रिपोर्ट-कृष्ण कुमार
नागौर. नागौर जो प्राचीन समय में अहिच्छत्रपुर या नागाणां के नाम से जाना जाता था. नागौर में कई राजाओ द्वारा शासन किया गया था.नागौर क्षेत्रफल में बड़ा होने के कारण राजा के अलावा ठाकुरों को कुछ गांवो की जागरी देते थे.आज नागौर के एक ऐसे ठाकुर की बुद्धिमता से अवगत करवाने जा रहे हैं, जिनकी बुद्धिमता को देखकर जोधपुर के राजा भी दंग रहते थे. बुद्धिमता की जहां पर कोई बात या जिक्र होता है तो मुगलकाल अकबर के नौ रत्नों में से एक बीरबल का नाम सर्वप्रथम आता है.लेकिन वहीं नागौर की बात करें तो नागौर के बीरबल कह जाने वाले ठाकुर लालसिंह का नाम सर्वप्रथम नाम सामने आता है. क्योंकि इनकी बुद्धिमता को देखकर जोधपुर के राजा तख्तसिंह हमेशा नागौर के ठाकुर लालसिंह को साथ में रखते थे.
जानिए कौन लालसिंह
लालसिंह नागौर के ढा़ई गांव की जागीरदारी प्राप्त थी. यह अपनी हाजिर जबाबी औरबुद्धिमता के कारण जाने जाते थे. यह नागौर के ढ़ाई गांव छावटा खुर्द, बुगरड़ा औरआधा कादपुरा की जागीरदारी को देखते थे. यूं कहे तोढ़ाई गांव के ठाकुर थे. छावटा खुर्द गांव के सभी ठाकुर अपनी बुद्धिमता के कारण जाने जातेथे. लेकिनलालसिंह को जोधपुर के राजा तख्तसिंह द्वारासलाहकार के तौर पर जोधपुर दरबार में नियुक्ति की गई थी.
यहां के ठाकुर से करवाया बेटी का विवाह
राजवीर सिंह भाटी बताते हैं कि यहां के ठाकुरखेतसी का विवाह जोधपुर के राजा उदयसिंह द्वारा अपनी बेटी रंभावती का विवाह खेतसी से हुआ. जो ठाकुर लालसिंह के पूर्वज थे.
विश्वास इतना हर वक्त रहते राजा के साथ
लालसिंह की बुद्धिमता को देखते हुए राजा उन्हें हर वक्त अपने साथ रखते थे. जब राजा तख्तसिंह द्वारा विक्रम संवंत 1812 में गंगा स्नान के लिए हरिद्वार गए, तो नागौर के ठाकुर को अपने साथ ले गए थें. उल्लेखनीय है कि तमाम जानकारी ठाकुर लालसिंह के वंशजो द्वारा यह बताया गया इतिहास हैं.
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