रणथम्भौर नेशनल पार्क से दूसरा टाइगर भी निकला, पढ़ें- किस ओर बढ़ रहे बाघ?

राजस्थान में बाघों की संख्या बढ़ने की वजह से रणथंभौर टाइगर रिजर्व से अब केलादेवी के जंगलों की ओर रुख करने लगे हैं.
राजस्थान में बाघों की संख्या बढ़ने की वजह से रणथंभौर टाइगर रिजर्व से अब केलादेवी के जंगलों की ओर रुख करने लगे हैं.
- ETV Rajasthan
- Last Updated: September 1, 2015, 11:40 AM IST
राजस्थान में बाघों की संख्या बढ़ने की वजह से रणथंभौर टाइगर रिजर्व से अब केलादेवी के जंगलों की ओर रुख करने लगे हैं.
रणथंभौर अब बाघों के लिए छोटा पड़ने लगा है, ऐसे बाघों के लिए नया इलाका खोजने के लिए इस समय केलावेदी बेहतर विकल्प बना हुआ है. बाघ पहले बाघ टी76 केलादेवी के ऊंटनी के किले वाले इलाके में पहुंचा. लेकिन अब युवा बाघ सुल्तान भी कलादेवी पहुंच गया है और वहां खुद के लिए इलाके की नई संभावनाएं तलाश रहा है.
नए शावकों को चाहिए जगह
रणथंभौर नेशनल पार्क में पिछले पांच साल में 30 से ज्यादा नए शावकों का जन्म हो चुका है. व्यस्क बाघों की संख्या भी 25 के करीब है. अब तो पुराने शावक भी व्यस्क होने लगे हैं और अलग अलग इलाकों पर कब्जा जमाने की जुगत में जुटे हुए हैं. ऐसे में रणथंभौर में इलाका नहीं बना पाने वाले शावक या बाघ पार्क के बाहर अगर असुरक्षित जगह पर अपना इलाका बना लेते हैं तो उनके शिकार से लेकर ग्रामीणों को परेशानी जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं. वन विभाग ने हालात को देखते हुए रणथंभौर के पास केलादेवी पार्क जैसे सुरक्षित आवास को बाघों के लिए तैयार करने पर काम शुरू कर दिया है. बाघों के लिए एक कोरिडोर भी बनाया गया है ताकि बाहर निकलने वाले बाघ भटकने के बजाय सही जगह अपना इलाका बना सकें.2 बाघों के मिले पदमार्क
रणथंभौर से पिछले चार महीने से लापता चल रहा युवा बाघ सुल्तान जिसे टी 72 के नाम से भी जाना जाता है वो करौली जिले में केलादेवी के जगलों में घंटेश्वर खोह इलाके में मिला है. इस इलाके में ये युवा बाघ अपने लिए इलाके की संभावनाए तलाश रहा है. इससे पहले बाघिन टी13 का युवा शावक बाघ टी 76 करौली पहुंच गया था. कैमरा ट्रैप में उनका फोटो भी ऊंटनी का किला इलाके में मिला है. इन दोनों युवा बाघों से पहले बाघ टी47 करौली आ पहुंचा था. रणथंभौर टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर वाई.के.साहू का कहना है कि इस इलाके में आने के बाद ये युवा बाघ यहां रहकर खुद को पहले से मजबूत बनाकर वापस रणथंभौर की ओर लौट गया.
44 गांव होंगे विस्थापित
बाघों के लिए एक आदर्श रिजर्व के लिए कम से कम एक हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल होना चाहिए, अभी रणथंभौर में बाघों की तादाद 50 से ज्यादा है लेकिन क्षेत्रफल सिर्फ 550 वर्गकिलोमीटर के करीब है, ऐसे में रणथंभौर के नजदीक केलादेवी पार्क का क्षेत्रफल 600 वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है. यह क्षेत्र पहले भी बाघों को आवास रहा है और अभी भी रणथंभौर के बाघ केलादेवी तक पहुंच जाते हैं. वन विभाग ने केलादेवी में ग्रामीणों के विस्थान की तैयारियों भी शुरू कर दी हैं. केलादेवी से करीब 44 गांवों को विस्थापित किया जाना है. लेकिन यहां युवा बाघों का आना अपने आप में एक शुभ संकेत है कि अब युवा बाघ यहां भी रुकने के लिए मन बनाने लगे हैं. लेकिन वन विभाग ने करौली के जंगलों के रणथंभौर में शामिल होने के बाद में अब वहां पर सुरक्षा और निगरानी के पुख्ता इंतजाम करने होंगे. क्योंकि युवा बाघ करौली के जंगलों में जा तो रहे हैं लेकिन वह पर खुद के लिए कि स्थाई आवास नहीं बना पा रहे हैं.
रणथंभौर अब बाघों के लिए छोटा पड़ने लगा है, ऐसे बाघों के लिए नया इलाका खोजने के लिए इस समय केलावेदी बेहतर विकल्प बना हुआ है. बाघ पहले बाघ टी76 केलादेवी के ऊंटनी के किले वाले इलाके में पहुंचा. लेकिन अब युवा बाघ सुल्तान भी कलादेवी पहुंच गया है और वहां खुद के लिए इलाके की नई संभावनाएं तलाश रहा है.
नए शावकों को चाहिए जगह
रणथंभौर नेशनल पार्क में पिछले पांच साल में 30 से ज्यादा नए शावकों का जन्म हो चुका है. व्यस्क बाघों की संख्या भी 25 के करीब है. अब तो पुराने शावक भी व्यस्क होने लगे हैं और अलग अलग इलाकों पर कब्जा जमाने की जुगत में जुटे हुए हैं. ऐसे में रणथंभौर में इलाका नहीं बना पाने वाले शावक या बाघ पार्क के बाहर अगर असुरक्षित जगह पर अपना इलाका बना लेते हैं तो उनके शिकार से लेकर ग्रामीणों को परेशानी जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं. वन विभाग ने हालात को देखते हुए रणथंभौर के पास केलादेवी पार्क जैसे सुरक्षित आवास को बाघों के लिए तैयार करने पर काम शुरू कर दिया है. बाघों के लिए एक कोरिडोर भी बनाया गया है ताकि बाहर निकलने वाले बाघ भटकने के बजाय सही जगह अपना इलाका बना सकें.2 बाघों के मिले पदमार्क
रणथंभौर से पिछले चार महीने से लापता चल रहा युवा बाघ सुल्तान जिसे टी 72 के नाम से भी जाना जाता है वो करौली जिले में केलादेवी के जगलों में घंटेश्वर खोह इलाके में मिला है. इस इलाके में ये युवा बाघ अपने लिए इलाके की संभावनाए तलाश रहा है. इससे पहले बाघिन टी13 का युवा शावक बाघ टी 76 करौली पहुंच गया था. कैमरा ट्रैप में उनका फोटो भी ऊंटनी का किला इलाके में मिला है. इन दोनों युवा बाघों से पहले बाघ टी47 करौली आ पहुंचा था. रणथंभौर टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर वाई.के.साहू का कहना है कि इस इलाके में आने के बाद ये युवा बाघ यहां रहकर खुद को पहले से मजबूत बनाकर वापस रणथंभौर की ओर लौट गया.
44 गांव होंगे विस्थापित
बाघों के लिए एक आदर्श रिजर्व के लिए कम से कम एक हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल होना चाहिए, अभी रणथंभौर में बाघों की तादाद 50 से ज्यादा है लेकिन क्षेत्रफल सिर्फ 550 वर्गकिलोमीटर के करीब है, ऐसे में रणथंभौर के नजदीक केलादेवी पार्क का क्षेत्रफल 600 वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है. यह क्षेत्र पहले भी बाघों को आवास रहा है और अभी भी रणथंभौर के बाघ केलादेवी तक पहुंच जाते हैं. वन विभाग ने केलादेवी में ग्रामीणों के विस्थान की तैयारियों भी शुरू कर दी हैं. केलादेवी से करीब 44 गांवों को विस्थापित किया जाना है. लेकिन यहां युवा बाघों का आना अपने आप में एक शुभ संकेत है कि अब युवा बाघ यहां भी रुकने के लिए मन बनाने लगे हैं. लेकिन वन विभाग ने करौली के जंगलों के रणथंभौर में शामिल होने के बाद में अब वहां पर सुरक्षा और निगरानी के पुख्ता इंतजाम करने होंगे. क्योंकि युवा बाघ करौली के जंगलों में जा तो रहे हैं लेकिन वह पर खुद के लिए कि स्थाई आवास नहीं बना पा रहे हैं.