सरपंचों की भूख हड़ताल को मनरेगा श्रमिकों का समर्थन मिलने के बाद बड़ा प्रदर्शन.
रिपोर्ट: महेंद्र बिश्नोई
नागौर. जिले की मूंडवा पंचायत समिति क्षेत्र के सरपंचों का आंदोलन लगातार बड़ा रूप ले रहा है. अब मनरेगा के श्रमिक भी सरपंंचों के समर्थन में आंदोलन में कूद पड़े हैं. मूंडवा में केवल सरपंचों का ही भुगतान नहीं अटका बल्कि, मनरेगा के अधिकांश काम भी ठप पड़े हैं. गिनी चुनी पंचायतों में नाम मात्र के मास्टररोल जारी हो रहे हैं, जिसके चलते मनरेगा श्रमिकों को पर्याप्त रोजगार भी नहीं मिल रहा. ऊपर से एक परेशानी ऑनलाइन हाजरी की भी है. श्रमिकों का आरोप है कि वे मौके पर रहकर ऑनलाइन हाजिरी लगाते हैं, इसके बावजूद उनकी हाजिरी ऑनलाइन नहीं चढ़ती और 15 दिन के काम करने के बावजूद 5 दिनों के रुपये उन्हें मिलते हैं.
हालात ये हैं कि मूंडवा के 31 सरपंच नागौर जिले सहित प्रदेश के बड़े नेताओं से गुहार लगा चुके हैं. यहां तक कि पंचायत राज मंत्री तक भी अपनी बात पहुंचा चुके हैं. इसके बावजूद मांगों पर समाधान निकलना तो दूर इन से बात भी नहीं की जा रही. मूंडवा पंचायत समिति क्षेत्र के सरपंचों का कहना है कि उनकी पंचायतों में जो मनरेगा के तहत काम हुए उनकी दो बार जांच करवाई जा चुकी है. दोनों जांंचो में जब किसी तरह की अनियमितता नहीं निकली तो तीसरी बार जांच करवाने का क्या मतलब है! पूरे प्रदेश में सभी जगह पंचायतों को मनरेगा का भुगतान कर दिया, लेकिन मूंडवा पंचायत समिति को टारगेट कर रखा है.
मूंडवा के सरपंचों की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इन सरपंचों ने अपनी ग्राम पंचायतों में काम तो करवा लिए लेकिन, अब भुगतान नहीं हो रहा है. इस पर जिन लोगों से कर्जा लिया था वे इन सरपंचों से रकम वापसी के तकाजे कर रहे हैं.
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