कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला.
राजस्थान में पिछले एक दशक से भी अधिक समय से गुर्जर आरक्षण आंदोलन समय-समय पर सरकारों की धड़कनें बढ़ाता रहा है. आरक्षण की इस लड़ाई की अगुवाई करने वालों में सबसे बड़ा नाम है कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला. एक बार फिर बैंसला की अगुवाई वाला गुर्जरों का आंदोलन शुरू हो गया है. दरअसल, पिछली बार वसुंधरा सरकार ने गजट नोटिफिकेशन निकालते हुए गुर्जर समाज की मांगे मान ली थी लेकिन इससे आरक्षण का आंकड़ा 50 फिसदी ऊपर चला गया. कोर्ट ने सरकार के इस गजट नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी और फिर से गुर्जर आरक्षण की मांग उठने लगी. फिर आंदोलन शुरू हुआ है और इसबार भी कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अगुवाई में गुर्जर पटरी पर बैठ गए हैं. यहां पढ़ें... कौन हैं कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला?
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ. कर्नल किरोड़ी जाति से बैंसला हैं यानी गुर्जर हैं. अपने कॅरियर के शुरुआती दौर में बैंसला ने कुछ दिन शिक्षक के तौर पर भी काम किया. हालांकि पिता के फौज में होने के चलते उनका रूझान भी सेना में जाने का हुआ और आखिर वो भी सिफाही के रूप में सेना में भर्ती हो गए.
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बैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए थे और सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी से वतन के लिए जौहर दिखाया. सेना में रहते हुए बैंसला एक बार पाकिस्तान के युद्धबंदी भी रहे. बताया जाता है कि बैंसला सेना में दो उपनामों से जाने जाते थे. उनके सीनियर्स उन्हें 'जिब्राल्टर का चट्टान' और साथी कमांडो 'इंडियन रेम्बो' कह कर बुलाते थे. सेना में अपनी जांबाजी के दम पर एक मामूली सिपाही से तरक्की पाते हुए कर्नल की रैंक तक पहुंचे. बैंसला के चार संतान हैं. एक बेटी रेवेन्यु सर्विस और दो बेटे सेना में हैं और एक बेटा निजी कंपनी में कार्यरत है. बैंसला की पत्नी का निधन हो चुका है और वे अपने बेटे के साथ हिंडौन में रहते हैं.
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सेना में सेवाओं के बाद जब रिटायर हो कर कर्नल बैंसला राजस्थान लौटे तो उन्होंने गुर्जर समुदाय के लिए अपनी लड़ाई शुरू की. सार्वजनिक जीवन में आने के बाद उन्होंने गुर्जर आरक्षण समिति की अगुवाई करते हुए सरकारों से अपनी मांगें मनवाने में जुट गए. कई बार आंदोलनों के दौरान रेल रोकी, पटरियों पर धरने पर बैठे और सरकारों को आरक्षण पर फैसले के लिए मजबूर किया. हालांकि उनके इन आंदोलनों में 70 से अधिक लोगों की मौत भी हुईं और कर्नल बैंसला पर सिरफिरा और समाज को भटकाने के आरोप भी लगे.
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बैंसला का कहना है कि उनके जीवन में मुगल शासक बाबर और अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन, दो लोगों ने प्रभावित किया है. कर्नल बैंसला कहते हैं कि राजस्थान के ही मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है और इससे उन्हें सरकारी नौकरी में खासा प्रतिनिधित्व मिला. लेकिन गुर्जरों के साथ ऐसा नहीं हुआ, उन्हें आज तक इस हक से वंचित रखा गया.
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