प्रदेश में पड़ रही भीषण गर्मी से जहां आम आदमी को पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, वहीं रणथम्भौर नेशनल टाइगर पार्क में भी जल संकट गहराने लगा है. भीषण गर्मी के कारण पार्क क्षेत्र के अधिकतर प्राकृतिक जल स्रोत सूख गए हैं और कुछ सूखने के कगार पर हैं. वन्य जीवों को पानी के लिये भटकना पड़ रहा है. पेयजल की आस में वन्यजीवों का रुख अब आबादी क्षेत्रों की ओर होने लगा है. वन्य जीवों के लिए वन विभाग की ओर से किए जा रहे इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं.
रणथम्भौर नेशनल पार्क के लगभग तीन चौथाई हिस्से में सभी पेयजल स्रोत सूख चुके हैं. नेशनल पार्क में राजबाग और पदम तालाब आदि कुछ ही झीलों में ही थोड़ा बहुत पानी बचा है. इसके कारण वन्यजीवों को अपने हलक तर करने के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है. रणथम्भौर नेशनल पार्क को 10 जोन में विभाजित किया हुआ है. इनमें से महज 3 और 4 नंबर जोन में ही वन्यजीवों के लिये झीलों में पानी बचा है. शेष आठ जोन में विचरण करने वाले वन्यजीव पेयजल समस्या से बुरी तरह त्रस्त हैं. वन विभाग दावे के अनुसार 50 वाटर हॉल के जरिए वन्यजीवों की प्यास बुझाने के इंतजाम किये जा रहे हैं. लेकिन ये इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं. जंगल में भूख और प्यास से वन्यजीवों की मौत भी होने लगी हैं. उन पर वन विभाग ने पर्दा डाल रखा है.
गत वर्ष जिले में बारिश नहीं के बराबर हुई थी. इसके कारण इस बार पेयजल की समस्या जबर्दस्त है. पानी की कमी और भीषण गर्मी के जोर ने जंगल की हरीयाली को भी पूरी तरह से निगल लिया है. भीषण गर्मी के कारण पार्क में भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों की सख्यां में भी रिकॉर्ड तोड़ गिरावट दर्ज की जा रही है. सूरज की तपिश के कारण पर्यटकों को यदाकदा ही बाघों के दीदार हो पा रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : May 07, 2018, 16:17 IST