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राजस्‍थान में अब 'कंबल वाले बाबा' का चमत्‍कार, लकवाग्रस्‍त अंग पर कंबल डालकर ठीक करने का दावा, जानें हकीकत

राजस्‍थान के राजसमंद जिले में काले कंबल वाले बाबा द्वारा चमत्‍कार किए जाने का मामला सामने आया है. (न्‍यूज 18 हिन्‍दी ग्राफिक्‍स)

राजस्‍थान के राजसमंद जिले में काले कंबल वाले बाबा द्वारा चमत्‍कार किए जाने का मामला सामने आया है. (न्‍यूज 18 हिन्‍दी ग्राफिक्‍स)

Rajasthan Baba Samachar: मध्‍य प्रदेश के छतरपुर में स्थित बागेश्‍वर धाम के पीठाधीश्‍वर पंडित धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री ...अधिक पढ़ें

राजसमंद. मध्‍य प्रदेश के छतरपुर में स्थित बागेश्‍वर धाम के पीठाधीश्‍वर पंडित धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री के कथित चमत्‍कार को लेकर उठा विवाद खत्‍म भी नहीं हुआ था कि अब राजस्‍थान के राजसमंद जिले में काले कंबल वाले बाबा का मामला सामने आ गया है. लाइलाज बीमारी का तत्काल उपचार करने का दावा करने वाले काले कंबल वाले बाबा चिकित्सा विज्ञान को ही चुनौती दे रहे हैं. कम्बल वाले बाबा मूलत: गुजरात के निवासी हैं, जिनका मूल नाम गणेश भाई गुर्जर है. वह अलग-अलग जगहों पर 15-15 दिन का विशेष शिविर लगाकर लोगों का उपचार करने का दावा करते हैं. शिविर स्थल पर कई लोगों ने बाबा के कम्बल को स्पर्श करने और बाबा का हाथ लगने के बाद स्वस्थ होने का दावा किया है. कुछ लोग बता रहे हैं कि उन्हें कोई आराम नहीं हुआ है.

कंबल वाले बाबा के शिविर में राजसमंद और राजस्थान के ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों से लोग आते हैं. लोग शिविर में आने के लिए 50 हजार से एक-एक लाख रुपए तक खर्च कर रहे हैं. वहीं, शिविर स्थल पर 1 रुपया भी खर्च नहीं होने का दावा भी लोगों द्वारा किया जा रहा है. कम्बल वाले बाबा कहते हैं उनके कम्बल में आध्यात्मिक शक्ति है. किसी भी व्यक्ति के पर कंबल डालने के बाद उसकी नाड़ी व शरीर को देखने पर उसकी बीमारी का पता चल जाता है. बाबा का दावा है कि सामने व्यक्ति को खड़ा देखकर चिकित्सा और विज्ञान की भाषा में जो बीमारी का नाम है, वह बता देते हैं.

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हर गंभीर बीमारी के इलाज का दावा
गणेश भाई गुर्जर उर्फ कंबल वाले बाबा के कंधे पर हमेशा काला कंबल रहता है. शिविर में ज्यादातर लकवे से ग्रसित लोग उपचार के लिए आते हैं. बाबा का दावा है कि वह दुनिया के हर गंभीर इलाज का करते हैं. गणेश गुर्जर के सिर पर काली पगड़ी रहती है. उनके पास एक काला कंबल रहता है. इसी से बीमारियों को ठीक करने का दावा किया जाता है. बाबा ने बताया कि माताजी की कृपा से उन्‍हें यह सिद्धि मिली है. गणेश गुर्जर ने कहा, ‘मुझे यह कंबल एक आम के झाड़ से मिली और मुझे माताजी ने आशीर्वाद दिया था कि यह कंबल किसी पर ओढ़ा दोगे तो वह ठीक हो जाएगा. आज मेरे को 32 साल हो गए. यह 33वां साल चल रहा है, मैं सुबह से शाम तक यही काम करता हूं.’

बंपर कमाई
काले कंबल वाले बाबा ₹40 की खाने की थाली बेचकर करीब ₹200000 कमा लेते हैं. बिसलेरी की बोतल 15 से 20 रुपये में बेचकर 30 से 40 हजार रुपये की कमाई करते हैं. इसके अलावा ₹40 के हिसाब से 700 से 1000 विस्तर यूज़ होते हैं. इससे भी वह 40000 हजार रुपए अर्जित कर लेते हैं. चाय और बाबाजी का यंत्र बेचकर मोटी कमाई की जाती है. लोगों को हवन के लिए 11 नारियल की जरूरत पड़ती है. गणेश गुर्जर नारियल भी उपलब्‍ध कराते हैं. एक नारियल की कीमत ₹20 होती है और करीब 7 से 8 बोरी नारियल की खपत होती है. इससे भी कंबल वाले बाबा की मोटी कमाई होती है. शिविर मैनेजमेंट के नाम पर बाबा का 1 रुपए भी खर्च नहीं होता है, क्‍योंकि वहां काम करने वाले भी बाबा के भक्त होते हैं.

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