रिपोर्ट- कृष्ण कुमार
नागैर. खीवसर कस्बे में बने लक्ष्मी नाथ मंदिर की कहानी बड़ी रोचक हैं . इस मंदिर का निर्माण सट्टे की जीत हार पर करवाया गया. सट्टे के खेल के आधार पर इस मंदिर का निर्माण हुआ . इस मंदिर का इतिहास अन्य मंदिरों से भिन्न व रोचक हैं. भगवान लक्ष्मीनाथ मंदिर का निर्माण 300 वर्ष पूर्व हुआ था. यह मंदिर सट्टे की जीत के आधार पर बना हुआ हैं. इस मंदिर में वर्तमान समय में हर प्रकार का धार्मिक आयोजन होता हैं.
हीरानंद जाजू से जुड़ा मंदिर का रोचक इतिहास
लक्ष्मीनाथ मंदिर बनाने की कहानी बड़ी रोचक हैं. आज से करीब 300 वर्ष पूर्व कस्बे में एक हीरानंद जाजू नाम से एक बड़े व्यापारी और सेठ हुआ करते थें.जिनका नाम दूर दूर तक बड़े सेठ और व्यापारी होने के चलते प्रचलित था. हीरानंद जाजू भगवान लक्ष्मीनाथ को बहुत मानते थें. वह हमेशा सेठ भगवान लक्ष्मी नाथ को और खुद को उनका दास ही बताते थें. एक बार बीकानेर के जाने माने रामपुरिया सेठ खींवसर आए और सेठ हीरानंद जाजू की दुकान पर पहुंचे. उस समय सेठ हीरानंद जाजू अपने लिए एक घर का निर्माण कार्य करवा रहे थे. बीकानेर के रामपुरिया सेठ हीरानंद जाजू के साथ सट्टा लगाने के लिए कहा इस पर जाजू ने हा भरते हुए कहा कि आप ही तय कर लो कि सट्टा कैसे लगाना हैं इस पर रामपुरिया ने कहा कि हम लोग जूता ऊपर फेंकेगे नीचे गिरने से पहले आपको बताना होगा कि जूता नीचे सीधा गिरेगा या उल्टा. इस पर जाजू ने कहा कि आप हमारे गांव में आये हो तो आप महेमान हुए हमारे आप ही जूता ऊपर फेंके और आप ही बताए कि जूता नीचे कैसे गिरेगा.
जूते के आधार पर लगाया सट्टा
ग्रामीण लक्ष्मीनारायण ने बताया कि जूता हवा में फेंककर सट्टा लगाया गया. इस पर रामपुरिया ने 2 बार जूता ऊपर फेंका और 2 बार ही उनके बताए अनुसार जूता नही गिरा. हीरानंद सेठ खुद को लक्ष्मीनाथ भगवान का दास मानते थें. भगवान से अरदास के कारण जूता न सीधा नीचा गिरा न ही उल्टा गिरा बल्कि जूता सीधा खड़ा रह गया.
रामपुरिया सेठ वह अपना सबकुछ सेठ हीरानंद जाजू के पास हार गए. इस पर जाजू ने कहा कि आप हमारे महेमान हो और आपको एक मौका और दिया जाता हैं. इस पर रामपुरिया ने कहा कि इस बार जूता में फेंकूँगा और आपको बताना होगा कि जूता उल्टा गिरेगा या सीधा तो जाजू ने मन मे ये संकल्प लिया की हैं भगवान अगर आज मैं जीत जाता हूं तो मेरी जीती हुई सारी कमाई से आपका भव्य मंदिर बनाऊंगा यह कहकर जाजू ने कहा कहा कि चलो \”चित भी आपका पट भी आपका\” ये कहने पर रामपुरिया ने जूता फेंका तो जूता जमीन पर खड़ा गिर गया और एक बार फिर से रामपुरिया हार गए. जिसके बाद सेठ जाजू ने उसी जगह पर भगवान लक्ष्मीनाथ का मंदिर बनवा दिया जहाँ वह अपना घर बना रहे थें.
मंदिर की यह हैं मान्यता
लक्ष्मी नाथ मंदिर में लोग अपनी मन्नतें मांगने आते हैं और भगवान उनकी सारी मन्नतें पूरी भी करते हैं. न्यूज 18 इसकी पुष्टि नहीं करता हैं. क्योंकि यह धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ हैं.
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