.
अटवाल के पास हैं 40 लाख तक के घोड़े
रणवीर सिंह अटवाल के पास 15 लाख से 40 लाख तक के घोड़े हैं. जबकि इनमें महाराजा, नुकरा, दिलबाग, रनिया, अभोर, शिवराज, तूफान जैसे नामी-गिरामी घोड़ों के बच्चे मौजूद हैं. ऑल इंडिया टॉप 10 में रणवीर सिंह हॉर्स स्टेड फार्म में आते हैं. इन्हें अच्छी नस्ल के घोड़े कलेक्शन का शौक है. हाड़ौती में इतनी बड़ी संख्या में घोड़े और किसी के पास मौजूद नहीं हैं.
दौर बदलता गया और…
एक समय वो था, जब लोग गाय, भैंस, बकरी के साथ-साथ ऊंट और घोड़ा भी पालते थे. बीच के कुछ दशकों में घोड़ा और ऊंट पालन से लोगों का रुझान काफी कम हो गया था, लेकिन अब फैशन और वेस्टर्न कल्चर के प्रचलन में आते ही दोबारा लोग स्टड फार्म खोल रहे हैं. ये बिजनेस सिर्फ गांव में ही नहीं, शहरों में भी फायदेमंद है. शहरों में घुड़सवारी का चलन बढ़ गया है. आज युवा खुद आगे आकर घुड़सवारी में रुचि दिखा रहे हैं. स्कूलों में भी बच्चों को घुड़सवारी सिखाई जाती है. सोशल मीडिया के चलते अब ये घोड़े खूब मशहूर हो रहे हैं.
.
Tags: Horses, Kota news, Rajasthan news