गर्मियों में राजस्थान का नाम सुनते ही अमूमन आम पर्यटक के दिमाग में गर्मी, लू, तपन और धूलभरी रेत के बवंडर घूमने लगते हैं. लेकिन बालू रेत के इसी
में एक ऐसा स्थान ऐसा भी है जो हमेशा पर्यटकों को आकर्षित करता रहता है. प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन
की ठंडी आब-ओ-हवा पर्यटकों को यहां आने के लिए मजबूर कर देती है. अगर आप भी गर्मियों के मौसम में राजस्थान आने का मानस बना रहे हैं तो माउंट की सैर करना नहीं भूलें.
राजस्थान-गुजरात बॉर्डर पर सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन है. सुरमई पहाड़ियों के बीच स्थित इस स्थित इस छोटे कस्बे से गर्मियों में राजस्थान का राजकाज भी चलता है. राजधानी जयपुर के बाद यहीं पर दूसरा राजभवन है, जहां गर्मियों में राज्यपाल कुछ समय के लिए रहने आते हैं. यह स्थान गर्मियों में बेहद सुकून देने वाला है.
पहाड़ियों के बीच स्थित यह मनोरम पर्यटक स्थल रेगिस्तान के तपते धोरों के बीच ठंडक का अहसास कराता है. माउंट की नक्की झील और देलवाड़ा के ऐतिहासिक जैन मंदिर यहां आने वाले पर्यटकों के जेहन में रच बस जाते हैं. माउण्ट आबू के मध्य में स्थित नक्की झील भारत की पहली मानव निर्मित झील है. करीब 80 फ़ुट गहरी और एक चौथाई मील चौड़ी इस झील को देखे बिना माउंट आबू की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती.
हनीमून प्वाइंट, सनसैट प्वाइंट और ब्रह्मकुमारी पीस पार्क यहां की जान और शान हैं. टोड रॉक व्यू प्वाइंट और लाल मंदिर भी पर्यटकों को खूब भाते हैं. ब्रह्माकुमारी आश्रम और गुरू शिखर के लिए तो माउंट देशभर में विख्यात है. माउंट आबू के अभ्यारण्य में कई तरह के जंगली जानवर यथा लंगूर, सांभर, जंगली सूअर और चीते भी देखे जा सकते हैं.
माउंट कि दिल्ली से सड़क मार्ग से दूरी करीब 739 और रेलमार्ग से करीब 744 किमी है. यहां गर्मी के मौसम में पर्यटकों के लिए ग्रीष्म महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है. प्रतिवर्ष करीब 22 से 25 लाख पर्यटक माउंट आबू आते हैं और यहां की हसीन वादियों को निहारते हैं. माउंट आबू सूखे रेगिस्तान में एक ताज़ा हवा की तरह है. जब भी राजस्थान आएं तो यहां सैर सपाटा करना नहीं भूले.
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FIRST PUBLISHED : June 21, 2019, 23:04 IST